ETV Bharat / state

अनलॉक में भी सूने पड़े हैं चंडीगढ़ के धोबी घाट, संकट में लॉन्ड्री बिजनेस के लोग

चंडीगढ़ के धोबी घाट में सन्नाटा पसरा है. यहां काम करने वाले धोबी खाली बैठे हैं, क्योंकि लॉकडाउन खुलने के बाद भी लोग कोरोना के डर से लॉन्ड्री में कपड़े देने से कतरा रहे हैं.

covid pandemic affect on laundry business in chandigarh
कोरोना छीन रहा रोजगार! अनलॉक में भी सूने पड़े हैं चंडीगढ़ के धोबी घाट
author img

By

Published : Jul 23, 2020, 5:01 PM IST

Updated : Jul 23, 2020, 6:25 PM IST

चंडीगढ़: लॉकडाउन का हर वर्ग के लोगों पर बुरा प्रभाव पड़ा है. लॉकडाउन के दौरान लगभग हर तरह के काम धंधे ठप पड़ गए थे. लोगों को उम्मीद थी कि लॉकडाउन खुलने के बाद हालात सामान्य हो जाएंगे और उनके काम धंधे भी शुरू हो जाएंगे. अभी भी ऐसे कई धंधे हैं जो दोबारा से शुरू तो हुए हैं, लेकिन ग्राहक नहीं आने की वजह से उन्हे आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है.

कोरोना छीन रहा रोजगार

इममें कुछ ऐसे भी लोग हैं जो कपड़े धोकर और उनपर प्रेस करके रोजी-रोटी के लिए पैसे कमाते हैं. कोरोना महामारी के चलते होटल, हॉस्टल, पीजी सब बंद हैं. ये सब इन लोगों की आय का मुख्य जरिया है. अनलॉक के तहत लॉन्ड्री का काम दोबारा से शुरू तो किया गया है, लेकिन ग्राहक नहीं आने की वजह से इनकी हालत बद से बदतर होती जा रही है.

कोरोना छीन रहा रोजगार! अनलॉक में भी सूने पड़े हैं चंडीगढ़ के धोबी घाट

सूना पड़ा धोबी घाट

चंडीगढ़ के धोबी घाट में काम करने वाले कुछ लोगों ने कि कई पीढ़ियों से वो लॉन्ड्री का काम कर रहे हैं. उनकी जिंदगी में पहली बार ऐसा हुआ कि जब लॉन्ड्री का काम बंद हुआ है. उन्होंने बताया कि पिछले करीब 4 महीनों से उनके पास काम नहीं आ रहा है. उन्हें मुख्य रूप से हॉस्टल और पीजी में रह रहे छात्र कपड़े देने का काम करते थे, लेकिन जब से लॉकडाउन लगा है तब से ना तो बच्चे हैं और ना उनके पास काम है.

ये भी पढ़िए: कोई महीनों से नहीं गया घर, किसी ने टाल दी शादी, देखिए किन परिस्थितियों में काम कर रहे हैं स्वास्थ्य कर्मी

'लॉक' है लॉन्ड्री का काम

उन्होंने बताया कि पहले उनकी हर रोज 500 से 700 रुपये आदमनी हो जाती थी, लेकिन अब 100-50 रुपये ही उन्हें गुजारा करना पड़ रहा है. दूसरी और होटल पूरी तरह भी नहीं खुल पाए हैं जिससे उनका काम खत्म हो गया है. स्थानीय लोग भी कोरोना के डर से कपड़े धोने के लिए लॉन्ड्री में नहीं दे रहे हैं. जिस वजहे यहां काम करने वाले लोगों को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है.

चंडीगढ़: लॉकडाउन का हर वर्ग के लोगों पर बुरा प्रभाव पड़ा है. लॉकडाउन के दौरान लगभग हर तरह के काम धंधे ठप पड़ गए थे. लोगों को उम्मीद थी कि लॉकडाउन खुलने के बाद हालात सामान्य हो जाएंगे और उनके काम धंधे भी शुरू हो जाएंगे. अभी भी ऐसे कई धंधे हैं जो दोबारा से शुरू तो हुए हैं, लेकिन ग्राहक नहीं आने की वजह से उन्हे आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है.

कोरोना छीन रहा रोजगार

इममें कुछ ऐसे भी लोग हैं जो कपड़े धोकर और उनपर प्रेस करके रोजी-रोटी के लिए पैसे कमाते हैं. कोरोना महामारी के चलते होटल, हॉस्टल, पीजी सब बंद हैं. ये सब इन लोगों की आय का मुख्य जरिया है. अनलॉक के तहत लॉन्ड्री का काम दोबारा से शुरू तो किया गया है, लेकिन ग्राहक नहीं आने की वजह से इनकी हालत बद से बदतर होती जा रही है.

कोरोना छीन रहा रोजगार! अनलॉक में भी सूने पड़े हैं चंडीगढ़ के धोबी घाट

सूना पड़ा धोबी घाट

चंडीगढ़ के धोबी घाट में काम करने वाले कुछ लोगों ने कि कई पीढ़ियों से वो लॉन्ड्री का काम कर रहे हैं. उनकी जिंदगी में पहली बार ऐसा हुआ कि जब लॉन्ड्री का काम बंद हुआ है. उन्होंने बताया कि पिछले करीब 4 महीनों से उनके पास काम नहीं आ रहा है. उन्हें मुख्य रूप से हॉस्टल और पीजी में रह रहे छात्र कपड़े देने का काम करते थे, लेकिन जब से लॉकडाउन लगा है तब से ना तो बच्चे हैं और ना उनके पास काम है.

ये भी पढ़िए: कोई महीनों से नहीं गया घर, किसी ने टाल दी शादी, देखिए किन परिस्थितियों में काम कर रहे हैं स्वास्थ्य कर्मी

'लॉक' है लॉन्ड्री का काम

उन्होंने बताया कि पहले उनकी हर रोज 500 से 700 रुपये आदमनी हो जाती थी, लेकिन अब 100-50 रुपये ही उन्हें गुजारा करना पड़ रहा है. दूसरी और होटल पूरी तरह भी नहीं खुल पाए हैं जिससे उनका काम खत्म हो गया है. स्थानीय लोग भी कोरोना के डर से कपड़े धोने के लिए लॉन्ड्री में नहीं दे रहे हैं. जिस वजहे यहां काम करने वाले लोगों को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है.

Last Updated : Jul 23, 2020, 6:25 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.