चंडीगढ़: इन दिनों हरियाणा में कुत्तों का आतंक फैला हुआ है. हर साल करीब 15 हजार से 17 हजार तक आवारा और पालतू कुत्तों के काटने के मामले सामने आ रहे हैं. एक्सपर्ट का मानना है कि गर्मियों के दिनों में कुत्ते के काटने के मामले ज्यादा सामने आते हैं. इसके कई कारण भी हो सकते हैं. पंचकूला के पेट मेडिकल सेंटर में बतौर स्पेशलिस्ट वेटरनरी ऑफिसर सुदेश कुमार ने बताया कि रोजाना 100 के करीब पेट डॉग्स उनके पास इलाज के लिए पहुंचते हैं.
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सिर्फ आवारा ही नहीं बल्कि पालतू कुत्तों के काटने के मामले भी काफी संख्या में बढ़ रहे हैं. सुदेश के मुताबिक गर्मियों के दिनों में गर्मी से बचने के लिए पालतू कुत्ते ठंडी या छांव वाली जगहों में बैठना पसंद करते हैं. ऐसे में लोगों उन्हें परेशान करते हैं. जिससे कि कुत्तों के काटने का एक बड़ा कारण रहता है. तो गर्मियों के दिनों में अगर आपके आसपास स्ट्रे डॉग छांव में या ठंडी जगह पर हो तो ऐसे में उन्हें हटाने में सावधानी बरतें, ऐसी स्थिति में बच्चों को भी इनसे दूर रखने का प्रयास करें.
कई बार भूख के कारण भी कुत्ते काट सकते हैं. कुत्ते की पूंछ में हाथ लगाना भी डॉग बाइट का कारण बन सकता है. पालतू कुत्ते को पर्याप्त मात्रा में ना घुमाना भी उन्हें चिड़चिड़ा बना सकता है. कोशिश ये रहनी चाहिए कि जब भी कुत्ते को घुमाने के लिए निकलें तो उसे चैन से बांधे और मुंह भी ढका होना चाहिए. एक्सपर्ट सुदेश कुमार ने बताया कि आवारा कुत्तों के साथ आई कॉन्टेक्ट नहीं करना चाहिए. ऐसी स्तिथी में कुत्ते के काटने का खतरा बढ़ जाता है. अगर ऐसी कोई स्थिति बने भी तो कुत्तों के भौंकने पर तुरंत जमीन पर हाथ लगाना चाहिए या पत्थर उठा सकते हैं. ताकि वो आपसे दूर हो सके.
सुदेश कुमार ने बताया कि जितना दिमाग या सिर के आसपास डॉग बाइट होगी उतना ज्यादा खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में 12 घंटे में इंजेक्शन लगवाना जरूरी रहता है. डॉग बाइट होने पर हल्दी या नमक के घरेलू नुस्खों को ना अपनाते हुए सीधा डॉक्टर की उपचार लेना आवश्यक है. डॉग बाइट होने पर कम से कम 15 मिनट तक चलते पानी में घाव को धोना जरूरी है. आवारा कुत्तों के काटने के चलते ज्यादा खतरा रैबीज का बन जाता है जबकि पालतू कुत्तों को समय पर वैक्सीन लगी होने के चलते ये कुछ कम खतरनाक रहता है.
पंचकूला एमडी मेडिकल सिविल अस्पताल पंचकूला के डॉक्टर गिरीश बंसल ने बताया की गहरे घाव से इन्फेक्शन के बढ़ने का खतरा रहता है. उन्होंने बताया कि अकेले पंचकूला में रोजाना पांच से छह मामले डॉग बाइट के रहते हैं. डॉग बाइट के होने पर लापरवाही जानलेवा भी साबित हो सकती है. उन्होंने बताया की मरीज को तुरंत 12 घंटे में इंजेक्शन लेना होता है.
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डॉक्टर के मुताबिक गहरे घाव होने पर एंटी रेबीज वैक्सीन के साथ ही इम्यूनोग्लोबुलीन दी जाती है. हरियाणा में इतने बड़े स्तर पर होने वाले डॉग बाइट के मामलों के बाद भी किसी तरीके का हेल्पलाइन नंबर जारी नहीं हुआ है. बात दवाईयों के स्टॉक की करें तो अधिकारी दावा कर रहे हैं कि उनके पास एंटी रेबीज वैक्सीन और रेबीज इम्यूनोग्लोबुलीन का पूरा स्टॉक है.