चंडीगढ़ः देश में किसानों की आय का मुद्दा काफी गंभीर हो चुका है. सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद किसानों की आय नहीं बढ़ पा रही है. जिसके चलते देश का किसान बदहाली की जिंदगी जीने के लिए मजबूर है.
हर साल हजारों किसान आत्महत्या कर रहे हैं. लेकिन इसका समाधान नहीं निकल पा रहा है. सरकार ने 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का वादा किया था. लेकिन आज के हालातों को देखकर यही लगता है कि सरकार इस वादे को शायद पूरा ना कर पाए.
इसी सिलसिले में हमने जाने-माने कृषि विशेषज्ञ गुरिंदर सिंह बाजवा से बात की. उन्होंने कहा कि ऐसे कई रास्ते हैं, जिन्हें अगर किसान खुद अपना लेते है तो अपने बल पर ही अपनी आय को बढ़ा सकते हैं. उसे किसी से कोई सहायता लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
पंरपरागत खेती से अलग हटकर सोचे किसान
बाजवा ने कहा कि किसानों की सीमित आय के होने का सबसे बड़ा कारण यह है कि किसान पूरा साल परंपरागत खेती यानी गेहूं और चावल की फसलों में ही उलझे रहते हैं और दूसरी फसलों के बारे में नहीं सोचते. ऐसी कई फसलें हैं, जिन्हें अपनाकर वे ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं.
जैसे किसान फ्लोरीकल्चर, एग्जॉटिक वेजिटेबल्स, हाइब्रिड वेजिटेबल्स और फूलों की खेती करके ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं. उन्होंने कहा कि किसान 2 कनाल जगह के पॉलीहाउस में 1 एकड़ जमीन के बराबर पैदावार ले सकता है. जिससे छोटे किसान भी ज्यादा फायदा कमा सकते हैं.
खेती के साथ छोटे-छोटे काम कर सकते हैं किसान
इसके अलावा किसान छोटे-छोटे धंधे भी कर सकते हैं. जैसे डेयरी का काम करना और पोल्ट्री शुरू करना. इससे भी किसान अपनी आय को बढ़ा सकते हैं. आजकल मशरूम की खेती में भी काफी किसान हाथ आजमा रहे हैं.
मशरूम उगाने के 2 फायदे हैं. एक तो मशरूम की कीमत बाजारों में काफी अच्छी मिलती है, जिससे किसान को काफी मुनाफा होता है और दूसरा किसान के पास जो एग्रीकल्चर वेस्ट यानी पराली आदि बच जाती है, उसका इस्तेमाल मशरूम उगाने में किया जा सकता है. इससे उसे पराली से भी छुटकारा मिल जाएगा और उसके पास मुनाफा भी आएगा.
किसानों के लिए कई योजनाएं चला रही है सरकार
उन्होंने कहा कि सरकार भी किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई तरह की योजनाएं चला रही है. शायद किसानों को इन सभी योजनाओं के बारे में जानकारी ना हो. सरकार फल सब्जियों की खेती करने, पोल्ट्री का व्यापार शुरू करने, डेयरी का काम शुरू करने और पॉली हाउस लगाने के लिए लोन देती है और उस पर 50 से 70 फीसदी तक सब्सिडी देती है. जो किसान के लिए अच्छी योजनाएं हैं.
किसान इन्हें अपनाकर अपना काम शुरू कर सकते हैं और उन्हें इसके लिए ज्यादा पैसे खर्च ने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी. लेकिन इस तरह के काम ट्रेनिंग लेकर ही शुरू करने चाहिए. तभी इसमें सफलता मिल सकती है. सरकार की ओर से किसानों को फ्री ट्रेनिंग भी दी जा रही है.
फसलों में दवाओं का इस्तेमाल घातक
फसलों में दवाइयों के इस्तेमाल के बारे में बात करते हुए गुरिंदर सिंह बाजवा ने कहा कि एक तो किसान की आय पहले ही कम है और दूसरा अत्याधिक मात्रा में दवाइयों का इस्तेमाल करने से फसलों की पैदावार बढ़ने की बजाय कम होती जा रही है.
दवा कंपनियों के बहकावे में आकर किसान जरूरत से ज्यादा दवाइयों का इस्तेमाल कर रहा है. इस वजह से धरती की उर्वरा शक्ति कम होती जा रही है और उसे किसान को पैदावार भी कम मिल रही है.
बाजवा ने कहा किसान को अपनी फसलों में कम से कम दवाइयों का प्रयोग करना चाहिए और वह भी कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के साथ करना चाहिए. किसानों को फल, सब्जी और फूलों की खेती शुरू करनी चाहिए, तभी वह अपनी आय बढ़ा पाएगा. उसे डेयरी , पोल्ट्री, मछली पालन जैसे व्यवसायों को भी शुरू करना चाहिए. इससे किसान की आय आसानी दुगनी हो सकती है.
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