चंडीगढ़: हरियाणा विद्युत प्रसारण ने एक अद्भुत कारनामा करके दिखाया है, जहां विभाग ने एक मृतक व्यक्ति के नाम एफआईआर करवा दी. निगम के इस कारनामे से मृतक के परिवार के साथ-साथ हाईकोर्ट ने भी हैरानगी जताई है.
क्या है मामला
मामला है कि समालखा तहसील की विद्युत प्रसारण निगम ने पवन कुमार नाम के एक व्यक्ति के खिलाफ बिजली चोरी का मामला दर्ज करवाया था. जबकि इस व्यक्ति की मृत्यु 25 मई 2007 को हो चुकी है. अब विभाग के इस कारनामे के बाद मृतक की पत्नी ने हरियाणा बिजली वितरण के खिलाफ पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की है.
मृतक की पत्नी मनीषा शर्मा ने हाई कोर्ट को बताया कि उसके पति की 2007 में मृत्यु हो गई थी और उसके पति का सरकारी रिकॉर्ड में स्वर्गीय पवन कुमार नाम दर्ज है. मनीषा ने कोर्ट को ये भी बताया कि बिजली का मीटर खराब था, जिसके लिए उसने एसडीओ समालखा को एक लेटर भी लिखा. आगे उसने बताया कि कुछ ही दिन बाद विभाग से कर्मचारी आए और बोले आपको मीटर खराब है आप पर लाखों का जुर्माना हो सकता है, लेकिन आप हमें 7000 दे दो हम नया मीटर लगवा देंगे.
बिजली विभाग ने जारी किया नोटिस
बिजली निगम ने कुछ दिनों बाद मनीषा को नोटिस भेजा और उसे 90 हजार का जुर्माना भरने को कहा. नोटिस में लिखा गया कि उसके घर पर 26 जून 2015 को बिजली चेकिंग की गई और उसको चोरी करते पकड़ा गया. जबकि मनीषा ने बताया कि सीएम विंडो पर शिकायत देने के बाद 26 जून 2015 को बिजली विभाग के कर्मचारी उसके घर आए और उसका पुराना मीटर उतार कर ले गए और नया मीटर लगा गए. जिसके बाद से उसने लगातार बिजली का बिल भरा है.
दफ्तर-दफ्तर की जा चुकी है शिकायत
याचिकाकर्ता के वकील प्रवीण रोहिला ने हाई कोर्ट को बताया कि बिजली विभाग के नियम के तहत अगर उपभोक्ता का मीटर जलता है और वह लगातार बिल पेमेंट करता है, तो उसे किसी तरह की कोई पेनेल्टी नहीं लगाई जा सकती. हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम के सेल क्लॉज 8.3.3 में यह स्पष्ट प्रावधान है.
साथ ही वकील प्रवीण रोहिला ने कहा कि इसके खिलाफ मनीषा ने एसडीओ राकेश दहिया को शिकायत दी थी. वहां मौजूद सीए सुनील अरोड़ा ने एसडीओ को बताया कि यह नोटिस एक्सईएन साहब ने तैयार करवाया था, क्योंकि यह महिला निगम के खिलाफ सीएम विंडो में शिकायत देने गई थी.
हाईकोर्ट ने जताई आपत्ति
मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने विद्युत विभाग के अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि यह क्या और कैसे किया जा रहा है. क्या सरकार की आंखें बिल्कुल बंद है. आखिर सरकार की तरफ से कोर्ट को क्यूं नहीं बताया गया कि पुलिस ने एफआईआर एसडीओ की शिकायत पर की है.
एसडीओ तो अभी जीवित है ना- कोर्ट
साथ ही कोर्ट ने निगम के अधिकारियों से कहा कि उन्होंने एसडीओ से पूछताछ क्यों नहीं की, एसडीओ तो अभी भी जीवित है ना. कोर्ट ने कहा की जब मृत्यु का नाम बिजली विभाग के रिकॉर्ड में स्वर्गीय के नाम से अंकित है, तो फिर ये कैसे हो सकता है. क्या निगम का काम को लोगों को मानसिक तौर पर तंग करना है. हाई कोर्ट में कड़ा रुख अपनाते हुए बिजली विभाग के एमडी, एक्सईएन, एसडीओ को इस मसले पर जवाब देने का आदेश दिया. इसी के साथ हाई कोर्ट ने इस मामले में दर्ज एफआईआर पर कार्रवाई पर फिलहाल रोक लगा दी है.