चंडीगढ़: संसद के बजट सत्र में अब कुछ ही दिन बाकी है. इस बार यह सत्र दो बार चलेगा. इसका पहला सेशन 31 जनवरी से शुरू होकर 11 फरवरी तक चलेगा. दूसरी बार यह 14 मार्च से 8 अप्रैल तक चलाया जाएगा. आम बजट देश की अर्थव्यवस्था को तय करता (Union Budget 2022) है. इस बजट में राज्यों को भी अलग-अलग योजनाओं के लिए बजट दिया जाता है. राज्यों को केंद्रीय परिवर्तित योजनाओं के जरिए पैसा मिलता है. दूसरी ओर केंद्रीय परिवर्तित करों में भी राज्यों की हिस्सेदारी निर्धारित होती है. केंद्रीय बजट में हरियाणा की कितनी हिस्सेदारी है. हरियाणा को बजट में कितना पैसा मिला है या आने वाले दिनों में मिलेगा इसको लेकर हमने अर्थशास्त्री बिमल से बात की.
डॉ. बिमल अंजुम ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से हरियाणा में अलग-अलग योजनाओं को लेकर 2021 से 2025 तक के लिए 63 हजार दो सौ अस्सी करोड़ रुपए निर्धारित किए गए हैं. जो आने वाले समय में हरियाणा को मिलने शुरू हो जाएंगे. अगर पिछले साल टैक्स की संख्या की बात की जाए तो हरियाणा को पिछले साल सात हजार आठ सौ अस्सी करोड़ रुपये दिए गए थे. यह राज्यों को दिए जाने वाले कुल बजट का हिस्सा होता है. यह हिस्सेदारी केंद्र सरकार तय करती है. हरियाणा को मिलने वाला हिस्सा 1.093 प्रतिशत है. अगर हम पिछले सालों के मुकाबले इसकी तुलना करें तो यह पहले से ज्यादा है. क्योंकि इससे पहले हरियाणा को 1.08 प्रतिशत तक ही हिस्सा मिल पाता था. हालांकि ऐसी संभावना है कि अब यह हिस्सेदारी भविष्य में कम होती जाएगी.
विमल अंजुम ने कहा कि अगर टैक्स की हिस्सेदारी को देखा जाए तो हरियाणा का हिस्सा करीब आठ हजार करोड़ रुपये बनता है लेकिन किस राज्य को कितना हिस्सा मिलेगा यह केंद्र सरकार तय करती है. इसके लिए कई बातों को ध्यान में रखा जाता है. सबसे पहली बात तो यह है कि किस राज्य से कितना टैक्स आ रहा है, उसके हिसाब से केंद्र उस राज्य को हिस्सा देती है. इसके अलावा राज्य में कितनी योजनाएं शुरू करनी है. राज्य की स्थिति कैसी है के अलावा राज्य के आर्थिक हालात को भी देखा जाता है. उसके हिसाब से यह हिस्सेदारी तय की जाती है.
जहां तक हरियाणा की बात है तो हरियाणा का बड़ा हिस्सा अब एनसीआर में आता है. दूसरी ओर हरियाणा में इंडस्ट्री भी तेजी से बढ़ रही है. खासतौर पर ऑटो मोबाइल और आईटी इंडस्ट्री में हरियाणा काफी तरक्की कर रहा है. इससे केंद्र सरकार को यह लगने लगा है कि हरियाणा अब अपने बलबूते पर आगे बढ़ सकता है. इसलिए उसका हिस्सा भी कम किया जा सकता है.वहीं दूसरी ओर पड़ोसी राज्यों पंजाब और हिमाचल प्रदेश का हिस्सा बढ़ाया जा रहा है. क्योंकि केंद्र सरकार को लगता है कि इन दोनों राज्यों में हरियाणा के मुकाबले आर्थिक संकट ज्यादा है. इसलिए वहां पर विभिन्न योजनाओं को चलाया जाना जरूरी है. इस वजह इन दो राज्यों का हिस्सा बढ़ाया जा रहा है.
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