चंडीगढ़: हरियाणा के मुख्यमंत्री और प्रदेश के वित्त मंत्री की भूमिका निभा रहे मनोहर लाल आज यानि मंगलवार को विधानसभा में साल 2022-23 के बजट को पेश करेंगे. मुख्यमंत्री के सामने सबसे बड़ी चुनौती हर साल बढ़ता वित्तीय घाटा होगा. इस घाटे को कैसे कम किया जाए इसको लेकर खास तौर पर मुख्यमंत्री के सामने चुनौती रहने वाली है. ऐसे में सरकार कैसे राजस्व खर्चों को बजट में कम करें इसके लिए किस तरीके की रूपरेखा मुख्यमंत्री के द्वारा बजट में बनाई गई यह देखने वाला होगा. आइए आपको बताते हैं कि इस बार बजट में कौन सी बड़ी बातें हो सकती हैं.
राजस्व घाटे को मैनेज करना होगा चुनौती- वर्तमान में राज्य के कुल बजट का एक बहुत बड़ा हिस्सा राजस्व खर्चों में जा रहा है. यह करीब बजट का 75 फीसदी हिस्सा है. जबकि अन्य पूंजीगत खर्च करीब 25 फीसदी हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री के सामने इसको बैलेंस कर पाना मुख्य चुनौती होगी. अर्थशास्त्र के मामलों के जानकार बिमल अंजुम कहते हैं कि उनको नहीं लगता है कि इस बार भी कुछ ज्यादा नया बजट में होने वाला है. हालांकि सरकार किस तरीके से इस सब को मैनेज कर पाएगी यह देखने वाली बात होगी.
किसी भी नई टैक्स की उम्मीद कम- इस बार के बजट में प्रदेश सरकार किसी भी तरह का नया कर लगाने के मूड में कम ही दिखाई देती है. सरकार पिछले बजट की तरह ही इस बजट को भी उन हालातों में आगे बढ़ाना चाहेगी जिसमें नए कर नहीं होंगे. बिमल अंजुम कहते हैं प्रदेश की जो स्थिति है उसमें सरकार को नए कर लगाने की जरूरत कम ही दिखाई पड़ती है. वहीं इसके पीछे की वजह यह भी मानते हैं कि जीएसटी से मिलने वाली रकम हरियाणा सरकार को समय पर मिल रही है तो ऐसे में नए कर लगाने की जरूरत कमी दिखाई देती है.
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लोकलुभावन वादों से बचना चाहेगी सरकार- इस बार के बजट में कोरोना महामारी के असर की वजह से कई बातों पर असर देखने को मिल सकता है. बीते 2 सालों से इस महामारी की वजह से देश के अन्य राज्यों की तरह हरियाणा भी चुनौतियों का सामना कर रहा है. ऐसे में राज्य सरकार पर भी बजट के प्रावधानों को बनाते हुए सभी बातों का असर जरूर दिखाई देगा. इसलिए अर्थशास्त्री मामलों के जानकार बिमल अंजुम कहते हैं कि इन हालातों में सरकार किसी भी तरह के लोकलुभावन वादों और दावों से बचेगी.
कृषि क्षेत्र को टारगेट कर सकती है सरकार- माना जा रहा है कि राज्य सरकार भी केंद्र सरकार की तरह ही इस बार बजट में ज्यादा कुछ नया प्रयोग नहीं करेगी. हालांकि सरकार का लक्ष्य कृषि क्षेत्र जरूर रह सकता है और इस क्षेत्र के लिए जरूर सरकार कुछ ना कुछ नई सब्सिडी स्कीम भी लेकर आ सकती है, और कुछ फसलों को और एमएसपी के दायरे में लाने की बात कर सकती है. अर्थशास्त्र मामलों के जानकार विमल अंजुम कहते हैं जिस तरीके से केंद्र का बजट रहा है लगभग उसी तरह ही राज्य सरकार भी बजट को पेश करेगी.
दो लाख करोड़ तक पहुंच सकता है हरियाणा का बजट- पिछले वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार ने 1 लाख 55 हजार करोड़ का बजट पेश किया था. जो इस बार करीब 2 लाख करोड़ के आसपास पहुंच सकता है. वहीं राज्य सरकार बीते 2 महीनों से बजट को लेकर अलग-अलग विभागों और सामाजिक संगठनों से भी बातचीत कर चुकी है. ऐसे में सरकार का प्रयास होगा कि वह जनता के ऊपर किसी भी तरह का बोझ ना डाले.
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