चंडीगढ़: हरियाणा कैबिनेट की बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा के 60 वर्ष से अधिक आयु के मान्यता प्राप्त मीडियाकर्मियों के लिए पेंशन योजना में संशोधन से संबंधित एक प्रस्ताव को मंजूरी दी गई. इसके अलावा इस बैठक में कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों को मंजूरी मिली.
मीडियाकर्मियों के हित में अहम फैसला: बुधवार को चंडीगढ़ में कैबिनेट की बैठक में मीडियाकर्मियों के हित में एक और अहम निर्णय लिया गया. हरियाणा के 60 वर्ष से अधिक आयु के मान्यता प्राप्त मीडियाकर्मियों के लिए पेंशन योजना में संशोधन से संबंधित एक प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है. इस निर्णय के बाद राज्य सरकार द्वारा पहले से चलायी जा रही पत्रकार पेंशन योजना के तहत मान्यता प्राप्त मीडिया कर्मियों की पेंशन 10,000 रुपये से बढ़ाकर 15,000 रुपये प्रतिमाह दी जाएगी. हरियाणा में पत्रकारिता के क्षेत्र में कम से कम 20 वर्षों का अनुभव रखने वाले 60 वर्ष से अधिक आयु के मीडियाकर्मी इस योजना के हकदार हैं. इसके लिए मीडियाकर्मी को कम से कम पांच वर्षों के लिए सूचना, जनसंपर्क भाषा एवं सांस्कृतिक विभाग, हरियाणा से मान्यता प्राप्त होना चाहिए. किसी अन्य राज्य सरकार या समाचार संगठन से किसी भी प्रकार की पेंशन या मानदेय प्राप्त करने वाला मीडियाकर्मी भी पात्र होगा.
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हरियाणा कैबिनेट की बैठक में बड़ा फैसला
— CMO Haryana (@cmohry) October 11, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
पत्रकारों की मासिक पेंशन में की ₹5,000 की वृद्धि
प्रदेश के मान्यता प्राप्त पत्रकारों को अब दी जाएगी ₹15,000 मासिक पेंशन pic.twitter.com/ChSsdAEpZH
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पत्रकारों की मासिक पेंशन में की ₹5,000 की वृद्धि
प्रदेश के मान्यता प्राप्त पत्रकारों को अब दी जाएगी ₹15,000 मासिक पेंशन pic.twitter.com/ChSsdAEpZHहरियाणा कैबिनेट की बैठक में बड़ा फैसला
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पत्रकारों की मासिक पेंशन में की ₹5,000 की वृद्धि
प्रदेश के मान्यता प्राप्त पत्रकारों को अब दी जाएगी ₹15,000 मासिक पेंशन pic.twitter.com/ChSsdAEpZH
ऐसे उठा सकते हैं पेंशन योजना का लाभ: पेंशन चाहने वाला आवेदक अगर हरियाणा निवासी है तो आधार कार्ड और परिवार पहचान पत्र की फोटो प्रतियां जमा करनी होंगी. अगर पात्र आवेदक हरियाणा का निवासी नहीं है तो उसको परिवार पहचान पत्र (अस्थायी) के साथ आधार कार्ड की प्रति जमा करनी होगी. योजना के तहत लाभ प्राप्त करने वाले मीडियाकर्मियों के लिए परिवार पहचान पत्र अनिवार्य होगा. लाभार्थी मीडियाकर्मी के निधन पर मासिक पेंशन राशि का आधा हिस्सा उसके जीवनसाथी को दिया जाता रहेगा. परिवार का केवल एक सदस्य मासिक पेंशन के अनुदान के लिए पात्र होगा.
कैबिनेट बैठक में लिए गए ये फैसले: कैबिनेट बैठक में पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 17 और 18 के तहत संपत्तियों के हस्तांतरण के दस्तावेजों के पंजीकरण के उद्देश्य से प्रत्येक उप-मंडल को एक उप-जिला के रूप में बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई है. प्रस्ताव के अनुसार जनता को व्यापक विकल्प प्रदान करने के लिए प्रत्येक उप-मंडल अधिकारी (नागरिक) के कार्यालय को उप-रजिस्ट्रार के कार्यालय के रूप में और प्रत्येक जिला राजस्व अधिकारी के कार्यालय को भी प्रत्येक संबंधित उप-जिला के संयुक्त उप-रजिस्ट्रार के दफ्तर के रूप में स्थापित करना उचित समझा गया है.
पराली एक्स-सीटू प्रबंधन नीति हरियाणा 2023 को मंजूरी: हरियाणा मंत्रिमंडल की बैठक में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और उसके आस-पास लगते क्षेत्रों में पराली जलाने के मामलों में कमी लाने के लिए सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. टिकाऊ ऊर्जा के लिए धान की पराली का उपयोग करने और 2027 तक फसल अवशेष जलाने को खत्म करने के लिए पराली एक्स-सीटू प्रबंधन नीति हरियाणा 2023 को मंजूरी दी गई. हरियाणा एक्स-सीटू मैनेजमेंट ऑफ पैडी स्ट्रॉ पॉलिसी 2023 बेहरतरीन नीति है. यह नीति धान के भूसे-आधारित परियोजनाओं में निजी निवेश बढ़ाने, किसानों को प्रोत्साहित कर जिम्मेदारी के साथ पराली का उपयोग सुनिश्चित करने और किसानों और उद्योगों के बीच एक मजबूत संबंध स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित करेगी.
इस नीति से पराली जलाने में आएगी कमी: इस नीति का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और उसके आस-पास के लगते क्षेत्रों में पराली जलाने के मामलों को कम करना है. क्योंकि हरियाणा में हर वर्ष लगभग 30 लाख टन धान की पराली उपलब्ध होती है. धान की पराली से बिजली, बायोगैस, बायो सीएनजी, जैव-खाद, जैव-ईंधन, इथेनॉल उत्पन्न किए जा सकते हैं। किसानों को खेत में पराली काटने, गठ्ठे बनाने और भंडारण करने में भी उपयोगी होगी। इस नीति में धान के भूसे को काटने, एकत्र करने, बेलने, भंडारण करने और भूसे-आधारित उद्योगों और संयंत्रों तक परिवहन के लिए उपयोग किए जाने वाले कृषि उपकरणों और मशीनरी पर किसान और संबंधित संगठन सब्सिडी के लिए भी पात्र होंगे.
बाढ़ प्रभावितों के लिए मुआवजा राशि जारी: कैबिनेट मीटिंग के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए सीएम मनोहर लाल ने बाढ़ प्रभावितों के अकाउंट में मुआवजा की 5 करोड़ 90 लाख 99 हजार की राशि ट्रांसफर की. पशुधन की हानि, घर की क्षति, वाणिज्यिक संपत्ति की हानि और कपड़ों, बर्तनों/घरेलू सामानों की हानि की भरपाई की राशि जारी की गई. इसी तरह से 40 मृतकों के परिजनों को कुल 1 करोड़ 60 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया है. शेष 7 मृतकों के सत्यापन का कार्य अभी जारी है. इसके साथ ही सीएम ने कहा कि अगर अब भी मुआवजे के भुगतान में कटौती से किसी को ऐतराज है, तो वे अपनी शिकायत उसी पोर्टल पर अपलोड कर सकते हैं. जांच सही पाए जाने पर शिकायत का निवारण किया जाएगा.
हरियाणा कैबिनेट बैठक में हरियाणा सिविल सेवा (नियुक्ति की अनुकंपा वित्तीय सहायता), नियम, 2019 के तहत मृत पुलिसकर्मियों के 50 आश्रितों को क्लर्क के पद पर नियुक्ति प्रदान करने के संबंध में एक्स-पोस्ट-फैक्टो मंजूरी प्रदान की. पुलिस विभाग में केवल 13 पद अनुग्रह कोटा (प्रत्यक्ष कोटा के 250 स्वीकृत पदों में से 5 प्रतिशत) के अंतर्गत आते हैं और सभी 13 पद हरियाणा सिविल सेवा (अनुकंपा वित्तीय सहायता या नियुक्ति) नियम, 2019 के तहत निर्धारित प्रावधानों के अनुसार भरे हुए हैं. अनुकंपा के आधार पर क्लर्क के पद पर नियुक्ति के लिए कोई रिक्ति नहीं है. अनुग्रह कोटा पदों की अनुपलब्धता के कारण मृत व्यक्तियों को वित्तीय पक्ष के अंतर्गत गंभीर कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है.
बसों के किराये को राउंड ऑफ करने की मंजूरी: मुख्यमंत्री ने बताया कि हरियाणा में यात्रियों के लिए सुविधा बढ़ाने के उद्देश्य से राज्य में स्टेट कैरिज बसों के किराये में 5 रुपये तक के किराये को राउंड ऑफ करने की मंजूरी दी गई. बस किराए में अवलोकन करने पर यह पाया गया कि हरियाणा रोडवेज की सभी श्रेणियों की बसों में यात्रा करने वाले यात्रियों को टिकट जारी करते समय कंडक्टरों को सिक्कों (चेंज) की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. इसलिए यह निर्णय लिया गया है. इससे न केवल टिकट जारी करने की प्रक्रिया सुव्यवस्थित होने की उम्मीद होगी बल्कि आम जनता के लिए अतिरिक्त सुविधा भी प्रदान की जाएगी.
हरियाणा नगर शहरी निर्मित-योजना सुधार नीति की घोषणा: कैबिनेट बैठक में हरियाणा नगर शहरी निर्मित-योजना सुधार नीति, 2023 की घोषणा की गई है. इस नीति का उद्देश्य कम से कम 50 वर्षों से अस्तित्व में आने वाली नियोजित योजनाओं के भीतर आवासीय भूखंडों को व्यावसायिक उपयोग में बदलने की अनुमति देना है.अब यह यह शहरी विकास परिदृश्य के भीतर उभरती जरूरतों और मांगों को पूरी करेगा. अवैध गतिविधियों को संचालित करने वाले संपत्ति मालिकों पर दंडात्मक आरोप माने जाएंगे, जिन्हें उपद्रव गतिविधियां माना जाएगा. पॉलिसी की अधिसूचना तिथि से पहले 6 महीनों तक कोई दंडात्मक शुल्क नहीं लगाया जाएगा. इसके बाद, परिस्थितियों के आधार पर शुल्क लागू होंगे.