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मोबाइल सिम के जरिए आपके बैंक अकाउंट को खाली कर सकते हैं अपराधी, ऐसे रहें सावधान - मोबाइल सिम से साइबर क्राइम

मोबाइल सिम के जरिए किस तरह से ठगी की जाती है और किन चीजों को ध्यान में रखकर इससे बचा जा सकता है. इन सब मुद्दों पर ईटीवी भारत हरियाणा के साथ विस्तार से चर्चा की साइबर एक्सपर्ट राजेश राणा ने.

yber crime increase Haryana
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Published : Feb 24, 2021, 11:01 PM IST

चंडीगढ़: साइबर क्राइम के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. साइबर क्रिमिनल नए-नए तरीके अपनाकर लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं. ऐसे ही मामला यमुनानगर से सामने आया. जहां साइबर क्रिमिनल ने एक अकाउंटेंट के मोबाइल सिम का क्लोन तैयार किया और उसके बैंक खाते से 2 लाख रुपये उड़ा लिए.

साइबर एक्सपर्ट के मुताबिक ये काम सिम का क्लोन तैयार करके नहीं बल्कि पीड़ित की जानकारी जुटाकर किया गया है. पहले तो आरोपियों ने पीड़ित का नंबर बंद गुम होने की शिकायत देकर बंद करवाया. फिर पीड़ित के नाम से नया सिम निकलवा लिया. जिसकी सहायता से उन्होंने बैंक से पैसे निकाले.

साइबर क्राइम पर जानें क्या कहा साइबर एक्सपर्ट ने

इस मामले में अपराधियों के पास पीड़ित व्यक्ति का आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि भी होगा. जिससे वो इस सारी वारदात को अंजाम दे पाए. अपराधियों ने टेलीकॉम कंपनी के कर्मचारियों के साथ मिलकर इस अपराध को अंजाम दिया है, क्योंकि बिना कर्मचारियों की सहायता से किसी भी व्यक्ति के नाम का सिम निकलवाना आसान नहीं होता.

yber crime increase Haryana
ऐसे होता है साइबर क्राइम

इस मामले में सबसे पहले तो अपराधियों ने पीड़ित व्यक्ति के आधार कार्ड और पैन कार्ड को हासिल किया होगा. इसके अलावा जब पीड़ित व्यक्ति का मोबाइल से आउट ऑफ नेटवर्क चला गया था. तब उसने तुरंत इसकी सूचना कंपनी को नहीं दी, बल्कि अगले 24 घंटों तक इंतजार किया. जिससे साइबर अपराधियों को ये ठगी करने का मौका मिल गया. अगर अकाउंटेंट ने इस बारे में कंपनी को सूचित कर दिया होता तो साइबर क्रिमिनल फर्जी सिम नहीं बनवा पाते और वो इस ठगी से बच जाते.

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इन चीजों का रखें ध्यान

ये भी पढ़ें- कंपनी की ईमेल आईडी हैक कर फाइनेंशियल नुकसान पहुंचा सकते हैं साइबर अपराधी, ऐसे रहें सावधान

साइबर एक्सपर्ट ने कहा कि इस तरह के मामलों में अपराधियों का पता लगाना मुश्किल नहीं होता, लेकिन उन तक पहुंचना बहुत मुश्किल होता है, क्योंकि वो दूरदराज के इलाकों में होते हैं. हर मामले में पुलिस को उन इलाकों तक जाना संभव नहीं हो पाता. अगर पुलिस ऐसे लोगों को गिरफ्तार करना चाहती है तो इसके लिए सभी राज्यों की पुलिस को आपस में सहयोग बढ़ाना होगा. अगर एक राज्य की पुलिस दूसरे राज्य में बैठे अपराधी के बारे में पुलिस जानकारी देती है, तो उस राज्य की पुलिस भी तुरंत कार्रवाई करते हुए उसे गिरफ्तार करे. तभी इन अपराधियों पर नकेल कसी जा सकती है.

चंडीगढ़: साइबर क्राइम के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. साइबर क्रिमिनल नए-नए तरीके अपनाकर लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं. ऐसे ही मामला यमुनानगर से सामने आया. जहां साइबर क्रिमिनल ने एक अकाउंटेंट के मोबाइल सिम का क्लोन तैयार किया और उसके बैंक खाते से 2 लाख रुपये उड़ा लिए.

साइबर एक्सपर्ट के मुताबिक ये काम सिम का क्लोन तैयार करके नहीं बल्कि पीड़ित की जानकारी जुटाकर किया गया है. पहले तो आरोपियों ने पीड़ित का नंबर बंद गुम होने की शिकायत देकर बंद करवाया. फिर पीड़ित के नाम से नया सिम निकलवा लिया. जिसकी सहायता से उन्होंने बैंक से पैसे निकाले.

साइबर क्राइम पर जानें क्या कहा साइबर एक्सपर्ट ने

इस मामले में अपराधियों के पास पीड़ित व्यक्ति का आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि भी होगा. जिससे वो इस सारी वारदात को अंजाम दे पाए. अपराधियों ने टेलीकॉम कंपनी के कर्मचारियों के साथ मिलकर इस अपराध को अंजाम दिया है, क्योंकि बिना कर्मचारियों की सहायता से किसी भी व्यक्ति के नाम का सिम निकलवाना आसान नहीं होता.

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ऐसे होता है साइबर क्राइम

इस मामले में सबसे पहले तो अपराधियों ने पीड़ित व्यक्ति के आधार कार्ड और पैन कार्ड को हासिल किया होगा. इसके अलावा जब पीड़ित व्यक्ति का मोबाइल से आउट ऑफ नेटवर्क चला गया था. तब उसने तुरंत इसकी सूचना कंपनी को नहीं दी, बल्कि अगले 24 घंटों तक इंतजार किया. जिससे साइबर अपराधियों को ये ठगी करने का मौका मिल गया. अगर अकाउंटेंट ने इस बारे में कंपनी को सूचित कर दिया होता तो साइबर क्रिमिनल फर्जी सिम नहीं बनवा पाते और वो इस ठगी से बच जाते.

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इन चीजों का रखें ध्यान

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साइबर एक्सपर्ट ने कहा कि इस तरह के मामलों में अपराधियों का पता लगाना मुश्किल नहीं होता, लेकिन उन तक पहुंचना बहुत मुश्किल होता है, क्योंकि वो दूरदराज के इलाकों में होते हैं. हर मामले में पुलिस को उन इलाकों तक जाना संभव नहीं हो पाता. अगर पुलिस ऐसे लोगों को गिरफ्तार करना चाहती है तो इसके लिए सभी राज्यों की पुलिस को आपस में सहयोग बढ़ाना होगा. अगर एक राज्य की पुलिस दूसरे राज्य में बैठे अपराधी के बारे में पुलिस जानकारी देती है, तो उस राज्य की पुलिस भी तुरंत कार्रवाई करते हुए उसे गिरफ्तार करे. तभी इन अपराधियों पर नकेल कसी जा सकती है.

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