चंडीगढ़: हरियाणा कांग्रेस में जिला संगठन को बनाने को लेकर माथापच्ची अभी जारी है. जिला कार्यकारिणी के गठन के बनाए गए ऑब्जर्वर पार्टी के प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया को दिल्ली में अपनी रिपोर्ट सौंप रहे हैं. कुछ पर्यवेक्षकों ने रिपोर्ट सोमवार को प्रभारी को दीपक बाबरिया को सौंप दी तो कुछ मंगलवार को सौंपेंगे. बताया जा रहा है कि ऑब्जर्वर प्रभारी को हर जिले से तीन-तीन दावेदारों के नाम दे रहे हैं. ऑब्जर्वर की तैयार की गई यह रिपोर्ट जिला अध्यक्षों की सूची के लिए अहम मानी जा रही है.
18 सितंबर के बाद ऐलान संभव- हरियाणा कांग्रेस के संगठन का ऐलान 18 सितंबर के बाद होने की उम्मीद जताई जा रही है. क्योंकि 16 से 18 सितंबर को हैदराबाद में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक है. पार्टी हाई कमान 18 सितंबर के बाद हरियाणा कांग्रेस के संगठन की सूची को मंजूरी दे सकता है. हालांकि बताया जा रहा है कि दीपक बावरिया अपनी रिपोर्ट अगले दो-तीन दिनों में हाइकमान को सौंपेंगे. जानकारी के मुताबिक दीपक बाबरिया कुछ जिलों पर शायद कोई फैसला भी कर लें, लेकिन जिन जिलों में विवाद होने की संभावना है, उन जिलों को लेकर पार्टी हाईकमान से बातचीत के बाद ही कोई अंतिम फैसला हो पाएगा.
दिल्ली में सोमवार को कांग्रेस प्रभारी के साथ कुछ प्रदेश आब्जर्वर की बैठक हुई. जिसमें एक-एक करके सभी आब्जर्वर ने अपनी रिपोर्ट उनको दी. कुछ मंगलवार को अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे. दीपक बाबरिया ने कहा कि जो रिपोर्ट पर्वेक्षक लाए हैं, उसका आंकलन करने के बाद ही कोई फैसला लिया जायेगा. आगे का रोडमैप अभी नहीं बनाया है क्योंकि ज्यादातर सीनियर नेता अभी बाहर हैं.
![Congress District Organization](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/11-09-2023/19488338_haryana-congress-incharge-deepak-babaria.jpg)
मैं किसी के साथ पक्षपात नहीं करता हूं. जो नाराज नेता राष्ट्रीय अध्यक्ष से मिले हैं वो उनका व्यक्तिगत फैसला है. मैं एक प्रभारी के तौर पर काम कर रहा हूं. नेताओं के हिसाब से पर्यवेक्षक की नियुक्ति नहीं हो सकती है. जिन कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी की थी वो उनका लोकतांत्रिक अधिकार है. उन नेताओं या कार्यकर्ताओं को कोई नोटिस नहीं दिया जायेगा. दीपक बाबरिया, कांग्रेस प्रभारी, हरियाणा.
हरियाणा में पिछले 10 साल से कांग्रेस की जिला इकाई भंग है. 2014 में अध्यक्ष बनने के बाद अशोक तंवर ने जिला कार्यकारिणी को भंग कर दिया था. तब से कांग्रेस का जिला संगठन आपसी मतभेत और बड़े नेताओं की गुटबाजी के चलते नहीं बन पाया था. पार्टी ने संगठन के निर्माण के लिए प्रदेश के जिलों में ऑब्जर्वर नियुक्त किए थे. जो सभी जिलों में पार्टी के पदाधिकारियों और नेताओं से मिले. मिलने के बाद उन्होंने अपनी रिपोर्ट तैयार की है.
पर्यवेक्षकों के दौरों के दौरान कई जिलों में हंगामा भी देखने को मिला था. कई जगह हुड्डा खेमा और उनके विरोधी माने जाने वाले रणदीप सुरजेवाला, कुमारी सैलजा और किरण चौधरी के समर्थकों के बीच भिड़ंत देखने को मिली. ऐसे में कांग्रेस के लिए करीब दस साल बाद भी संगठन की घोषणा कर पाना चुनौती बना हुआ है. फिलहाल इस बार की कवायद को देखकर लगता है कि ये ऐलान हो सकता है.