चंडीगढ़: हरियाणा में बीते कुछ दिनों से डीएपी खाद को लेकर लगातार हंगामा मचा हुआ है. कई जगहों पर इसके लिए लंबी-लंबी लाइनें भी लगी हुई और किसानों को डीएपी खाद मिलने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ईटीवी भारत ने हरियाणा में हो रही डीएपी खाद की महा किल्लत पर हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल से खास बातचीत की.
ईटीवी भारत की टीम ने कृषि मंत्री जेपी दलाल से सबसे पहला सवाल किया गया कि हरियाणा में इस वक्त डीएपी खाद की क्या स्थिति है? जिस पर उन्होंने कहा कि इस वक्त रबी की फसल की बिजाई का सीजन है. ऐसे में किसानों को डीएपी खाद की आवश्यकता रहती है. इसके लिए प्रदेश में तीन लाख मैट्रिक टन की आवश्यकता होती है. उन्होंने कहा कि इस बार उन्होंने 20 से 21 लाख बोरियां अभी तक डीएपी खाद की बेची है, जबकि 5 से 6 लाख बोरियां अभी हमारे पास उपलब्ध है. इसके साथ ही डीएपी खाद के 6 रैक और मंगवाए गई हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि किसान भाइयों से अपील है कि वह जल्दबाजी ना करें. सभी को डीएपी खाद मिलेगी, डीएपी खाद के बिना किसी की बिजाई नहीं होगी.
जब कृषि मंत्री से सवाल किया गया कि क्या हकीकत में जमीनी स्तर पर डीएपी की कमी है या इसी किसी साजिश के तहत बनाया जा रहा है? उस पर उन्होंने कहा कि कोरोना कि वजह से पूरी दुनिया में कारोबार में बहुत उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं. उन्होंने कहा कि आम तौर पर डीएपी खाद भी दूसरे देशों से आयात होती है. इसका ज्यादातर हमारी कंपनियां भी कच्चा माल दूसरे देशों से आयात करती हैं. उन्होंने कहा कि खाद बनाने के काम में हमारी कई कंपनियां जुटी हुई हैं. इन कंपनियों में सरकारी उपक्रम भी काम करते हैं. जो किसानों को डीएपी खाद उपलब्ध करवाते हैं. इसके साथ ही भारत सरकार डीएपी खाद के वितरण को कंट्रोल करती है.
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केंद्र जरूरत के हिसाब से इसे राज्यों को वितरित करता है. हमारी जो जरूरत है उस हिसाब से हमें डीएपी अलॉट हो गई है और आ भी रही है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमारे पड़ोसी राज्य पंजाब और राजस्थान में डीएपी खाद की कालाबाजारी भी हो रही है. वहां पर ज्यादा कीमत पर डीएपी खाद बिक रही है. इसलिए इसकी कालाबाजारी कर वहां बिक रही है. इसी वजह से हम आधार कार्ड के आधार पर ही डीएपी खाद किसानों को दे रहे हैं. वो कहते हैं कि हमें अगले महीने भी पर्याप्त मात्रा में डीएपी मिलेगी और दिसंबर में भी मिलेगी. इसलिए किसान भाइयों को चिंता करने की जरूरत नहीं है.
जब कृषि मंत्री से सवाल किया गया कि सबसे ज्यादा डीएपी प्रदेश को कहां से मिलती है? इसको लेकर उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा डीएपी खाद भारत सरकार के उपक्रम इफको द्वारा दी जाती है. इसके साथ ही एनएफएल और अन्य चार-पांच निजी कंपनियों से भी डीएपी खाद मिलती है.
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जब कृषि मंत्री से सवाल किया गया कि आपके एक प्रशासनिक अधिकारी ने कहा है कि चीन की वजह से डीएपी खाद की कमी प्रदेश में हो रही है? इसको लेकर उन्होंने कहा कि डीएपी खाद को बनाने का ज्यादातर प्रोडक्ट विदेश से ही आयात होता है. कुछ कंपनियां इसको बनाने के लिए रॉ मटीरियल चीन से और कुछ अरब कंट्री से भी मंगवाती हैं.
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कृषि मंत्री ने कहा कि कोरोना काल में कई चीजों में समस्या का सामना करना पड़ा है. लेकिन केंद्र सरकार ने वक्त रहते चीजों को संभाल लिया और जो हमारी डीएपी खाद की जरूरत है वह हमें उपलब्ध करवाई जा रही है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि डीएपी खाद के एक बैग की कॉस्ट 24 सौ रुपए से अधिक है, लेकिन केंद्र सरकार इसे 12 सौ रुपए में उपलब्ध करवा रही है. ताकि किसान की जो इनपुट कॉस्ट है वह ना बढ़े.
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जब उनसे सवाल किया गया कि क्या कोरोना के बाद जो चीन के साथ व्यापार में बाधा आई है तो क्या इसका असर साफ़ तौर पर इसमें देखते हैं? उन्होंने कहा कि इसको बनाने का जो मटेरियल है वह बहुत ज्यादा महंगा हो गया है. इसके साथ ही बहुत सारी सप्लाई चैन में कोरोना की वजह से भी समस्याएं आई है. साथ ही उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने इस को लेकर सारे प्रबंध कर लिए हैं किसानों को किसी भी तरह से डीएपी खाद की कमी नहीं होने दी जाएगी.
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