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हरियाणा में बांध परियोजनाओं को लेकर CM की सफल पहल, 7 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को एक मंच पर लाए

जल संरक्षण की किशाऊ, लखवार व रेणुका बांधों की परियोजना सिरे चढ़ाने की पहल करते हुए हरियाणा के सीएम मनोहर लाल (CM Manohar Lal on dam projects) 7 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को एक मंच पर लाने में सफल रहे हैं. इन बांध परियोजनाओं से हरियाणा के किसानों को लाभ होगा और जल संकट से राहत मिलेगी.

CM Manohar Lal on dam projects
हरियाणा में बांध परियोजनाओं को लेकर CM की सफल पहल
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Published : Jun 16, 2023, 1:30 PM IST

चंडीगढ़: जलवायु परिवर्तन के चलते भविष्य के वैश्विक जल संकट को लेकर सीएम मनोहर लाल काफी चिंतिंत नजर आ रहे हैं. कोरोनाकाल में जब हर कोई घर पर रहने को मजबूर था. उस समय मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भावी पीढ़ी को जमीन के साथ-साथ पानी भी विरासत में मिले, इसके लिए मेरा पानी-मेरी विरासत योजना देश के समक्ष रखी थी. जिसकी सराहना कई मंचों में हुई है. योजना के तहत मुख्यमंत्री ने धान बाहुल्य जिलों में धान के स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसल उगाने के लिए किसानों को प्रेरित किया. इस दौरान उन्होंने स्वयं प्रदेश के सभी 10 धान बाहुल्य जिलों के किसानों से सीधा संवाद किया.

ये भी पढ़ें : एकीकृत जल संसाधन कार्य योजना का CM ने किया शुभारंभ, SYL विवाद पर कही ये बात

इसके परिणामस्वरूप 1.5 लाख एकड़ भूमि पर किसानों ने धान की बजाय अन्य फसलों को अपनाया. इसके लिए ऐसे किसानों को 7 हजार प्रति एकड़ की दर से वित्तीय सहायता दी जा रही है. वर्ष 2023-24 में इस योजना के तहत 2 लाख एकड़ क्षेत्र को धान के स्थान पर अन्य फसलों के अधीन ले जाने का लक्ष्य लिया गया है. इसके अलावा, अब किसान धान की सीधी बिजाई पद्धति की ओर भी बढ़ रहे हैं, जिससे पानी की बचत होगी.

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हाल ही में राज्य की द्विवार्षिक एकीकृत जल संसाधन कार्य योजना (2023-25) का शुभारंभ किया था. राज्य में कुल पानी की उपलब्धता 20 लाख 93 हजार 598 करोड़ लीटर है. जबकि पानी की कुल मांग 34 लाख 96 हजार 276 करोड़ लीटर है. मांग और पानी की उपलब्धता में 14 लाख करोड़ लीटर का अंतर है. इस कार्य योजना से अगले दो वर्षों के दौरान इस अंतराल को पूरा करना है.

ये भी पढ़ें : हरियाणा में सब्जी मंडियों के लिए बनेगी नीति, सरकारी गोदाम शहर से बाहर होंगे शिफ्ट, जानें CM की घोषणाओं की पूरी डिटेल

जल संरक्षण की दिशा में गत दिनों पंचकूला में दो दिवसीय जल सम्मेलन का आयोजित किया गया था. जिसमें प्रशासनिक सचिवों और जल संरक्षण पर कार्य कर रहे देश-विदेश के विशेषज्ञों ने भाग लिया था. सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य गिरते भूजल स्तर के मद्देनजर एक एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन रणनीति और दृष्टिकोण पर चर्चा करना था. उन्हीं के इनपुट के आधार पर द्विवार्षिक एकीकृत जल संसाधन कार्य योजना (2023-25) तैयार की गई.

योजना के क्रियान्वयन के लिए तीन कमेटियां गठित की गई हैं. राज्य स्तरीय प्रथम कमेटी के मुख्यमंत्री स्वयं अध्यक्ष बने हैं तो दूसरी कमेटी मुख्य सचिव की अध्यक्षता में होगी तथा तीसरी जिला स्तरीय कमेटी संबंधित जिला उपायुक्त की अध्यक्षता में होगी. मुख्यमंत्री ने कई वर्षों से लंबित जल संरक्षण की किशाऊ, लखवार व रेणुका बांधों की परियोजनाओं को सिरे चढ़ाने की पहल की है. इसके लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल के केंद्र सरकार से किये गए आग्रह पर हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली व राजस्थान के मुख्यमंत्री एक मंच पर आए और आपसी समझौतों पर हस्ताक्षर किए.

ये भी पढ़ें : हरियाणा में पद्म अवॉर्डी को मिलेगी 10 हजार रुपये मासिक पेंशन, सीएम ने की घोषणा

किशाऊ को तो बहुउद्देशीय (राष्ट्रीय) परियोजना घोषित किया गया है. वित्त मंत्री के रूप में मुख्यमंत्री ने सिंचाई व जल संसाधन क्षेत्र को 6 हजार 598 करोड़ रुपये का बजट में प्रावधान किया है. मुख्यमंत्री कहते हैं कि एसवाईएल पर सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के हक में फैसला दिया हुआ है. उम्मीद है कि यह मुद्दा जल्द ही सुलझ जाएगा. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का इंतजार है.

हालांकि हिमाचल के रास्ते पानी लाने के एक वैकल्पिक प्रस्ताव पर भी विचार किया गया है. योजना का खाका हिमाचल को भेजा गया है. सिंचाई विभाग (मिकाडा सहित), जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, पंचायत विभाग, तालाब प्राधिकरण, लोक निर्माण विभाग, शहरी स्थानीय निकाय, वन, शिक्षा इत्यादि विभागों को भी जल संसाधन के कार्यों में सहयोग देंगे. जिससे जल बचाओ अभियान को सफल बनाया जा सके. (प्रेस नोट)

चंडीगढ़: जलवायु परिवर्तन के चलते भविष्य के वैश्विक जल संकट को लेकर सीएम मनोहर लाल काफी चिंतिंत नजर आ रहे हैं. कोरोनाकाल में जब हर कोई घर पर रहने को मजबूर था. उस समय मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भावी पीढ़ी को जमीन के साथ-साथ पानी भी विरासत में मिले, इसके लिए मेरा पानी-मेरी विरासत योजना देश के समक्ष रखी थी. जिसकी सराहना कई मंचों में हुई है. योजना के तहत मुख्यमंत्री ने धान बाहुल्य जिलों में धान के स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसल उगाने के लिए किसानों को प्रेरित किया. इस दौरान उन्होंने स्वयं प्रदेश के सभी 10 धान बाहुल्य जिलों के किसानों से सीधा संवाद किया.

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इसके परिणामस्वरूप 1.5 लाख एकड़ भूमि पर किसानों ने धान की बजाय अन्य फसलों को अपनाया. इसके लिए ऐसे किसानों को 7 हजार प्रति एकड़ की दर से वित्तीय सहायता दी जा रही है. वर्ष 2023-24 में इस योजना के तहत 2 लाख एकड़ क्षेत्र को धान के स्थान पर अन्य फसलों के अधीन ले जाने का लक्ष्य लिया गया है. इसके अलावा, अब किसान धान की सीधी बिजाई पद्धति की ओर भी बढ़ रहे हैं, जिससे पानी की बचत होगी.

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हाल ही में राज्य की द्विवार्षिक एकीकृत जल संसाधन कार्य योजना (2023-25) का शुभारंभ किया था. राज्य में कुल पानी की उपलब्धता 20 लाख 93 हजार 598 करोड़ लीटर है. जबकि पानी की कुल मांग 34 लाख 96 हजार 276 करोड़ लीटर है. मांग और पानी की उपलब्धता में 14 लाख करोड़ लीटर का अंतर है. इस कार्य योजना से अगले दो वर्षों के दौरान इस अंतराल को पूरा करना है.

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जल संरक्षण की दिशा में गत दिनों पंचकूला में दो दिवसीय जल सम्मेलन का आयोजित किया गया था. जिसमें प्रशासनिक सचिवों और जल संरक्षण पर कार्य कर रहे देश-विदेश के विशेषज्ञों ने भाग लिया था. सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य गिरते भूजल स्तर के मद्देनजर एक एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन रणनीति और दृष्टिकोण पर चर्चा करना था. उन्हीं के इनपुट के आधार पर द्विवार्षिक एकीकृत जल संसाधन कार्य योजना (2023-25) तैयार की गई.

योजना के क्रियान्वयन के लिए तीन कमेटियां गठित की गई हैं. राज्य स्तरीय प्रथम कमेटी के मुख्यमंत्री स्वयं अध्यक्ष बने हैं तो दूसरी कमेटी मुख्य सचिव की अध्यक्षता में होगी तथा तीसरी जिला स्तरीय कमेटी संबंधित जिला उपायुक्त की अध्यक्षता में होगी. मुख्यमंत्री ने कई वर्षों से लंबित जल संरक्षण की किशाऊ, लखवार व रेणुका बांधों की परियोजनाओं को सिरे चढ़ाने की पहल की है. इसके लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल के केंद्र सरकार से किये गए आग्रह पर हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली व राजस्थान के मुख्यमंत्री एक मंच पर आए और आपसी समझौतों पर हस्ताक्षर किए.

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किशाऊ को तो बहुउद्देशीय (राष्ट्रीय) परियोजना घोषित किया गया है. वित्त मंत्री के रूप में मुख्यमंत्री ने सिंचाई व जल संसाधन क्षेत्र को 6 हजार 598 करोड़ रुपये का बजट में प्रावधान किया है. मुख्यमंत्री कहते हैं कि एसवाईएल पर सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के हक में फैसला दिया हुआ है. उम्मीद है कि यह मुद्दा जल्द ही सुलझ जाएगा. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का इंतजार है.

हालांकि हिमाचल के रास्ते पानी लाने के एक वैकल्पिक प्रस्ताव पर भी विचार किया गया है. योजना का खाका हिमाचल को भेजा गया है. सिंचाई विभाग (मिकाडा सहित), जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, पंचायत विभाग, तालाब प्राधिकरण, लोक निर्माण विभाग, शहरी स्थानीय निकाय, वन, शिक्षा इत्यादि विभागों को भी जल संसाधन के कार्यों में सहयोग देंगे. जिससे जल बचाओ अभियान को सफल बनाया जा सके. (प्रेस नोट)

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