चंडीगढ़: कोरोना महामारी के चलते सरकार फिलहाल किसी भी तरह का जोखिम उठाने के लिए सरकार तैयार नहीं है. इसी के चलते बच्चों को बिना एग्जाम के ही प्रमोट कर दिया गया है. प्रदेश के शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर का कहना है कि बच्चों के फाइनल सेमेस्टर की परीक्षाओं को लेकर आगे की क्या व्यवस्था बनती है, इस विषय पर अभी निर्णय लेना बाकी है. फिर भी अगर यूजीसी की तरफ से इस मामले में दिशा निर्देश दिए गए हैं तो पर जल्द ही पर इस पर विचार करेंगे.
'बोर्ड विद्यार्थियों के लिए ये परीक्षा अहम होती है'
ईटीवी भारत के साथ बातचीत के दौरान शिक्षा मंत्री ने कंवर पाल गुज्जर ने कहा कि अगर किसी भी तरह से बच्चों के पेपर करवाए जा सकते हैं, तो बच्चों के भविष्य के लिए अच्छा रहेगा. नहीं तो भविष्य में इस समय में जारी हुए सर्टिफिकेट पर एक प्रश्न चिन्ह रह जाएगा. फाइनल के सर्टिफिकेट यदि ऐसे ही जारी किए गए तो बच्चों की मेहनत पर भी इसका असर पड़ेगा. इसलिए इस मसले पर सोच विचार कर ही निर्णय लिया जा सकेगा.
'हर ज्ञान मोबाइल पर संभव नहीं'
ऑनलाइन के जरिए से बच्चों को शिक्षा मुहैया करवाने का एक बहुत अच्छा प्रयास हरियाणा सरकार की तरफ से किया गया है. एजु हरियाणा के नाम से चार सेट चलाए जा रहे हैं. शिक्षा मंत्री ने कहा कि स्कूल का मुख्य उद्देश्य केवल अक्षर ज्ञान ही नहीं है, बल्कि शिक्षक कई तरह की जानकारियां भी छात्रों को मुहैया करवाता है, तो उस प्रकार का ज्ञान तो मोबाइल के जरिए नहीं दिया जा सकता, लेकिन मजबूरी के चलते ऑनलाइन शिक्षा दी जा रही है. जैसे ही सबकुछ कंट्रोल में आ जाएगा तो जल्द ही सारी व्यवस्था दुरुस्त कर दी जाएगी.
'ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों के सेहत पर फर्क पड़ता'
ऑनलाइन शिक्षा के चलते बच्चों की आंखों पर पढ़ रहे दुष्प्रभाव पर बोलते हुए गुर्जर ने कहा कि यह सही है कि लंबे समय टीवी के सामने पढ़ाई करने से बच्चों की आखों पर असर पड़ रहा है , लेकिन भ यह व्यवस्था मजबूरी के कारण ही है और इस समस्या के खत्म होते ही सब कुछ फिर से ठीक हो जाएगा.
'इस पढ़ाई से फायदा मिल रहा है या नहीं, पता नहीं'
प्रैक्टिकली पढ़ाई के सवाल पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार की ओर से ऑनलाइन पढ़ाई मुहैया करवाई जा रही है. इस बारे में प्रत्यक्ष रूप से नहीं कहा जा सकता कि बच्चों को उसका सही फायदा मिल रहा है या नहीं. क्योंकि बच्चा किस प्रकार से पढ़ रहा है यह जानना बहुत मुश्किल है. क्योंकि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों में बहुत बड़ा वर्ग ऐसे छात्रों का है जोकि ऐसे परिवारों से संबंधित है. जहां माता-पिता भी ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं है और गरीब तबके से संबंध रखते हैं, लेकिन फिर भी हम अच्छे की ही उम्मीद करते हैं.
यूजीसी का क्या है फैसला?
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विश्वविद्यालय की अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को एक बार से जरूरी करार देते हुए इसे छात्रों के व्यापक हित में बताया है. ऐसे में राज्य परीक्षाओं को लेकर कोई भी फैसला लेने से पहले छात्रों के हितों और शैक्षणिक गुणवत्ता पर पड़ने वाले प्रभाव का भी आंकलन करें. वहीं परीक्षाओं को लेकर जारी गाइडलाइन पर यूजीसी कहना है कि आयोग के रेगुलेशन के तहत सभी विश्वविद्यालय उसे मानने के लिए बाध्य है. हालांकि यह विवाद का समय नहीं है। सभी विवि को तय गाइडलाइन के तहत परीक्षाएं करानी चाहिए.