चंडीगढ़: आज दिल्ली मेट्रो कॉमन मैन की लाइफ लाइन बन चुकी है. कोरोना काल से पहले दिल्ली और एनसीआर में लाखों लोग मेट्रो से सफर करते थे. कोरोना लॉकडाउन के बाद मेट्रो का संचालन तो शुरू हुआ, लेकिन तमाम पाबंदियों ने यात्रियों के लिए मुसीबतें खड़ी कर दी. पिछले कई दिनों से दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हुए.
मेट्रो में सोशल डिस्टेंस रखने के लिए ट्रेन से अतिरिक्त यात्रियों को उतार दिया जाता है. मेट्रो के अंदर खड़े होकर यात्रा करने की मनाही है और ट्रेनों में क्षमता से केवल आधे यात्रियों को ही एक साथ यात्रा करने की इजाजत है. इसमें भी लोगों को एक-एक सीट छोड़कर बैठना पड़ता है, वरना उनका चालान कट जाता है या चेकिंग टीमें उन्हें अगले स्टेशन पर ट्रेन से उतार देती हैं. ऐसे में यात्रियों ने मैनेजमेंट पर उचित व्यवस्था नहीं करने के आरोप लगाए. जिसपर डीएमआरसी ने बयान जारी किया.
दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने कहा कि, 'हाल के दिनों में, मेट्रो स्टेशनों के बाहर लंबी कतारें देखी गई हैं क्योंकि ट्रेन के अंदर यात्रियों की संख्या पर प्रतिबंध के कारण प्रवेश को नियंत्रित किया जाता है. वर्तमान दिशानिर्देशों के अनुसार, केवल वैकल्पिक सीटों पर बैठने की अनुमति है और खड़े होने की अनुमति नहीं है.'
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10-15 फीसदी कैपेसिटी पर चल रही हैं ट्रेनें
डीएमआरसी का कहना है कि अधिकतम संख्या में ट्रेनें चला रहा है, यात्रियों को कोविड प्रतिबंधों के कारण स्टेशनों के बाहर इंतजार करना पड़ता है. इस समय, मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार दिल्ली मेट्रो की कैपेसिटी केवल 10-15% की सीमा में है.
प्री-कोविड टाइम जितनी संख्या में चल रही हैं ट्रेनें
डीएमआरसी रोजाना 5100 ट्रेन ट्रिप चला रही है. प्री-कोविड समय के दौरान भी रोजाना 5100 ट्रेन ट्रिप मेट्रो चल रही थी. इस तरह मेट्रो अपनी पूर्ण क्षमता पर परिचालन और चल रही है, लेकिन पाबंदियों की वजह से दिक्कतें हो रही हैं.
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