चंडीगढ़/दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए कई मेडल जीत चुके अर्जुन अवॉर्डी गूंगा पहलवान उर्फ वीरेंद्र सिंह (gunga pehelwan virender singh dharna) अपना पद्मश्री अवॉर्ड लेकर घर नहीं गए बल्कि दिल्ली स्थित हरियाणा भवन के बाहर धरने पर बैठ गए. उनका कहना कि जब तक हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर उनकी मांग पूरी नहीं करेंगे वह वहां से नहीं जाएंगे.
झज्जर के गांव सासरौली के वीरेंद्र सिंह को पैरा पहलवान के तौर पर योगदान के लिए मंगलवार को पद्म श्री सम्मान मिला है, लेकिन उनकी शिकायत है कि हरियाणा सरकार द्वारा उन्हें समान अधिकार नहीं दिया दिया जा रहा है, जबकि केंद्र सरकार उन्हें सम्मानित कर रही है. उन्होंने ट्विटर पर अपनी तस्वीर शेयर करते हुए लिखा कि माननीय मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर जी आपके आवास दिल्ली, हरियाणा भवन के फुटपाथ पर बैठा हूं और यहां से जब तक नहीं हटूंगा जब तक आप हम मूक-बधिर खिलाड़ियों को पैरा खिलाड़ियों के समान अधिकार नहीं देंगे, जब केंद्र हमें समान अधिकार देती है तो आप क्यों नहीं?.
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राष्ट्रपति भवन में एक समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने वीरेंद्र सिंह को मंगलवार को पद्म श्री से सम्मानित किया और इस फोटो को हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने भी ट्वीट किया और पहलवान को बधाई दी. इस पर वीरेंद्र सिंह ने कहा कि वह पैरा खिलाड़ियों के लिये भी समान पुरस्कार राशि चाहते हैं और साथ ही उन्होंने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी इस संबंध में बात की है.
डेफलंपिक्स में 74 किग्रा वर्ग में तीन स्वर्ण और एक कांस्य पदक जीतने वाले सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री अगर आप मुझे पैरा एथलीट मानते हैं तो आप पैरा एथलीट वाले सारे अधिकार मुझे क्यों नहीं देते. उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि पिछले चार वर्षों से मैं दर दर की ठोकर खा रहा हूं. मैं आज भी जूनियर कोच हूं और मुझे कोई नकद पुरस्कार नहीं मिला है. कल मैंने इस बारे में प्रधानमंत्री मोदी से भी बात की थी, अब फैसला आपके हाथ में है.
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वीरेंद्र सिंह के भाई रामबीर सिंह ने कहा कि वह पैरा-एथलीटों की तरह बधिर खिलाड़ियों के लिए प्रोत्साहन और सरकारी नौकरियों के लिए वर्षों से हरियाणा के मंत्रियों के पास जा रहे हैं. 2017 में, राज्य सरकार ने उनके लिए 6 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि की घोषणा की, जो अभी तक प्राप्त नहीं हुई है. ग्रेड ए की नौकरी की घोषणा की गई थी, नहीं मिली. उसके पास ग्रेड सी की नौकरी है. इसलिए अब वे विरोध कर रहे हैं.
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