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Haryan Budget 2023: प्रदेश पर बढ़ता कर्ज चिंता का सबब, एक्सपर्ट के मुताबिक उठाने होंगे कड़े कदम

हरियाणा में बढ़ता कर्ज प्रदेश की अर्थव्यवस्था के लिए सही नहीं है. इस बार कर्ज ( Rising debt on Haryana) बढ़कर 2 लाख 85 हजार 885 करोड़ पहुंच गया है. जानकारों की माने तो सरकार ने अपने बजट का 30 फीसदी से अधिक हिस्सा सामाजिक सुरक्षा पर खर्च करने का फैसला किया है. बजट में सरकार का ध्यान राजस्व जुटाने पर नहीं दिखा.

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हरियाणा बजट 2023: प्रदेश पर बढ़ता कर्ज बन सकता है चिंता का सबब!
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Published : Feb 23, 2023, 5:24 PM IST

Updated : Feb 23, 2023, 5:34 PM IST

चंडीगढ़: प्रदेश के मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री मनोहर लाल ने अपनी सरकार का चौथा बजट पेश किया. अगले साल देश में लोकसभा चुनाव होने हैं, वहीं इसके बाद प्रदेश में विधानसभा चुनाव भी हैं. ऐसे में जिस तरह के बजट की उम्मीद की जा रही थी. यह बजट बिल्कुल उसी को ध्यान में रखकर पेश किया गया लगता है. इस बजट के जरिए प्रदेश सरकार ने हर वर्ग को ध्यान में रखकर योजनाओं को आगे बढ़ाया है. मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 1 लाख 83 हजार 950 करोड़ रुपए का बजट पेश किया. जिसमें पिछले साल के मुकाबले 11.6 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है.

बड़ी बात यह है कि बजट में कोई भी नया कर नहीं लगाया गया है. यानी प्रदेश की जनता पर किसी भी तरह के नए कर का भार नहीं डाला गया है. लेकिन प्रदेश पर कर्ज का बोझ बढ़ गया है. साल 2022 में जब बजट पेश किया गया, तो उस समय हरियाणा पर कर्ज करीब 2 लाख 56 हजार 265 करोड़ का दिखाया गया था. यह इस बार बढ़कर 2 लाख 85 हजार 885 करोड़ पहुंच गया है. यह किसी ना किसी रूप में एक चिंता का विषय जरूर है. भले ही मुख्यमंत्री इसे केंद्र के निर्धारित दायरे के अंदर बता रहे हो, लेकिन जिस तरीके से कर्ज बढ़ रहा है.

बजट के मुताबिक ऐसे जाता है रुपया
बजट के मुताबिक ऐसे जाता है रुपया

हरियाणा पर बढ़ते कर्ज को देखते हुए आर्थिक मामलों के जानकार बिमल अंजुम कहते हैं कि बजट में 35.96 प्रतिशत डिपेंडेंसी सरकार की लोन पर है. जबकि राज्य के पास 42 फीसदी से अधिक टैक्स रेवन्यू था. उनका कहना है कि अगर 35.96% रेवेन्यू डेफिसिट आ रहा है, तो यह सही नहीं है. उन्होंने कहा कि इसका मतलब यह हुआ कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था सही नहीं चल रही है. जिस तरीके की सोशल वेलफेयर प्रोग्राम बजट में रखे गए हैं, उसको देखते हुए लगता है कि सरकार ने राजस्व से ज्यादा उन पर जोर दिया है. हालांकि वे कहते हैं कि जहां तक डेफिशियेंसी की बात है, तो वह केंद्र सरकार के निर्धारित पैमाने के अंदर है. लेकिन उनका कहना है कि इस बजट में कहीं ना कहीं सरकार ने इसको मैनिपुलेट करने की कोशिश की है.

बजट के मुताबिक सरकार के पास ऐसे आता है रुपया
बजट के मुताबिक सरकार के पास ऐसे आता है रुपया

ये कर्ज हरियाणा की अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का सबब जरूर है. विपक्ष भी लगातार प्रदेश पर बढ़ते कर्ज को लेकर अपनी बात कहता रहा है. विपक्ष का कहना है कि प्रदेश पर इस बजट को देखते हुए आने वाले समय में 4 लाख करोड़ से अधिक का कर्ज हो जाएगा. विपक्ष इसपर सरकार से श्वेत पत्र की मांग कर रहा है. वहीं सरकार द्वारा आज पेश किए गए बजट में जिस तरीके से प्रदेश पर कर्ज बढ़ा है.

पढ़ें: हरियाणा के बजट से मायूस सरकारी कर्मचारी, अनदेखी का लगाया आरोप

बिमल अंजुम का कहना है कि हरियाणा की अर्थव्यवस्था के हिसाब से 35.96 फ़ीसदी रेवेन्यू डेफिसिट का जो प्रावधान रखा गया है, वह हरियाणा की अर्थव्यवस्था के हिसाब से सही नहीं है. क्योंकि सरकार पर पहले से ही 2 लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज था. उनके मुताबिक यह इन हालातों में तीन लाख करोड़ से ज्यादा हो जाएगा. क्योंकि इस पर सरकार को ब्याज का भुगतान भी करना होगा. अगर सरकार 20 से 22 फीसदी रेवेन्यू में से कर्ज का भुगतान करेगी, तो भविष्य में प्रदेश की गाड़ी ठीक नहीं चल पाएगी.

पढ़ें: हरियाणा बजट 2023: मनोहर लाल ने सदन में पेश किया हरियाणा का बजट, एक क्लिक में पढ़ें बड़ी घोषणाएं

उनका कहना है कि जो अभी हरियाणा सरकार पर कर्ज है, उसमें भी अलग-अलग ब्याज दर के कर्ज हैं. वे कहते हैं कि हम यह भी नहीं कह सकते कि कर्ज लेना नुकसानदायक है, लेकिन कर्ज लेना फेवरेबल भी नहीं है. उनका कहना है कि सरकार ने अपने बजट का 30 फीसदी से अधिक हिस्सा सामाजिक सुरक्षा पर खर्च करने का फैसला किया है. एक तरफ सरकार कहती है कि रेवड़ियां नही बांटनी है. जबकि इस बजट में सबसे बड़ा हिस्सा सोशल सेक्टर में दिया गया है. उनका कहना है कि जो बजट का कुल हिस्सा इंटरेस्ट का भुगतान करने में जाएगा. जो 30 फीसदी से अधिक है. अगर सरकार के रेवेन्यू में से इतना बड़ा हिस्सा इंटरेस्ट पेमेंट में जाएगा, तो वह अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए सही नहीं होगा.

चंडीगढ़: प्रदेश के मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री मनोहर लाल ने अपनी सरकार का चौथा बजट पेश किया. अगले साल देश में लोकसभा चुनाव होने हैं, वहीं इसके बाद प्रदेश में विधानसभा चुनाव भी हैं. ऐसे में जिस तरह के बजट की उम्मीद की जा रही थी. यह बजट बिल्कुल उसी को ध्यान में रखकर पेश किया गया लगता है. इस बजट के जरिए प्रदेश सरकार ने हर वर्ग को ध्यान में रखकर योजनाओं को आगे बढ़ाया है. मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 1 लाख 83 हजार 950 करोड़ रुपए का बजट पेश किया. जिसमें पिछले साल के मुकाबले 11.6 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है.

बड़ी बात यह है कि बजट में कोई भी नया कर नहीं लगाया गया है. यानी प्रदेश की जनता पर किसी भी तरह के नए कर का भार नहीं डाला गया है. लेकिन प्रदेश पर कर्ज का बोझ बढ़ गया है. साल 2022 में जब बजट पेश किया गया, तो उस समय हरियाणा पर कर्ज करीब 2 लाख 56 हजार 265 करोड़ का दिखाया गया था. यह इस बार बढ़कर 2 लाख 85 हजार 885 करोड़ पहुंच गया है. यह किसी ना किसी रूप में एक चिंता का विषय जरूर है. भले ही मुख्यमंत्री इसे केंद्र के निर्धारित दायरे के अंदर बता रहे हो, लेकिन जिस तरीके से कर्ज बढ़ रहा है.

बजट के मुताबिक ऐसे जाता है रुपया
बजट के मुताबिक ऐसे जाता है रुपया

हरियाणा पर बढ़ते कर्ज को देखते हुए आर्थिक मामलों के जानकार बिमल अंजुम कहते हैं कि बजट में 35.96 प्रतिशत डिपेंडेंसी सरकार की लोन पर है. जबकि राज्य के पास 42 फीसदी से अधिक टैक्स रेवन्यू था. उनका कहना है कि अगर 35.96% रेवेन्यू डेफिसिट आ रहा है, तो यह सही नहीं है. उन्होंने कहा कि इसका मतलब यह हुआ कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था सही नहीं चल रही है. जिस तरीके की सोशल वेलफेयर प्रोग्राम बजट में रखे गए हैं, उसको देखते हुए लगता है कि सरकार ने राजस्व से ज्यादा उन पर जोर दिया है. हालांकि वे कहते हैं कि जहां तक डेफिशियेंसी की बात है, तो वह केंद्र सरकार के निर्धारित पैमाने के अंदर है. लेकिन उनका कहना है कि इस बजट में कहीं ना कहीं सरकार ने इसको मैनिपुलेट करने की कोशिश की है.

बजट के मुताबिक सरकार के पास ऐसे आता है रुपया
बजट के मुताबिक सरकार के पास ऐसे आता है रुपया

ये कर्ज हरियाणा की अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का सबब जरूर है. विपक्ष भी लगातार प्रदेश पर बढ़ते कर्ज को लेकर अपनी बात कहता रहा है. विपक्ष का कहना है कि प्रदेश पर इस बजट को देखते हुए आने वाले समय में 4 लाख करोड़ से अधिक का कर्ज हो जाएगा. विपक्ष इसपर सरकार से श्वेत पत्र की मांग कर रहा है. वहीं सरकार द्वारा आज पेश किए गए बजट में जिस तरीके से प्रदेश पर कर्ज बढ़ा है.

पढ़ें: हरियाणा के बजट से मायूस सरकारी कर्मचारी, अनदेखी का लगाया आरोप

बिमल अंजुम का कहना है कि हरियाणा की अर्थव्यवस्था के हिसाब से 35.96 फ़ीसदी रेवेन्यू डेफिसिट का जो प्रावधान रखा गया है, वह हरियाणा की अर्थव्यवस्था के हिसाब से सही नहीं है. क्योंकि सरकार पर पहले से ही 2 लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज था. उनके मुताबिक यह इन हालातों में तीन लाख करोड़ से ज्यादा हो जाएगा. क्योंकि इस पर सरकार को ब्याज का भुगतान भी करना होगा. अगर सरकार 20 से 22 फीसदी रेवेन्यू में से कर्ज का भुगतान करेगी, तो भविष्य में प्रदेश की गाड़ी ठीक नहीं चल पाएगी.

पढ़ें: हरियाणा बजट 2023: मनोहर लाल ने सदन में पेश किया हरियाणा का बजट, एक क्लिक में पढ़ें बड़ी घोषणाएं

उनका कहना है कि जो अभी हरियाणा सरकार पर कर्ज है, उसमें भी अलग-अलग ब्याज दर के कर्ज हैं. वे कहते हैं कि हम यह भी नहीं कह सकते कि कर्ज लेना नुकसानदायक है, लेकिन कर्ज लेना फेवरेबल भी नहीं है. उनका कहना है कि सरकार ने अपने बजट का 30 फीसदी से अधिक हिस्सा सामाजिक सुरक्षा पर खर्च करने का फैसला किया है. एक तरफ सरकार कहती है कि रेवड़ियां नही बांटनी है. जबकि इस बजट में सबसे बड़ा हिस्सा सोशल सेक्टर में दिया गया है. उनका कहना है कि जो बजट का कुल हिस्सा इंटरेस्ट का भुगतान करने में जाएगा. जो 30 फीसदी से अधिक है. अगर सरकार के रेवेन्यू में से इतना बड़ा हिस्सा इंटरेस्ट पेमेंट में जाएगा, तो वह अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए सही नहीं होगा.

Last Updated : Feb 23, 2023, 5:34 PM IST
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