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कृषि कानूनों पर शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व से ही करेंगे बातचीत- किसान

कृषि कानूनों को विरोध में आंदोलन कर रहे किसानों का कहना है कि सरकार को तुरंत ही इस मामले में राष्ट्रीय खुफिया एजेंसियों और गृहमंत्रालय की तरफ से बात करने के जरिए को बंद कर देना चाहिए. किसान केवल शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व से ही बातचीत करेंगे.

farmers protest political leader
कृषि कानूनों पर शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व से ही करेंगे बातचीत- किसान
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Published : Nov 29, 2020, 4:27 PM IST

चंडीगढ़ः केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को किसानों से अपील की थी कि वे अपना विरोध प्रदर्शन करने के लिए दिल्ली के बुराड़ी मैदान में चले जाएं. साथ ही उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार किसानों से सशर्ता वार्ता करने को तैयार है. लेकिन गृह मंत्री की अपील के बाद किसान और नाराज नजर आए. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति का कहना है कि वो शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व से ही बातचीत करेंगे.

किसानों के लिए है धमकी!

एआईकेएससीसी का कहना है कि सरकार को तुरंत ही इस मामले में राष्ट्रीय खुफिया एजेंसियों और गृहमंत्रालय की तरफ से बात करने के जरिए को बंद कर देना चाहिए. किसान उम्मीद करते हैं कि इसका समाधान राजनीतिक होगा. उनका कहना है कि किसान उसी से बातचीत करेंगे जो सरकार के सर्वोच्च स्तर से आएगा. सरकार का गृह मंत्रालय को शामिल करने का प्रस्ताव किसानों के लिए एक धमकी के अलावा कुछ नहीं है और ये उसकी ईमानदारी के प्रति कोई विश्वास पैदा नहीं करता.

1 दिसंबर से राज्य स्तर पर विरोध

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय के वर्किंग ग्रुप ने सभी किसान संगठनों से अपील की है कि तुरंत दिल्ली की ओर किसानों की गोलबंदी तेज करें. उसने सभी कॉरपॉरेट विरोधी, किसान पक्षधर ताकतों से अपील की है कि वे एक साथ मिलकर विरोध आयोजित करें. अखिल भारतीय गोलबंदी को तेज करने के साथ-साथ उसने 1 दिसम्बर 2020 से राज्य स्तर पर विरोध आयोजित करने की अपील की है.

ये भी पढ़ेंः सिंघु बॉर्डर पर डटे किसान, यहीं से कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ी जाएगी लड़ाई

सशर्त बातचीत की पेशकश की निंदा

किसानों का कहना है कि अगर सरकार उनकी मांगों को उनसे बातचीत करने पर जरा भी गंभीर है तो तो उसे शर्तें लगाना बंद कर देना चाहिए. साथ ही सरकार को ये मान कर नहीं चलना चाहिए कि वार्ता का अर्थ किसानों को कृषि कानूनों का लाभ समझाना है. किसान अपनी मांगों पर बहुत स्पष्ट हैं. बता दें गृह मंत्री अमित शाह ने किसानों से सशर्त जल्दी मिलने की बात कही थी. जिसको लेकर किसान और नाराज नजर आए. उनका कहना है कि सरकार को बिना शर्त खुले दिल से बातचीत की पेशकश करनी चाहिए.

किसान सरकार आमने-सामने

कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली- हरियाणा की सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान जमे हैं. आज किसान आंदोलन को लगातार चौथा दिन हो चुका है. उसके बावजूद किसान ठिठुरती ठंड में पानी की बौछारों और आंसू गैस के गोलों के बीत अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं. जिसमें मुख्यत पंजाब और हरियाणा के किसान हैं लेकिन मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और राजस्थान के किसान भी यहां आए हुए हैं. सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर हजारों की संख्या में किसान ट्रकों, ट्रैक्टरों और अन्य वाहनों में पहुंचे हैं.

ये भी पढ़ेंः सोनीपत: गुप्त स्थान पर चल रही किसान यूनियनों की मीटिंग, आगामी रणनीति पर होगा फैसला

चंडीगढ़ः केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को किसानों से अपील की थी कि वे अपना विरोध प्रदर्शन करने के लिए दिल्ली के बुराड़ी मैदान में चले जाएं. साथ ही उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार किसानों से सशर्ता वार्ता करने को तैयार है. लेकिन गृह मंत्री की अपील के बाद किसान और नाराज नजर आए. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति का कहना है कि वो शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व से ही बातचीत करेंगे.

किसानों के लिए है धमकी!

एआईकेएससीसी का कहना है कि सरकार को तुरंत ही इस मामले में राष्ट्रीय खुफिया एजेंसियों और गृहमंत्रालय की तरफ से बात करने के जरिए को बंद कर देना चाहिए. किसान उम्मीद करते हैं कि इसका समाधान राजनीतिक होगा. उनका कहना है कि किसान उसी से बातचीत करेंगे जो सरकार के सर्वोच्च स्तर से आएगा. सरकार का गृह मंत्रालय को शामिल करने का प्रस्ताव किसानों के लिए एक धमकी के अलावा कुछ नहीं है और ये उसकी ईमानदारी के प्रति कोई विश्वास पैदा नहीं करता.

1 दिसंबर से राज्य स्तर पर विरोध

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय के वर्किंग ग्रुप ने सभी किसान संगठनों से अपील की है कि तुरंत दिल्ली की ओर किसानों की गोलबंदी तेज करें. उसने सभी कॉरपॉरेट विरोधी, किसान पक्षधर ताकतों से अपील की है कि वे एक साथ मिलकर विरोध आयोजित करें. अखिल भारतीय गोलबंदी को तेज करने के साथ-साथ उसने 1 दिसम्बर 2020 से राज्य स्तर पर विरोध आयोजित करने की अपील की है.

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सशर्त बातचीत की पेशकश की निंदा

किसानों का कहना है कि अगर सरकार उनकी मांगों को उनसे बातचीत करने पर जरा भी गंभीर है तो तो उसे शर्तें लगाना बंद कर देना चाहिए. साथ ही सरकार को ये मान कर नहीं चलना चाहिए कि वार्ता का अर्थ किसानों को कृषि कानूनों का लाभ समझाना है. किसान अपनी मांगों पर बहुत स्पष्ट हैं. बता दें गृह मंत्री अमित शाह ने किसानों से सशर्त जल्दी मिलने की बात कही थी. जिसको लेकर किसान और नाराज नजर आए. उनका कहना है कि सरकार को बिना शर्त खुले दिल से बातचीत की पेशकश करनी चाहिए.

किसान सरकार आमने-सामने

कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली- हरियाणा की सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान जमे हैं. आज किसान आंदोलन को लगातार चौथा दिन हो चुका है. उसके बावजूद किसान ठिठुरती ठंड में पानी की बौछारों और आंसू गैस के गोलों के बीत अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं. जिसमें मुख्यत पंजाब और हरियाणा के किसान हैं लेकिन मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और राजस्थान के किसान भी यहां आए हुए हैं. सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर हजारों की संख्या में किसान ट्रकों, ट्रैक्टरों और अन्य वाहनों में पहुंचे हैं.

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