चंडीगढ़: वाड्रा-डीएलएफ लैंड डील मामला कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा और प्रमुख भारतीय रियल एस्टेट डेवलपर डीएलएफ लिमिटेड के बीच हुआ था. रॉबर्ट वाड्रा और डीएलएफ के बीच ये सौदा फरवरी 2008 में हुआ था. रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने गुड़गांव के मानेसर-शिकोहपुर में ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से 7.5 करोड़ रुपये में करीब 3.5 एकड़ जमीन खरीदी थी. इस प्लॉट का म्यूटेशन अगले ही दिन स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी के पक्ष में कर दिया गया और 24 घंटे के अंदर जमीन का मालिकाना हक रॉबर्ट वाड्रा को ट्रांसफर कर दिया गया.
भूपेंद्र हुड्डा सरकार पर आरोप- जमीन की ये डील जब हुई उस समय हरियाणा में कांग्रेस की सरकार थी और भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री थे. माना जाता है कि इस प्रक्रिया में आम तौर पर 3 महीने लग जाते हैं. जमीन खरीदने के करीब एक महीने बाद हुड्डा सरकार वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी को इस जमीन पर आवासीय परियोजना विकसित करने का परमीशन दे देती है. आवासीय परियोजन का लाइसेंस मिलने के बाद जमीन के दाम बढ़ जाते हैं. लाइसेंस मिलने के मुश्किल से दो महीने बाद ही वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी से जून 2008 में डीएलएफ ये जमीन 58 करोड़ में खरीदने को तैयार हो जाती है. यानि मुश्किल से चार महीने में 700 प्रतिशत से ज्यादा का मुनाफा वाड्रा की कंपनी को होता है. वहीं 2012 में हुड्डा सरकार कॉलोनी बनाने वाले लाइसेंस को डीएलएफ को ट्रांसफर कर देती है.
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मामले में अशोक खेमका की एंट्री- अक्टूबर 2012 में भूमि अभिलेख पंजीकरण विभाग के महानिदेशक रहे आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ने शिकोहपुर गांव में 3.531 एकड़ के भूखंड के म्यूटेशन को, जिसे वाड्रा ने डीएलएफ यूनिवर्सल को 58 करोड़ रुपये में बेचा था उसे रद्द कर दिया. इसके बाद मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के आदेश पर 11 अक्टूबर 2012 को खेमका का तबादला कर दिया गया. जिसके बाद इस मामले ने और सियासी तूल पकड़ लिया.
वाड्रा के खिलाफ बीजेपी का कैंपेन- 2014 में हरियाणा में विधानसभा चुनाव होना था इसलिए इस मुद्दे पर जमकर सियासी हंगामा हुआ जिसने कांग्रेस को बैकफुट पर धकेल दिया और ये मामला बीजेपी के लिए संजीवनी बन गया. ये मामला 2012 के बाद लगातार काफी वक्त तक राष्ट्रीय सुर्खियां बना रहा. आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने भी वाड्रा पर सौदे में भ्रष्टाचार और अनियमितता का आरोप लगाया. विपक्षी दलों खासकर बीजेपी ने ही सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी पर वाड्रा को बचाने और जांच में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया था. और रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ जमकर प्रचार किया था. भारतीय जनता पार्टी ने आरोप लगाया था कि वाड्रा और कांग्रेस पार्टी के बीच एक लेन-देन था और यह सौदा भ्रष्टाचार और क्रोनी पूंजीवाद का एक उदाहरण है.
पीएम मोदी ने बनाया मुद्दा- सोनिया गांधी और राहुल गांधी सहित कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं पर हमला करने के लिए विपक्षी दलों द्वारा इस मद्दे को जमकर इस्तेमाल किया गया. इसके बहाने भाजपा ने अपने आप को भ्रष्टाचार से लड़ने और शासन में पारदर्शिता की हिमायती होने के रूप में पेश किया. यहां तक कि 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान, नरेंद्र मोदी ने वाड्रा-डीएलएफ भूमि सौदे को एक प्रमुख मुद्दा बनाया और कांग्रेस पार्टी पर क्रोनी पूंजीवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया. 2019 लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर 2018 में, मोदी ने वाड्रा को 'दामाद श्री' कहकर कांग्रेस पर कटाक्ष किया था.
ताजा विवाद क्या है- हरियाणा में सांसद और विधायकों पर दर्ज मामलों से संबंधित एक हलफनामे में हरियाणा सरकार ने कहा है कि तहसीलदार, मानेसर, गुरुग्राम द्वारा यह बताया गया है स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने 18 सितंबर, 2012 को डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड को 3.5 एकड़ की जो जमीन बेची थी उसमें किसी भी नियम या कानून का उल्लंघन नहीं किया गया था. इस मामले में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और वाड्रा समेत कई लोगों के खिलाफ 2018 में मामला दर्ज किया गया था. भूपेंद्र हुड्डा के खिलाफ दर्ज मामले की जानकारी देते हुए सरकार ने ये हलफनामा पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में दाखिल किया है. कभी रॉबर्ट वाड्रा जमीन मामले को लेकर कांग्रेस पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाली बीजेपी सरकार ने एक तरह से वाड्रा को क्लीन चिट दे दी है. हालांकि बीजेपी क्लीन चिट देने से इनकार कर रही है.
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