चंडीगढ़/जयपुर. देशभर में आशुतोष गोवारिकर की फिल्म पानीपत विवादों में चल रही है. भरतपुर के महाराजा सूरजमल का चित्रण गलत तरीके से किए गए चित्रण के कारण जाट समाज तो उद्वेलित है ही, साथ ही महाराजा सूरजमल की 14वीं पीढ़ी से आने वाले और प्रदेश के पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह भी इससे खासे नाराज दिख रहे है.
पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने तो मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग तक कर डाली है. साथ ही इस तरह की फिल्म की स्क्रीनिंग के लिए प्रदेश स्तर पर स्क्रीनिंग कमेटी का गठन करने का सुझाव भी दिया है.
पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने साफ तौर पर कहा है कि यह फिल्म प्रतिबंधित नहीं की जाती है तो प्रदेश में इसके कारण बिगड़ने वाली कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी सरकार की होगी. साथ ही बताया कि हमारे भरतपुर राजपरिवार ने तो पेशवा और मराठा, जब पानीपत युद्ध हार कर और घायल होकर लौट रहे थे तो 6 माह तक संपूर्ण मराठा सेना और पेशवा को अपने यहां पनाह दी थी.
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उन्होंने कहा कि मराठा और पेशवा पानीपत का युद्ध लड़ने जा रहे थे, तब महाराजा सूरजमल ने उन्हें कहा था कि आप की सेना उनका मुकाबला नहीं कर पाएगी. उस वक्त मराठा और पेशवा ने नाराज होकर यह कहा था कि हम तो अभी जा रहे है, लेकिन वहां से लौटते समय तुम्हें भी नहीं छोड़ेंगे.
विश्वेंद्र सिंह के अनुसार युद्ध में मराठा और पैसों का क्या हुआ यह तो जगजाहिर है बावजूद इसके महाराजा सूरजमल ने 6 माह तक इनकी सेना और महिलाओं को अपने यहां शरण दी और ऐसे ही शरण देने वाले महाराज का चित्रण इस फिल्म में एक लालची महाराज के रूप में किया जा रहा है. मतलब इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है, जो हरगिज बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
हटे विवादित अंश और निर्माता-निर्देशक मांगे माफी
पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने कहा कि इस फिल्म में गलत तरीके से हुए चित्रण से कई समाज के लोग नाराज है, जिससे देश में कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है. ऐसे में सरकार को सोचना होगा कि इस फिल्म पर बैन लगाया जाए. साथ ही फिल्म निर्देशक को इस फिल्म से उन अंशों को हटाना चाहिए और साथ ही इसके लिए सार्वजनिक रूप से फिल्म निर्माता और निर्देशक को माफी भी मांगना चाहिए.