चंडीगढ़: हरियाणा में मानसून सत्र (Haryana Mansoon Session) जारी है. सत्र के दौरान प्रदेश में पेपर लीक मामला (Haryana Paper Leak) भी जोर शोर से उठा. विपक्ष की सरकार की रणनीति और बेरोजगारी के मुद्दे को भी उठाया. वहीं मंगलवार को सदन में पेपर लीक मामले पर सीएम मनोहर लाल (Cm manohar lal on paper leak) ने विपक्ष को जवाब दिया. सीएम ने कहा कि पेपर लीक मामला हरियाणा के युवाओं के भविष्य से जुड़ा हुआ है और इस विषय पर खुलकर बहस होनी चाहिए.
सदन में सीएम मनोहर लाल ने कहा कि प्रतियोगी परीक्षाएं और भर्तियां इमानदारी से हों, ये निश्चित तौर पर एक गंभीर विषय है. उन्होंने कहा कि तमाम सदस्यों ने पेपर लीक को लेकर चिंता जाहिर की है और सरकार का इसको लेकर क्या रुख है? हम कौन-कौन से उपाय भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कर रहे हैं? इसकी जानकारी भी सदन के माध्यम से पूरे प्रदेश को देने का हमारा कर्तव्य बनता है, लेकिन गंभीर सवाल ये है कि आखिर इस समस्या के जड़ में क्या है? इस तरह के प्रयास कौन लोग कर रहे हैं और क्यों कर रहे हैं?
सीएम ने कहा कि परंपरागत तौर पर हरियाणा में भर्तियों में भेदभाव उच्च स्तर पर राजनीतिक सहमति से होता रहा है, इसलिए बहुत से युवाओं को अभी भी शत प्रतिशत यह विश्वास नहीं हो पाता कि सरकारी नौकरियां हासिल करने का कोई चोर दरवाजा नहीं है? समाज में बहुत सारे इस तरह के तत्व हैं, जो अभी भी चोर दरवाजे की खोज जारी रखते हैं. भर्तियों की गोपनीयता को भंग करने का जुगाड़ करते रहते हैं.
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वहीं सीएम खट्टर ने पिछली सरकारों को भर्तियां रद्द होने के मुद्दे पर भी निशाना साधा. युवाओं के भविष्य पर आप के आंसू बहाने की तो भर्तियों का पिछला रिकॉर्ड यह दर्शाता है की पिछली सरकारों में जितनी भर्तियां हुई, वो सभी भर्तियां न्यायालय के दरवाजे तक गईं. यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट तक भी तमाम भर्तियां गई और सुप्रीम कोर्ट ने जब-जब अनियमितता पाई और उन भर्तियों को रद्द किया.
सीएम खट्टर ने कहा कि सरकार को जो आदेश न्यायालय से मिलेगा, उसको पूरा करवाना ही पड़ेगा. ये न्यायिक व्यवस्था का तकाजा है, इसलिए सरकार ने तो न सिर्फ मैरिट के आधार पर 80 हजार के लगभग नई भर्तियां की. बल्कि विपक्ष के द्वारा की गई गलत भर्तियां जिसमें चाहे गेस्ट टीचर हों या पीटीआई टीचर, सबको एडजस्ट भी किया.
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सीएम ने कहा कि कई दशकों से चला आ रहा ये नेक्सस इतनी आसानी से टूटने वाला नहीं है. वो किसी न किसी रूप में प्रयास करते रहते हैं कि भर्तियों की गोपनीयता में सेंध लगाई जाए और पेपर लीक के मामले इसी का परिणाम है, लेकिन हमारा भी एक दृढ़ संकल्प है कि आगे से ऐसी घटनाओं को सख्ती से रोका जाए, उन प्राइवेट एजेंसियों का चयन किया जाए. जिनकी क्रेडिबिलिटी किसी भी हालत में बिकाऊ ना हो और दूसरी बात चाहे परीक्षाएं जितनी बार करानी पड़ेगी, लेकिन अंत में भर्ती उन्हीं युवाओं की होगी जो वास्तव में नौकरी के हकदार होंगे.
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