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पंजाब यूनिवर्सिटी के मुद्दे पर हरियाणा और पंजाब के सीएम की बैठक, इन अहम मुद्दों पर हुई चर्चा

पंजाब यूनिवर्सिटी के मुद्दे पर गुरुवार को चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित की अध्यक्षता में रियाणा के सीएम मनोहर लाल और पंजाब के सीएम भगवंत मान के बीच बैठक हुई. इस बैठक में हरियाणी के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि पंजाब विश्वविद्यालय को आगे बढ़ाने के लिए हरियाणा, केंद्र के साथ मिलकर काम करेगा. (Panjab University issue)

Haryana and Punjab CM meeting
पंजाब यूनिवर्सिटी के मुद्दे पर हरियाणा और पंजाब के सीएम की बैठक
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Published : Jun 1, 2023, 12:45 PM IST

Updated : Jun 1, 2023, 6:42 PM IST

चंडीगढ़: पंजाब विश्वविद्यालय की ग्रांट को लेकर काफी लंबे समय से खींचतान चल रही है. इसी मुद्दे को लेकर चंडीगढ़ में चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारीलाल पुरोहित और हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्री की अहम बैठक हुई. बैठक में पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान शामिल हुए. यह बैठक चंडीगढ़ यूटी सचिवालय में हुई.बैठक में हरियाणा, पंजाब और यूटी प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे.

बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा बैठक में पंजाब विश्वविद्यालय में हरियाणा के हिस्से की बहाली के लिए सकारात्मक रही. उन्होंने कहा कि सौहार्दपूर्ण माहौल में चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित की अध्यक्षता में बैठक हुई. उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर शिक्षा का प्रसार जितना हो उतना युवाओं के लिए फायदेमंद होगा. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत सभी शिक्षण संस्थान देश की उन्नति में सहयोग करें. चंडीगढ़ विश्वविद्यालय एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है इसमें हरियाणा के कॉलेज का भी हो एफिलिएशन हो.

वहीं, उन्होंने कहा कि हरियाणा ने पंजाब सरकार को कहा है कि युवाओं के भविष्य के लिए पंजाब के कॉलेज भी यदि हरियाणा के साथ जुड़कर काम करना चाहे तो स्वागत है. उन्होंने कहा कि केंद्र के साथ मिलकर पंजाब विश्वविद्यालय को हरियाणा आगे बढ़ाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री ने सकारात्मक रुख दिखाते हुए कुछ वक्त मांगा है. 5 जून को दोबारा सभी पक्षकारों की बैठक होगी.

ग्रांट का क्या है पूरा मामला?: चंडीगढ़ में बना पंजाब विश्वविद्यालय काफी लंबे समय से आर्थिक समस्या का सामना कर रहा है. विश्वविद्यालय कि इस आर्थिक स्थिति को देखते हुए हरियाणा में आगे कदम बढ़ाते हुए सुझाव दिया है कि राज्य के कुछ कॉलेजों को भी इसके साथ जोड़ा जाए. जिसके बाद हरियाणा भी विश्वविद्यालय की आर्थिक स्थिति को बेहतर करने के लिए अपना सहयोग देगा.

क्या कहते हैं पंजाब विश्वविद्यालय के प्रोफेसर?: इस पूरे मामले को लेकर पंजाब विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और वरिष्ठ पत्रकार रहे प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि देश के आजाद होने से पहले पूरे उत्तर भारत में योगी विश्वविद्यालय हुआ करता था जो कि लाहौर में थी और आजादी के बाद यहां आ गई. वे कहते हैं कि आजादी के बाद पंजाब हरियाणा हिमाचल के इस क्षेत्र का यह एकमात्र विश्वविद्यालय था.

वे कहते हैं कि धीरे-धीरे राज्य अलग होते गए और उन्होंने अपने-अपने विश्वविद्यालय स्थापित किए. जिसके बाद उन विश्वविद्यालयों ने अपने-अपने राज्यों के कॉलेजों को उनके साथ जोड़ दिया. लेकिन, उसके बावजूद भी पंजाब और हरियाणा हिमाचल के कुछ कॉलेज विश्वविद्यालय के साथ बने रहे और इनसे विश्वविद्यालय को आर्थिक मदद मिलती रही.

वे कहते हैं कि एक समय चौधरी बंसीलाल की सरकार के वक्त कहा जाता है कि उनको किसी कार्यक्रम में विश्वविद्यालय में उचित मान सम्मान नहीं मिला जिसके बाद हरियाणा ने अपने कॉलेजों को पंजाब विश्वविद्यालय से हटाकर राज्य में बने विश्वविद्यालय से जोड़ दिया. वे कहते हैं कि पंजाब के अभी बिक्री 200 कॉलेज पंजाब विश्वविद्यालय से जुड़े हुए हैं.

प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि पंजाब विश्वविद्यालय से जो पंजाब के कॉलेज जुड़े हैं उसका भी जो वितरण है वह बड़ा अजीबोगरीब है. जैसे कि पटियाला के कॉलेज हमारे पास नहीं है फिरोजपुर के कॉलेज है, अबोहर के हैं. फिलहाल लुधियाना, होशियारपुर जैसे जिलों के करीब 200 कॉलेज पंजाब विश्वविद्यालय से जुड़े हुए हैं. बाकी जो पंजाब के कॉलेज है वह पटियाला यूनिवर्सिटी के साथ और जीएनडीयू विश्वविद्यालय के साथ जुड़े हुए हैं.

वे कहते हैं क्योंकि अब अन्य राज्यों के कॉलेज पंजाब विश्वविद्यालय से नहीं जुड़े हैं, इसलिए पंजाब इस पर अपना अधिकार जताता है. क्योंकि 1947 यह भारत सरकार के एक्ट के तहत बना था, इसलिए इसका स्टेटस केंद्रीय विश्वविद्यालय का है. हालांकि लाहौर में इसकी स्थापना 1882 में हुई थी. वे कहते हैं कि केंद्र के अधीन होने की वजह से इसके चांसलर वरना नहीं है उपराष्ट्रपति है.

पंजाब विश्वविद्यालय में फंडिंग की समस्या: इसलिए इस विश्वविद्यालय का इंटरेस्टेड बॉडी कॉर्प्स है जो कि चंडीगढ़ में बनी हुई है और यूटी के तहत आती है. वे कहते हैं कि इसकी फंडिंग की समस्या लंबे समय से रही है. इस विश्वविद्यालय की फंडिंग 60-40 फीसदी में तय की गई थी, जिसमें से 60 फीसदी केंद्र और 40 फीसदी पंजाब का था, लेकिन काफी लंबे समय से पंजाब 40 फीसदी देने में असमर्थता जताता रहा.

उसके बाद इस मामले को लेकर जब काफी देखते आई तो फिर फॉर्मूला बदला गया. पहले यह तय हुआ कि जो विश्वविद्यालय की कमाई है और पंजाब जो अनुदान देगा उसके बाद जो बाकी बचेगा वह केंद्र देगा. अब जो विश्वविद्यालय को चलाने का फॉर्मूला चल रहा है उसके तहत सारे टीचिंग स्टाफ की सैलरी और कुछ अनुपात में नॉन टीचिंग स्टाफ की सैलरी केंद्र देता. यानी जो मेजर कॉम्पोनेंट है जोकि करीब 270 से 280 करोड़ रुपए है. बाकी पंजाब सरकार करीब 40 करोड़ की फंडिंग कर रही है जोकि बहुत कम है.

इसके बाद पिछले 3 सालों से हरियाणा की ओर से प्रस्ताव आया कि पंजाब विश्वविद्यालय पंचकूला, कालका, अंबाला और यमुनानगर के कॉलेजों को विश्वविद्यालय से संबंधित करें तो उसको वे आर्थिक मदद भी देंगे. वे कहते हैं कि अगर पंजाब विश्वविद्यालय को कोई यह कहे तो यह बड़े गर्व की बात है. अगर कोई राज्य सरकार अपने विश्वविद्यालय को छोड़कर पंजाब विश्वविद्यालय के साथ जुड़ना चाहता है तो यह गौरव की बात होती है. इसे विश्वविद्यालय को आर्थिक मदद भी मिलेगी.

'विश्वविद्यालय में हरियाणा का स्टेक बढ़ने से आर्थिक स्थिति में सुधार संभव': इस मामले में पंजाब के कुछ लोग जो इस मुद्दे पर राजनीति करते हैं, उनको लगता है कि इसे पंजाब विश्वविद्यालय में हरियाणा का स्टेक बढ़ेगा और उनका हक कम हो जाएगा इस प्रकार की एक सोच है. उसके बाद से लगातार हरियाणा इस बात को विभिन्न मंचों से कह भी रहा है और इसी मामले को लेकर अब बैठक भी हुई है.

वे कहते हैं कि अगर हम इस मुद्दे को पंजाब विश्वविद्यालय के शिक्षक के तौर पर देखते हैं तो हमें इसमें कोई आपत्ति नजर नहीं आती है. क्योंकि इससे पंजाबी विद्यालय की आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी. जहां तक पंजाब विश्वविद्यालय पर अधिकार की बात है तो यह सभी जानते हैं कि चंडीगढ़ यूटी ही रहेगा योग किसी राज्य के पास नहीं जाएगा. यो एक सिर्फ राजनीतिक मुद्दा है.

वे कहते हैं कि ऐसा तो है नहीं है कि हरियाणा किसी दूसरे देश का राज्य है. अगर हरियाणा अपने कॉलेजों को पंजाब विश्वविद्यालय के साथ जोड़ना चाह रहा है तो इसमें कोई समस्या नहीं है. वे कहते हैं कि हरियाणा के कॉलेजों के पंजाब विश्वविद्यालय से जुड़ने से उसका स्टेटस ही बढ़ेगा. इतना ही नहीं हुई यह भी कहते हैं कि अगर हिमाचल के पंजाब और चंडीगढ़ और हरियाणा के साथ सीमा के लगते कॉलेज भी जुड़े तो जो भी पंजाब विश्वविद्यालय के लिए बड़े गौरव की बात होगी.

पंजाब यूनिवर्सिटी पर पंजाब के हक को लेकर मुख्यमंत्री भगवंत मान ने डट कर रखा अपना पक्ष: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि यह यूनिवर्सिटी केवल पंजाब और उसकी राजधानी चंडीगढ़ की जरूरतों को पूरा करती है. यूनिवर्सिटी का इतिहास, कानून, विशेष, सामाजिक-सांस्कृतिक और ऐतिहासिक जड़ों के साथ शिक्षक और छात्र भी मुख्य तौर से पंजाब राज्य से जुडे होने का हवाला देते हुए भगवंत मान ने कहा कि पंजाब राज्य का पंजाब यूनिवर्सिटी का मौजूदा कानूनी और प्रबंधकीय दर्जा बहाल रखा जाना चाहिए. भगवंत मान ने याद दिलाया कि वर्ष 1966 में पंजाब के पुनर्गठन के अवसर पर पंजाब यूनिवर्सिटी को संसद द्वारा लागू किए पंजाब पुनर्गठन अधिनियम-1966 की धारा 72 (1) के अधीन 'इंटर स्टेट बॉडी कॉरपोरेट' घोषित किया गया था.

सीएम ने कहा कि पंजाब यूनिवर्सिटी अपनी शुरुआत से लेकर पंजाब में अपना कामकाज लगातार और बिना किसी बाधा के कर रही है. भगवंत मान ने याद करवाया कि इस संस्था को लाहौर जो उस समय पंजाब की राजधानी थी से होशियारपुर तबदील कर दिया गया और उसके बाद पंजाब की मौजूदा राजधानी चंडीगढ़ में तबदील कर दिया. उन्होंने कहा कि इस समय पंजाब में 175 कॉलेज यूनिवर्सिटी से मान्यता प्राप्त है और यह कालेज फाजिल्का, फिरोजपुर, होशियारपुर, लुधियाना, मोगा, श्री मुक्तसर साहिब और एसबीएस नगर में स्थित है.

ये भी पढ़ें: पंजाब यूनिवर्सिटी का 70वां दीक्षांत समारोह: उपराष्ट्रपति ने लेखिका सुधा एन मूर्ति को दी डी लिट की डिग्री, ये प्रतिष्ठित व्यक्ति भी हुए सम्मानित

चंडीगढ़: पंजाब विश्वविद्यालय की ग्रांट को लेकर काफी लंबे समय से खींचतान चल रही है. इसी मुद्दे को लेकर चंडीगढ़ में चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारीलाल पुरोहित और हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्री की अहम बैठक हुई. बैठक में पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान शामिल हुए. यह बैठक चंडीगढ़ यूटी सचिवालय में हुई.बैठक में हरियाणा, पंजाब और यूटी प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे.

बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा बैठक में पंजाब विश्वविद्यालय में हरियाणा के हिस्से की बहाली के लिए सकारात्मक रही. उन्होंने कहा कि सौहार्दपूर्ण माहौल में चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित की अध्यक्षता में बैठक हुई. उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर शिक्षा का प्रसार जितना हो उतना युवाओं के लिए फायदेमंद होगा. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत सभी शिक्षण संस्थान देश की उन्नति में सहयोग करें. चंडीगढ़ विश्वविद्यालय एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है इसमें हरियाणा के कॉलेज का भी हो एफिलिएशन हो.

वहीं, उन्होंने कहा कि हरियाणा ने पंजाब सरकार को कहा है कि युवाओं के भविष्य के लिए पंजाब के कॉलेज भी यदि हरियाणा के साथ जुड़कर काम करना चाहे तो स्वागत है. उन्होंने कहा कि केंद्र के साथ मिलकर पंजाब विश्वविद्यालय को हरियाणा आगे बढ़ाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री ने सकारात्मक रुख दिखाते हुए कुछ वक्त मांगा है. 5 जून को दोबारा सभी पक्षकारों की बैठक होगी.

ग्रांट का क्या है पूरा मामला?: चंडीगढ़ में बना पंजाब विश्वविद्यालय काफी लंबे समय से आर्थिक समस्या का सामना कर रहा है. विश्वविद्यालय कि इस आर्थिक स्थिति को देखते हुए हरियाणा में आगे कदम बढ़ाते हुए सुझाव दिया है कि राज्य के कुछ कॉलेजों को भी इसके साथ जोड़ा जाए. जिसके बाद हरियाणा भी विश्वविद्यालय की आर्थिक स्थिति को बेहतर करने के लिए अपना सहयोग देगा.

क्या कहते हैं पंजाब विश्वविद्यालय के प्रोफेसर?: इस पूरे मामले को लेकर पंजाब विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और वरिष्ठ पत्रकार रहे प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि देश के आजाद होने से पहले पूरे उत्तर भारत में योगी विश्वविद्यालय हुआ करता था जो कि लाहौर में थी और आजादी के बाद यहां आ गई. वे कहते हैं कि आजादी के बाद पंजाब हरियाणा हिमाचल के इस क्षेत्र का यह एकमात्र विश्वविद्यालय था.

वे कहते हैं कि धीरे-धीरे राज्य अलग होते गए और उन्होंने अपने-अपने विश्वविद्यालय स्थापित किए. जिसके बाद उन विश्वविद्यालयों ने अपने-अपने राज्यों के कॉलेजों को उनके साथ जोड़ दिया. लेकिन, उसके बावजूद भी पंजाब और हरियाणा हिमाचल के कुछ कॉलेज विश्वविद्यालय के साथ बने रहे और इनसे विश्वविद्यालय को आर्थिक मदद मिलती रही.

वे कहते हैं कि एक समय चौधरी बंसीलाल की सरकार के वक्त कहा जाता है कि उनको किसी कार्यक्रम में विश्वविद्यालय में उचित मान सम्मान नहीं मिला जिसके बाद हरियाणा ने अपने कॉलेजों को पंजाब विश्वविद्यालय से हटाकर राज्य में बने विश्वविद्यालय से जोड़ दिया. वे कहते हैं कि पंजाब के अभी बिक्री 200 कॉलेज पंजाब विश्वविद्यालय से जुड़े हुए हैं.

प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि पंजाब विश्वविद्यालय से जो पंजाब के कॉलेज जुड़े हैं उसका भी जो वितरण है वह बड़ा अजीबोगरीब है. जैसे कि पटियाला के कॉलेज हमारे पास नहीं है फिरोजपुर के कॉलेज है, अबोहर के हैं. फिलहाल लुधियाना, होशियारपुर जैसे जिलों के करीब 200 कॉलेज पंजाब विश्वविद्यालय से जुड़े हुए हैं. बाकी जो पंजाब के कॉलेज है वह पटियाला यूनिवर्सिटी के साथ और जीएनडीयू विश्वविद्यालय के साथ जुड़े हुए हैं.

वे कहते हैं क्योंकि अब अन्य राज्यों के कॉलेज पंजाब विश्वविद्यालय से नहीं जुड़े हैं, इसलिए पंजाब इस पर अपना अधिकार जताता है. क्योंकि 1947 यह भारत सरकार के एक्ट के तहत बना था, इसलिए इसका स्टेटस केंद्रीय विश्वविद्यालय का है. हालांकि लाहौर में इसकी स्थापना 1882 में हुई थी. वे कहते हैं कि केंद्र के अधीन होने की वजह से इसके चांसलर वरना नहीं है उपराष्ट्रपति है.

पंजाब विश्वविद्यालय में फंडिंग की समस्या: इसलिए इस विश्वविद्यालय का इंटरेस्टेड बॉडी कॉर्प्स है जो कि चंडीगढ़ में बनी हुई है और यूटी के तहत आती है. वे कहते हैं कि इसकी फंडिंग की समस्या लंबे समय से रही है. इस विश्वविद्यालय की फंडिंग 60-40 फीसदी में तय की गई थी, जिसमें से 60 फीसदी केंद्र और 40 फीसदी पंजाब का था, लेकिन काफी लंबे समय से पंजाब 40 फीसदी देने में असमर्थता जताता रहा.

उसके बाद इस मामले को लेकर जब काफी देखते आई तो फिर फॉर्मूला बदला गया. पहले यह तय हुआ कि जो विश्वविद्यालय की कमाई है और पंजाब जो अनुदान देगा उसके बाद जो बाकी बचेगा वह केंद्र देगा. अब जो विश्वविद्यालय को चलाने का फॉर्मूला चल रहा है उसके तहत सारे टीचिंग स्टाफ की सैलरी और कुछ अनुपात में नॉन टीचिंग स्टाफ की सैलरी केंद्र देता. यानी जो मेजर कॉम्पोनेंट है जोकि करीब 270 से 280 करोड़ रुपए है. बाकी पंजाब सरकार करीब 40 करोड़ की फंडिंग कर रही है जोकि बहुत कम है.

इसके बाद पिछले 3 सालों से हरियाणा की ओर से प्रस्ताव आया कि पंजाब विश्वविद्यालय पंचकूला, कालका, अंबाला और यमुनानगर के कॉलेजों को विश्वविद्यालय से संबंधित करें तो उसको वे आर्थिक मदद भी देंगे. वे कहते हैं कि अगर पंजाब विश्वविद्यालय को कोई यह कहे तो यह बड़े गर्व की बात है. अगर कोई राज्य सरकार अपने विश्वविद्यालय को छोड़कर पंजाब विश्वविद्यालय के साथ जुड़ना चाहता है तो यह गौरव की बात होती है. इसे विश्वविद्यालय को आर्थिक मदद भी मिलेगी.

'विश्वविद्यालय में हरियाणा का स्टेक बढ़ने से आर्थिक स्थिति में सुधार संभव': इस मामले में पंजाब के कुछ लोग जो इस मुद्दे पर राजनीति करते हैं, उनको लगता है कि इसे पंजाब विश्वविद्यालय में हरियाणा का स्टेक बढ़ेगा और उनका हक कम हो जाएगा इस प्रकार की एक सोच है. उसके बाद से लगातार हरियाणा इस बात को विभिन्न मंचों से कह भी रहा है और इसी मामले को लेकर अब बैठक भी हुई है.

वे कहते हैं कि अगर हम इस मुद्दे को पंजाब विश्वविद्यालय के शिक्षक के तौर पर देखते हैं तो हमें इसमें कोई आपत्ति नजर नहीं आती है. क्योंकि इससे पंजाबी विद्यालय की आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी. जहां तक पंजाब विश्वविद्यालय पर अधिकार की बात है तो यह सभी जानते हैं कि चंडीगढ़ यूटी ही रहेगा योग किसी राज्य के पास नहीं जाएगा. यो एक सिर्फ राजनीतिक मुद्दा है.

वे कहते हैं कि ऐसा तो है नहीं है कि हरियाणा किसी दूसरे देश का राज्य है. अगर हरियाणा अपने कॉलेजों को पंजाब विश्वविद्यालय के साथ जोड़ना चाह रहा है तो इसमें कोई समस्या नहीं है. वे कहते हैं कि हरियाणा के कॉलेजों के पंजाब विश्वविद्यालय से जुड़ने से उसका स्टेटस ही बढ़ेगा. इतना ही नहीं हुई यह भी कहते हैं कि अगर हिमाचल के पंजाब और चंडीगढ़ और हरियाणा के साथ सीमा के लगते कॉलेज भी जुड़े तो जो भी पंजाब विश्वविद्यालय के लिए बड़े गौरव की बात होगी.

पंजाब यूनिवर्सिटी पर पंजाब के हक को लेकर मुख्यमंत्री भगवंत मान ने डट कर रखा अपना पक्ष: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि यह यूनिवर्सिटी केवल पंजाब और उसकी राजधानी चंडीगढ़ की जरूरतों को पूरा करती है. यूनिवर्सिटी का इतिहास, कानून, विशेष, सामाजिक-सांस्कृतिक और ऐतिहासिक जड़ों के साथ शिक्षक और छात्र भी मुख्य तौर से पंजाब राज्य से जुडे होने का हवाला देते हुए भगवंत मान ने कहा कि पंजाब राज्य का पंजाब यूनिवर्सिटी का मौजूदा कानूनी और प्रबंधकीय दर्जा बहाल रखा जाना चाहिए. भगवंत मान ने याद दिलाया कि वर्ष 1966 में पंजाब के पुनर्गठन के अवसर पर पंजाब यूनिवर्सिटी को संसद द्वारा लागू किए पंजाब पुनर्गठन अधिनियम-1966 की धारा 72 (1) के अधीन 'इंटर स्टेट बॉडी कॉरपोरेट' घोषित किया गया था.

सीएम ने कहा कि पंजाब यूनिवर्सिटी अपनी शुरुआत से लेकर पंजाब में अपना कामकाज लगातार और बिना किसी बाधा के कर रही है. भगवंत मान ने याद करवाया कि इस संस्था को लाहौर जो उस समय पंजाब की राजधानी थी से होशियारपुर तबदील कर दिया गया और उसके बाद पंजाब की मौजूदा राजधानी चंडीगढ़ में तबदील कर दिया. उन्होंने कहा कि इस समय पंजाब में 175 कॉलेज यूनिवर्सिटी से मान्यता प्राप्त है और यह कालेज फाजिल्का, फिरोजपुर, होशियारपुर, लुधियाना, मोगा, श्री मुक्तसर साहिब और एसबीएस नगर में स्थित है.

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Last Updated : Jun 1, 2023, 6:42 PM IST
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