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साल 2014 और 2019 के बीच जानें कैसे बदले सियासी समीकरण, BJP की रणनीति हुई फेल!

90 विधानसभा सीटों वाले हरियाणा में बीजेपी को 40, कांग्रेस को 31, जेजेपी को 10, इनेलो को 1, हलोपा को 1 और अन्य को 7 सीटें मिली हैं.

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Published : Oct 30, 2019, 9:10 AM IST

Updated : Oct 30, 2019, 9:21 AM IST

चंडीगढ़ः 2014 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में प्रदेश की जनता ने दस साल से सत्ता धारी कांग्रेस को फर्श पर ला दिया था. वहीं बीजेपी को सीधे सत्ता के सिंहासन पर बैठा दिया था. बीजेपी 2014 में 47 सीटों के साथ रिकार्ड जीत दर्ज पर पहली बार सत्ता में आई थी. हालांकि इस जीत में भी करीब एक दर्जन ऐसी विधानसभा सीटे थीं जिन पर बीजेपी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी. 2014 में बीजेपी जन सीटों पर हारी थी उन सीटों पर 2019 के चुनाव के लिए बीजेपी ने खास रणनीति तैयार की थी.

2014 और 2019 के बीच के आंकड़े

बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश में 71.45 फीसदी मतदान हुआ था. जिसमें से बीजेपी को करीब 58 प्रतिशत वोट मिले थे. वहीं बात करें 2019 के विधानसभा चुनाव की तो इस बार बीजेपी को 36.5 फिसदी वोट मिले हैं. यानी लगभग पांच महीने के अंतराल में बीजेपी के वोट प्रतिशत में इजाफा हुआ है. बीजेपी को हरियाणा के 2014 के विधानसभा चुनाव में 33 फिसदी ही वोट मिले थे. वहीं बात करें कांग्रेस की तो 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का आंकड़ा करीब 22 फिसदी रहा. वहीं 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 28.1 फिसदी वोट मिले हैं. यानी पांच महीने के अंतराल में कांग्रेस के वोट प्रतिशत में लगभग 6 फिसदी इजाफा हुआ है.

आखिर क्यों फेल हुआ खट्टर सरकार का 75 पार का नारा

हरियाणा में चार विधायकों वाली बीजेपी ने 2014 में 47 सीटों पर जीत का परचम फहराया था. जबकि 31 सीटों पर बीजेपी प्रत्याशी भले ही हार गए थे, लेकिन वो अपनी जमानत बचाने में सफल रहे थे. हालांकि बीजेपी की इस जीत में भी 12 उम्मीदवार ऐसे थे जो अपनी जमानत बचाने में सफल नहीं रहे थे.

ये भी पढ़ेंः 10 साल बाद गोपाल कांडा ने फिर दोहराया इतिहास, अबकी बार कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दिया साथ

2014 में बीजेपी की इन सीटों पर हुई थी जमानत जब्तः

सीट 2014 के नतीजे 2019 के नतीजे
गढ़ी सांपला किलोई हार हार
तोशाम हार हार
खरखौदा हार हार
बड़ौदा हार हार
जुलाना हार हार
कलांवाली हार हार
रानियां हार हार
डबवाली हार हार
आदमपुर हार हार
नलवा हार जीत
फिरोजपुर झिरका हार हार
फतेहाबाद हार जीत

2019 के लिए बीजेपी की खास रणनीति

बीजेपी ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में इस बार खास रणनीति के साथ चुनावी मैदान में कदम रखा था. हालांकि उसके बावजूद बीजेपी का 75 पार का नारा पूरी तरह से फ्लॉप हो गया. 2014 में जिन सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवारों ने हार का सामना किया था उन सभी सीटों पर बीजेपी ने एक खास रणनीति के तहत नए चेहरे मैदान में उतारे थे. इस दौरान बीजेपी ने कई पुराने चेहरों का टिकट काटा था जिससे बीजेपी के विधायकों में काफी रोष था और उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया था.

2019 में पहली बार इन सीटों पर बीजेपी ने किया कब्जा

सीट उम्मीदवार 2019 के नतीजे
पिहोवा संदीप सिंह जीत
कैथल लीला राम जीत
फतेहाबाद दूड़ा राम जीत
नलवा रणबीर गंगवा जीत
हांसी विनोद भयाना जीत
रतिया लक्ष्मण दास जीत
तिगांव राजेश जीत

खट्टर के 10 मंत्रियों में से 8 को मिली हार
इस बार हरियाणा में 6 कैबिनेट मंत्री चुनाव में उतरे. इनमें से 5 मंत्रियों को हार मिली. अंबाला कैंट से अनिल विज अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे. वहीं महेंद्रगढ़ से रामबिलास शर्मा, नारनौंद से कैप्टन अभिमन्यु, सोनीपत से कविता जैन, इसराना से कृष्ण लाल पंवार और बादली से ओमप्रकाश धनखड़ हार गए. इसके अलावा 4 राज्यमंत्रियों ने चुनाव लड़ा. शाहाबाद से कृष्ण बेदी, रोहतक से मनीष कुमार ग्रोवर, रादौर से करणदेव कंबोज हार गए, जबकि बावल से बनवारी लाल को जीत मिली.

ये भी पढ़ेंः करनाल से दूसरी बार विधायक बने मनोहर लाल, त्रिलोचन सिंह को 52 हजार वोटों से हराया

2014 में बीजेपी को पहली बार मिली थी पूर्ण बहुमत
2014 में बीजेपी ने 47 सीटें, इनेलो ने 19 सीटें, कांग्रेस ने 15 सीटें, निर्दलियों ने 5 सीटें और अन्य ने 4 सीटें जीती थी बीजेपी ने ने पहली बार पूर्ण बहुमत की सरकार हरियाणा में बनाई थी.

2019 में बागी विधायकों का सहारा
90 विधानसभा सीटों वाले हरियाणा में बीजेपी को 40, कांग्रेस को 31, जेजेपी को 10- और अन्य को 9 सीटें मिली हैं. हालांकि कांग्रेस ने सरकार बनाने के लिए सभी विपक्षियों को साथ आने की बात कही है. उसके बावजूद बीजेपी के बागी विधायकों ने फिर से बीजेपी के साथ जाने का फैसला लिया है. यानी 7 विधायकों ने बीजेपी को समर्थन दे दिया है. जिससे 2014 की तरह इस बार भी बीजेपी प्रदेश में सरकार बनाने में कामयाब रहेगी.

चंडीगढ़ः 2014 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में प्रदेश की जनता ने दस साल से सत्ता धारी कांग्रेस को फर्श पर ला दिया था. वहीं बीजेपी को सीधे सत्ता के सिंहासन पर बैठा दिया था. बीजेपी 2014 में 47 सीटों के साथ रिकार्ड जीत दर्ज पर पहली बार सत्ता में आई थी. हालांकि इस जीत में भी करीब एक दर्जन ऐसी विधानसभा सीटे थीं जिन पर बीजेपी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी. 2014 में बीजेपी जन सीटों पर हारी थी उन सीटों पर 2019 के चुनाव के लिए बीजेपी ने खास रणनीति तैयार की थी.

2014 और 2019 के बीच के आंकड़े

बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश में 71.45 फीसदी मतदान हुआ था. जिसमें से बीजेपी को करीब 58 प्रतिशत वोट मिले थे. वहीं बात करें 2019 के विधानसभा चुनाव की तो इस बार बीजेपी को 36.5 फिसदी वोट मिले हैं. यानी लगभग पांच महीने के अंतराल में बीजेपी के वोट प्रतिशत में इजाफा हुआ है. बीजेपी को हरियाणा के 2014 के विधानसभा चुनाव में 33 फिसदी ही वोट मिले थे. वहीं बात करें कांग्रेस की तो 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का आंकड़ा करीब 22 फिसदी रहा. वहीं 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 28.1 फिसदी वोट मिले हैं. यानी पांच महीने के अंतराल में कांग्रेस के वोट प्रतिशत में लगभग 6 फिसदी इजाफा हुआ है.

आखिर क्यों फेल हुआ खट्टर सरकार का 75 पार का नारा

हरियाणा में चार विधायकों वाली बीजेपी ने 2014 में 47 सीटों पर जीत का परचम फहराया था. जबकि 31 सीटों पर बीजेपी प्रत्याशी भले ही हार गए थे, लेकिन वो अपनी जमानत बचाने में सफल रहे थे. हालांकि बीजेपी की इस जीत में भी 12 उम्मीदवार ऐसे थे जो अपनी जमानत बचाने में सफल नहीं रहे थे.

ये भी पढ़ेंः 10 साल बाद गोपाल कांडा ने फिर दोहराया इतिहास, अबकी बार कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दिया साथ

2014 में बीजेपी की इन सीटों पर हुई थी जमानत जब्तः

सीट 2014 के नतीजे 2019 के नतीजे
गढ़ी सांपला किलोई हार हार
तोशाम हार हार
खरखौदा हार हार
बड़ौदा हार हार
जुलाना हार हार
कलांवाली हार हार
रानियां हार हार
डबवाली हार हार
आदमपुर हार हार
नलवा हार जीत
फिरोजपुर झिरका हार हार
फतेहाबाद हार जीत

2019 के लिए बीजेपी की खास रणनीति

बीजेपी ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में इस बार खास रणनीति के साथ चुनावी मैदान में कदम रखा था. हालांकि उसके बावजूद बीजेपी का 75 पार का नारा पूरी तरह से फ्लॉप हो गया. 2014 में जिन सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवारों ने हार का सामना किया था उन सभी सीटों पर बीजेपी ने एक खास रणनीति के तहत नए चेहरे मैदान में उतारे थे. इस दौरान बीजेपी ने कई पुराने चेहरों का टिकट काटा था जिससे बीजेपी के विधायकों में काफी रोष था और उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया था.

2019 में पहली बार इन सीटों पर बीजेपी ने किया कब्जा

सीट उम्मीदवार 2019 के नतीजे
पिहोवा संदीप सिंह जीत
कैथल लीला राम जीत
फतेहाबाद दूड़ा राम जीत
नलवा रणबीर गंगवा जीत
हांसी विनोद भयाना जीत
रतिया लक्ष्मण दास जीत
तिगांव राजेश जीत

खट्टर के 10 मंत्रियों में से 8 को मिली हार
इस बार हरियाणा में 6 कैबिनेट मंत्री चुनाव में उतरे. इनमें से 5 मंत्रियों को हार मिली. अंबाला कैंट से अनिल विज अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे. वहीं महेंद्रगढ़ से रामबिलास शर्मा, नारनौंद से कैप्टन अभिमन्यु, सोनीपत से कविता जैन, इसराना से कृष्ण लाल पंवार और बादली से ओमप्रकाश धनखड़ हार गए. इसके अलावा 4 राज्यमंत्रियों ने चुनाव लड़ा. शाहाबाद से कृष्ण बेदी, रोहतक से मनीष कुमार ग्रोवर, रादौर से करणदेव कंबोज हार गए, जबकि बावल से बनवारी लाल को जीत मिली.

ये भी पढ़ेंः करनाल से दूसरी बार विधायक बने मनोहर लाल, त्रिलोचन सिंह को 52 हजार वोटों से हराया

2014 में बीजेपी को पहली बार मिली थी पूर्ण बहुमत
2014 में बीजेपी ने 47 सीटें, इनेलो ने 19 सीटें, कांग्रेस ने 15 सीटें, निर्दलियों ने 5 सीटें और अन्य ने 4 सीटें जीती थी बीजेपी ने ने पहली बार पूर्ण बहुमत की सरकार हरियाणा में बनाई थी.

2019 में बागी विधायकों का सहारा
90 विधानसभा सीटों वाले हरियाणा में बीजेपी को 40, कांग्रेस को 31, जेजेपी को 10- और अन्य को 9 सीटें मिली हैं. हालांकि कांग्रेस ने सरकार बनाने के लिए सभी विपक्षियों को साथ आने की बात कही है. उसके बावजूद बीजेपी के बागी विधायकों ने फिर से बीजेपी के साथ जाने का फैसला लिया है. यानी 7 विधायकों ने बीजेपी को समर्थन दे दिया है. जिससे 2014 की तरह इस बार भी बीजेपी प्रदेश में सरकार बनाने में कामयाब रहेगी.

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Last Updated : Oct 30, 2019, 9:21 AM IST
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