चंडीगढ़: साइबर क्राइम के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. साइबर क्रिमिनल नए-नए तरीके अपनाकर लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं. ऐसे ही मामला यमुनानगर से सामने आया. जहां साइबर क्रिमिनल ने एक अकाउंटेंट के मोबाइल सिम का क्लोन तैयार किया और उसके बैंक खाते से 2 लाख रुपये उड़ा लिए.
साइबर एक्सपर्ट के मुताबिक ये काम सिम का क्लोन तैयार करके नहीं बल्कि पीड़ित की जानकारी जुटाकर किया गया है. पहले तो आरोपियों ने पीड़ित का नंबर बंद गुम होने की शिकायत देकर बंद करवाया. फिर पीड़ित के नाम से नया सिम निकलवा लिया. जिसकी सहायता से उन्होंने बैंक से पैसे निकाले.
इस मामले में अपराधियों के पास पीड़ित व्यक्ति का आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि भी होगा. जिससे वो इस सारी वारदात को अंजाम दे पाए. अपराधियों ने टेलीकॉम कंपनी के कर्मचारियों के साथ मिलकर इस अपराध को अंजाम दिया है, क्योंकि बिना कर्मचारियों की सहायता से किसी भी व्यक्ति के नाम का सिम निकलवाना आसान नहीं होता.
इस मामले में सबसे पहले तो अपराधियों ने पीड़ित व्यक्ति के आधार कार्ड और पैन कार्ड को हासिल किया होगा. इसके अलावा जब पीड़ित व्यक्ति का मोबाइल से आउट ऑफ नेटवर्क चला गया था. तब उसने तुरंत इसकी सूचना कंपनी को नहीं दी, बल्कि अगले 24 घंटों तक इंतजार किया. जिससे साइबर अपराधियों को ये ठगी करने का मौका मिल गया. अगर अकाउंटेंट ने इस बारे में कंपनी को सूचित कर दिया होता तो साइबर क्रिमिनल फर्जी सिम नहीं बनवा पाते और वो इस ठगी से बच जाते.
साइबर एक्सपर्ट ने कहा कि इस तरह के मामलों में अपराधियों का पता लगाना मुश्किल नहीं होता, लेकिन उन तक पहुंचना बहुत मुश्किल होता है, क्योंकि वो दूरदराज के इलाकों में होते हैं. हर मामले में पुलिस को उन इलाकों तक जाना संभव नहीं हो पाता. अगर पुलिस ऐसे लोगों को गिरफ्तार करना चाहती है तो इसके लिए सभी राज्यों की पुलिस को आपस में सहयोग बढ़ाना होगा. अगर एक राज्य की पुलिस दूसरे राज्य में बैठे अपराधी के बारे में पुलिस जानकारी देती है, तो उस राज्य की पुलिस भी तुरंत कार्रवाई करते हुए उसे गिरफ्तार करे. तभी इन अपराधियों पर नकेल कसी जा सकती है.