चंडीगढ़: हरियाणा सरकार की कार्य प्रणाली पर विपक्ष का क्या कहना है ये जानना भी जरूरी हो जाता है. ईटीवी भारत हरियाणा के 'डिजिटल चैट' कार्यक्रम में हरियाणा कांग्रेस के वरिष्ट नेता और राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा से प्रदेश के मौजूदा हालात पर खास चर्चा की गई. दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस चर्चा में प्रदेश में हो रही कम कोरोना टेस्टिंग को लेकर सरकार पर सवाल उठाए.
दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि इस वक्त हमारा काम सकारात्मक राजनीति करने की है. ये वक्त बहस और विवाद का नहीं है, लेकिन कोरोना महामारी में हरियाणा सरकार जरूरत से कम टेस्टिंग कर रही है.
सवाल: हरियाणा में कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सरकार के प्रयास काफी हैं, क्या कोरोना टेस्टिंग की संख्या परिस्थितियों में काफी हैं ?
दीपेंद्र हुड्डा- ये संकट का समय है, इस समय विवाद या राजनीतिक बहस नहीं कर सकते. अगर सरकार को क्रिटिसाइज भी करना है तो हमें सकारात्मक क्रिटिसिज्म करना चाहिए. जहां तक सवाल टेस्टिंग का है तो हमारे देश में जिस लेवल पर टेस्टिंग होना चाहिए उस लेवल पर हुआ ही नहीं. बहुत से देशों में तो सिर्फ टेस्टिंग से ही कोरोपा पर लगाम लगाई गई है और वो इसमें सफल भी हुए हैं, लेकिन भारत के बहुत से राज्य और खासतौर पर हरियाणा में टेस्टिंग बहुत कम की गई है. टेस्टिंग में और ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है. इसके साथ ही प्रदेश में रेंडम जांच भी जरूरी है. अभी तक जो संक्रमित मरीज आ रहे हैं उन्हीं का टेस्ट किया जा रहा है.
इसके साथ ही ट्रैस करके टेस्टिग करने की जरूरत है. हरियाणा में उन क्षेत्रों को ट्रैस करना चाहिए जहां संक्रमित लोग हैं या होने की आशंका है. वहां संदिग्ध कोरोना मरीजों को ट्रैस कर लोगों की जांच करनी चाहिए
वहीं प्रवासी मजदूरों के लिए हरियाणा सरकार ने कोई प्लानिंग नहीं की. रोज अलग-अलग फैसले लिए गए. कोई प्लान बना कर काम किया जाता तो मजदूरों को भटकना नहीं पड़ता. आज जब हम ग्रेडिंग करके दोबारा पटरी पर आ रहे हैं और अनुमान लगाया जा रहा है कि कुछ दिनों में 90 फिसदी जिले ग्रीन जोन में लाए जाएंगे, लेकिन उसके लिए प्लानिंग की जरूरत है. सरकार को उन लोगों के लिए आर्थिक पैकेज देने की सख्त जरूरत है जो जरूरतमंद हैं उन्हें राहत दिया जाए, ताकि जो लोगों के घर की अर्थव्यवस्था बिगड़ी है उसे मदद मिल सके.
सवाल: राहुल गांधी का आरोप है कि केंद्र से फैसले थोपे जा रहे हैं, कांग्रेसी राज्यों की राय नहीं ली जा रही, तो क्या फैसले लेने के अधिकार मुख्यमंत्रियों को देना चाहिए?
दीपेंद्र: राहुल गांधी जी ने ये बात सकारात्मक तरीके से की थी. उन्होंने कोई आरोप नहीं लगाया. राहुल गांधी जी का कहना है कि डीएम और एसडीएम लेवल तक फैसले लिए जाएं, क्योंकि वो लोग अपने क्षेत्र को बेहतर जानते हैं. उनका योगदान हर बड़ी पॉलिसी और योजनाओं में होना चाहिए. सरकार ने रेड, ग्रीन और ऑरेंज जोन का निर्धारण अपने लेवल पर किया है, लेकिन इसका फैसला राज्य सरकारों की सलाह लेनी चाहिए.
इसका उदाहरण गुरुग्राम जिला है जिसमें सबसे ज्याद खतरा है. दिल्ली संक्रमण की वजह से यहां मामले तेजी से बढ़े हैं. अगर डीसी और एसडीएम को आदेश दिया जाए तो डीसी गुरुग्राम को रेड जोन घोषित करेगा, इसलिए ये सभी फैसले सेंटर के लेवल पर नहीं होने चाहिए, लोकल लेवल पर होने चाहिए.
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