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HC ने डेरों की जांच मामले में दायर याचिका को फुल बेंच के सामने भेजा

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Published : May 16, 2019, 11:49 AM IST

हरियाणा और पंजाब के सभी डेरों की जांच के मामले में हाई कोर्ट द्वारा चार साल पहले दिए गए आदेशों की सही तरीके से पालना नहीं किए जाने के खिलाफ हाई कोर्ट में दायर अवमानना याचिका को जस्टिस निर्मलजीत कौर ने हाई कोर्ट की फुल बेंच के सामने भेजा है.

पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट

चंडीगढ़ः हरियाणा और पंजाब के सभी डेरों की जांच के मामले में हाई कोर्ट द्वारा चार साल पहले दिए गए आदेशों की सही तरीके से पालना नहीं किए जाने के खिलाफ हाई कोर्ट में दायर अवमानना याचिका को जस्टिस निर्मलजीत कौर ने हाई कोर्ट की फुल बेंच के सामने भेजा है.

बुधवार को हाई कोर्ट के आदेशों पर पंजाब और हरियाणा दोनों राज्यों ने अपने जवाब दायर किए. जिसपर हाई कोर्ट ने कहा कि दोनों राज्यों के जवाबों से ये साफ है कि हाई कोर्ट ने साल 2015 में पंजाब और हरियाणा के सभी डेरों की जांच के जो आदेश दिए थे उन आदेशों पर दोनों ही राज्यों ने कोई कार्रवाई नहीं की है. ऐसे में अब बेहतर होगा कि इस अवमानना याचिका पर भी फुल बेंच ही सुनवाई करे, जो पंचकूला में डेरा मुखी को दोषी करार दिए जाने के बाद हुए दंगों, आगजनी और तोड़फोड़ के मामलों की सुनवाई कर रही है.

पढ़ेंः मौसम विभाग का अलर्ट, हरियाणा-पंजाब समेत दिल्ली-NCR में हो सकती है बारिश

इस मामले को लेकर एडवोकेट रवनीत जोशी द्वारा दायर अवमानना याचिका में हाई कोर्ट को बताया गया था कि संत रामपाल प्रकरण के बाद हाई कोर्ट ने 2015 में पंजाब और हरियाणा के सभी डेरों की जांच किए जाने के आदेश दिए थे. साल 2017 में जब डेरा मुखी गुरमीत सिंह राम-रहीम को साध्वी यौन शोषण मामले में पंचकूला की विशेष सीबीआई अदालत ने दोषी करार दिया था तो उसके समर्थकों ने पंचकूला सहित राज्य में कई जगह दंगे कर दिए थे. इसके बाद रवनीत जोशी ने हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर कर कहा था कि अगर हरियाणा सरकार हाई कोर्ट के आदेशों का पालन कर डेरों की जांच कर लेती तो ये स्थिति पैदा ही नहीं होनी थी.

पढ़ेंः NGT ने इंडियन ऑयल की पानीपत रिफाइनरी पर लगाया 17 करोड़ का जुर्माना

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि अगर उसी वक्त डेरों की जांच कर ली जाती तो न तो पंजाब में बेअदबी की घटना होती और ना ही पंचकूला में हिंसा तोड़फोड़ और आगजनी होती. आरोप है कि ये सब सरकारी लापरवाही और हाई कोर्ट के आदेशों को लागु नहीं किए जाने के चलते हुई है, क्योंकि पंजाब में बेअदबी के मामले में भी डेरा समर्थकों का नाम सामने आया है और पंचकूला में हुए दंगों में डेरा समर्थकों की साजिश का खुलासा हुआ है. जस्टिस निर्मलजीत कौर ने बुधवार को इस अवमानना का याचिका को चीफ जस्टिस के समक्ष रेफर कर इस पर फुल बेंच में चल रहे मामले के साथ ही सुनवाई किए जाने का आग्रह किया है.

चंडीगढ़ः हरियाणा और पंजाब के सभी डेरों की जांच के मामले में हाई कोर्ट द्वारा चार साल पहले दिए गए आदेशों की सही तरीके से पालना नहीं किए जाने के खिलाफ हाई कोर्ट में दायर अवमानना याचिका को जस्टिस निर्मलजीत कौर ने हाई कोर्ट की फुल बेंच के सामने भेजा है.

बुधवार को हाई कोर्ट के आदेशों पर पंजाब और हरियाणा दोनों राज्यों ने अपने जवाब दायर किए. जिसपर हाई कोर्ट ने कहा कि दोनों राज्यों के जवाबों से ये साफ है कि हाई कोर्ट ने साल 2015 में पंजाब और हरियाणा के सभी डेरों की जांच के जो आदेश दिए थे उन आदेशों पर दोनों ही राज्यों ने कोई कार्रवाई नहीं की है. ऐसे में अब बेहतर होगा कि इस अवमानना याचिका पर भी फुल बेंच ही सुनवाई करे, जो पंचकूला में डेरा मुखी को दोषी करार दिए जाने के बाद हुए दंगों, आगजनी और तोड़फोड़ के मामलों की सुनवाई कर रही है.

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इस मामले को लेकर एडवोकेट रवनीत जोशी द्वारा दायर अवमानना याचिका में हाई कोर्ट को बताया गया था कि संत रामपाल प्रकरण के बाद हाई कोर्ट ने 2015 में पंजाब और हरियाणा के सभी डेरों की जांच किए जाने के आदेश दिए थे. साल 2017 में जब डेरा मुखी गुरमीत सिंह राम-रहीम को साध्वी यौन शोषण मामले में पंचकूला की विशेष सीबीआई अदालत ने दोषी करार दिया था तो उसके समर्थकों ने पंचकूला सहित राज्य में कई जगह दंगे कर दिए थे. इसके बाद रवनीत जोशी ने हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर कर कहा था कि अगर हरियाणा सरकार हाई कोर्ट के आदेशों का पालन कर डेरों की जांच कर लेती तो ये स्थिति पैदा ही नहीं होनी थी.

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याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि अगर उसी वक्त डेरों की जांच कर ली जाती तो न तो पंजाब में बेअदबी की घटना होती और ना ही पंचकूला में हिंसा तोड़फोड़ और आगजनी होती. आरोप है कि ये सब सरकारी लापरवाही और हाई कोर्ट के आदेशों को लागु नहीं किए जाने के चलते हुई है, क्योंकि पंजाब में बेअदबी के मामले में भी डेरा समर्थकों का नाम सामने आया है और पंचकूला में हुए दंगों में डेरा समर्थकों की साजिश का खुलासा हुआ है. जस्टिस निर्मलजीत कौर ने बुधवार को इस अवमानना का याचिका को चीफ जस्टिस के समक्ष रेफर कर इस पर फुल बेंच में चल रहे मामले के साथ ही सुनवाई किए जाने का आग्रह किया है.

Intro:पंजाब और हरियाणा के सभी डेरों की जाँच का मामलाBody:
पंजाब और हरियाणा के सभी डेरों की जाँच के मामले में हाईकोर्ट द्वारा चार वर्ष पहले दिए गए आदेशों को सही तरीके से पालना नहीं किये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में दायर अवमानना याचिका को जस्टिस निर्मलजीत कौर ने हाई कोर्ट की फुल बेंच के समक्ष भेज अब इस याचिका पर फुल बेंच में सुनवाई के आदेश देते हुए याचिका रेफर कर दी है
बुधवार को हाई कोर्ट के आदेशों पर पंजाब और हरियाणा दोनों राज्यों ने अपने जवाब दायर किये थे हाई कोर्ट ने कहा कि दोनों राज्यों के जवाबों से यह साफ़ है कि हाई कोर्ट ने वर्ष 2015 में पंजाब और हरियाणा के सभी डेरों की जाँच के जो आदेश दिए थे उन आदेशों पर दोनों ही राज्यों ने कोई कार्रवाई ही नहीं की है ऐसे में अब बेहतर होगा कि इस अवमानना याचिका पर भी फुल बेंच ही सुनवाई करे जो पंचकूला में डेरा मुखी को दोषी करार दिए जाने के बाद हुए दंगों, आगजनी और तोड़फोड़ के मामलों की सुनवाई कर रही है
इस मामले को लेकर एडवोकेट रवनीत जोशी द्वारा दायर अवमानना याचिका में हाईकोर्ट को बताया गया था कि संत रामपाल प्रकरण के बाद हाईकोर्ट ने वर्ष 2015 में पंजाब और हरियाणा के सभी डेरों की जाँच किये जाने के आदेश दिए थे। वर्ष 2017 में जब डेरा मुखी गुरमीत सिंह राम-रहीम को साध्वी यौन शोषण मामले में पंचकूला की सी.बी.आई. अदालत ने दोषी करार दिया था तो उसके समर्थकों ने पंचकूला सहित राज्य में कई जगह दंगे कर दिए थे। इसके बाद जोशी ने हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर कर कहा था कि अगर हरियाणा सरकार हाईकोर्ट के वर्ष 2015 के आदेशों का पालन कर डेरों की जाँच कर लेती तो यह स्थिति पैदा ही नहीं होनी थी।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि तब अगर डेरों की जाँच कर ली जाती तो न तो पंजाब में बेअदबी की घटना और पंचकूला में हिंसा तोड़फोड़ और आगजनी पर लगाम लगायी जा सकती थी यह सब सरकारी लापरवाही और हाईकोर्ट के आदेशों को लागु नहीं किये जाने के चलते हुई है।क्योंकि पंजाब में बेअदबी के मामले में भी डेरा समर्थकों का नाम सामने आया है और पंचकूला में हुए दंगों में डेरा समर्थकों की साजिश का खुलासा हुआ है। जस्टिस निर्मलजीत कौर ने बुधवार को इस अवमानना का याचिका को चीफ जस्टिस के समक्ष रेफर कर इस पर फुल बेंच में चल रहे मामले के साथ ही सुनवाई किये जाने का आग्रह किया है


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रवनीत जोशी। याचिकर्ता का वकीलConclusion:
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