चंडीगढ़: हर साल जुलाई के चौथे सप्ताह में रविवार को राष्ट्रीय माता-पिता दिवस मनाया जाता है. इस साल रविवार, 23 जुलाई 2023 को नेशनल पेरेंट्स डे हैं. यह मई में मदर्स डे के दो महीने बाद और जून में फादर्स डे के एक महीने बाद. हालांकि यह पूरे अमेरिका में मनाया जाता है, लेकिन दुनियाभर में इस दिन को माता पिता द्वारा दिए जाने वाले प्रेम और स्नेह को अर्पित करते हुए मनाया जाता है. माता-पिता दिवस अपने बच्चों को सुरक्षित वातावरण में पालने और उनके जीवन का पोषण करने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और बलिदान के लिए माता-पिता की सराहना दिखाने का उपयुक्त समय है.
1994 से मनाया जा रहा नेशनल पेरेंट्स डे: बता दें कि नेशनल पेरेंट्स डे 1994 में अमेरिका कांग्रेस ने सर्वसम्मति से जुलाई के चौथे रविवार को मानने का फैसला किया. हर साल इस दिन अमेरिकी उत्कृष्ट माता-पिता को सम्मानित करते हैं. बच्चों के पालन-पोषण में टीम वर्क का जश्न मनाते हैं और एक मजबूत, स्थिर समाज के निर्माण में माता-पिता के मार्गदर्शन की भूमिका का समर्थन करते हैं.
बदलते समय में बच्चे व पेरेंट्स ऐसे बनाएं रिश्ते को मजबूत: माता-पिता और बच्चों के बीच एक खास प्यार बना रहे. ऐसे में संबंध मजबूत बनाने के लिए माता-पिता और बच्चों, दोनों को व्यक्तिगत रूप से प्रयास आना चाहिए. इस साल का थीम पालन-पोषण की शक्ति-खुश, स्वस्थ और आशावान बच्चों का पालन-पोषण करना. वहीं, आज के समय में माता-पिता का बच्चों के साथ मजबूत संबंध बनाए रखने के लिए कई बातों का ख्याल रखना बहुत जरूरी है. मनोवैज्ञानिक की मानें तो माता-पिता को बच्चों से ऐसी अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए कि वह अपनी भूमिका अच्छी तरह निभा रहे हैं और इसी तरह बच्चों को भी अपने माता-पिता से अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए. ऐसा तभी संभव है जब दोनों तरफ से रिश्ते मजबूत होंगे.
बच्चों से कब किस तरह का करें व्यवहार: पीजीआई में मनोवैज्ञानिक और एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. निधि चौहान बताया कि माता-पिता और बच्चों के संबंध को मजबूत करने के लिए नियमों के पालक, मार्गदर्शक और मित्रता बहुत जरूरी है. बच्चा जब सात से आठ साल का है तो वह जब भी गलती करे तो माता-पिता को उसे मार्गदर्शन देना चाहिए. जरूरत पड़े तो उन्हें नियम में भी रखना आवश्यक है. 12 से 15 साल की उम्र में बच्चे को उनकी गलतियों में मार्गदर्शन दे सकते हैं, लेकिन, 15 साल की उम्र के बाद आपको उनका मित्र बन जाना चाहिए. इस उम्र में केवल प्रेम और समझ ही बच्चों के दिल माता पिता के दिल से जोड़ सकती है, लेकिन व्यवहारिक रूप से उसमें थोड़ा अंतर होता है.
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अपने बच्चों को बिना शर्त प्यार करें: माता-पिता और बच्चों के बीच इस अनमोल रिश्ते में क्या ध्यान रखें, ताकि आपका बच्चा बड़ा होकर सुखी और आत्मविश्वासी बन सके. इस बारे में डॉ. निधि चौहान कहती हैं कि, हर एक बच्चा जन्म से ही अपने संस्कार तो लेकर नहीं आता है. आपको बस उनकी मदद करनी है और उनका पालन-पोषण करना है ताकि वे फलें-फूलें. अपने आपको और अपने बच्चे को बिना शर्त प्यार करें. बच्चों की अच्छी बातों को प्रोत्साहित करें और बुरी बातों पर ध्यान ना दें. इससे उनमें सकारात्मकता का इतना विकास होगा कि नकारात्मकता अपने आप दूर हो जाएगी. कुछ समय लें और अपने बच्चों की अच्छी बातों को सूचीबद्ध करें, जिनकी आप प्रशंसा करते हैं. एक आंख में प्रेम और एक आंख में कठोरता रखकर एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाने का प्रयास करें.
डॉ. निधि कहती हैं कि, सख्ती का मतलब गुस्सा नहीं बल्कि कुछ खास परिस्थितियों में व्यवहार करें. ऐसे माता-पिता भी होते हैं जो हमेशा अपने बच्चों को निर्देश देते रहते हैं, नियम बताते रहते हैं, लेकिन ऐसे ना करें. क्योंकि, अधिक देखभाल से बच्चों का दम घुटता है. उन्हें हेलीकॉप्टर पेरेंट्स बोला जाता है. इस तरह की देखभाल से माता-पिता और बच्चों के संबंध पर असर पड़ता है.
आज के समय में पेरेंटिंग के कई प्रकार: मनोवैज्ञानिक एसोसिएट प्रोफेसर, डॉ. निधि चौहान बताया कि इस समय किस तरह की पेरेंटिंग की जा रही है इसका एक उत्तर नहीं होगा. आजकल के ज्यादातर मां-बाप अपने बच्चों की हर तरह की समस्याओं को समझते हैं और उन्हें सपोर्ट भी करते हैं. लेकिन, वहीं जहां माता-पिता और बच्चों के बीच में संबंध सही नहीं रहते वह हमारे पास उन समस्याओं को लेकर पहुंचते हैं. दूसरी तरफ कुछ ऐसे माता-पिता होते हैं, जो जाने अनजाने में अपने बच्चों के साथ सख्त रुख अपना लेते हैं.
बच्चों को बनाएं जिम्मेदार: डॉ. निधि ने बताया कि, अगर हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे समझदार हों तो अभिभावकों को चाहिए कि वे अपने बच्चों को जिम्मेदार बनाएं. जिम्मेदार परवरिश का मतलब है कि बच्चे को अनुशासन में रखना जरूरी है, लेकिन बच्चे के साथ मार पिटाई कर कर उसे झपट कर नहीं. बच्चे की बात को समझना उसके भाव को समझना, एकांत में समय बिताना और अगर कोई बच्चा अपने व्यवहार में बदलाव कर रहा है तो उसकी वजह जानना. ऐसे में अगर अभिभावकों को समझ आ जाता है कि उनके बच्चे को किस तरह की समस्या आ रही है तो उन माता-पिता को अपने बच्चे से जुड़ी हर तरह समस्या को समझने का गुण आ गया है.
बच्चों को दें अधिक समय: डॉ. निधि ने बताया कि, हमारे पास शिकायत लेकर आने वाले माता पिता को हम यही कहते हैं कि जब बच्चा पैदा होता है तो उसे कुछ पता नहीं होता है. लेकिन, जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है. तो माता-पिता कैसे उन बच्चों के स्वभाव को समझते हैं यह जानना महत्वपूर्ण है. इसी दौरान एक बच्चों में उनका अपना चरित्र बनना शुरू होता है. जिन परिवारों में बच्चे के साथ बातचीत की जाती है, उनके साथ समय बिताया जाता है, उन परिवारों के बच्चे जीवन के हर स्तर पर अपनी बात कहने में नहीं झुकते हैं. वहीं, जिन परिवारों में बच्चों की बात को कोई नहीं सुनना चाहता और ना ही ध्यान दिया जाता है, उन परिवारों के बच्चों को आगे जाकर कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में जरूरी है कि अपने साथ-साथ अपने बच्चों पर अधिक से अधिक समय दें.