ETV Bharat / state

कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद भी फेफड़ों पर खतरा बरकरार, डॉक्टर से जानिए कैसे पाएं पुरानी फिटनेस

author img

By

Published : May 20, 2021, 8:52 PM IST

Updated : May 20, 2021, 10:28 PM IST

कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद भी फेफड़ों पर खतरा बना रहता है. फेफड़ों को पहले जैसा होने में वक्त लग सकता है. ऐसे में आप अपनी पुरानी फिटनेस कैसे हासिल कर सकते हैं. ये बता रहे हैं चंडीगढ़ पीजीआई के पल्मोनरी विभाग के पूर्व एचओडी डॉ. एसके जिंदल-

corona virus effect lungs
कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद भी फेफड़ों पर खतरा बरकरार, डॉक्टर से जानिए कैसे पाएं पुरानी फिटनेस

चंडीगढ़: कोरोना का नया स्ट्रेन लोगों के लिए ज्यादा घातक साबित हो रहा है, क्योंकि ये स्ट्रेन लोगों के फेफड़ों पर सबसे ज्यादा असर कर रहा है. बहुत से मामलों में लोगों को पता ही नहीं चल रहा कि उनके फेफड़ों में कोरोना संक्रमण पहुंच गया है और जबतक उन्हें ये पता चलता है तबतक वायरस फेफड़ों में फैल चुका होता है. ऐसे में लोगों को कई तरह के एहतियात बरतने की जरूरत है. लोग कैसे पता लगा सकते हैं कि कोरोना उनके फेफड़ों तक जा पहुंचा है? इस बारे में जानने के लिए ईटीवी भारत ने चंडीगढ़ पीजीआई के पल्मोनरी विभाग के पूर्व एचओडी डॉ. एसके जिंदल से बातचीत की-

डॉ. जिंदल ने कहा कि ऐसा नहीं है कि ये वायरस ज्यादा संख्या में लोगों की जान ले रहा है. ये वायरस ज्यादा तेजी से फैलता है और पहले के मुकाबले ज्यादा लोगों को संक्रमित कर रहा है. इस वजह से मौत के आंकड़े भी बढ़ गए हैं. ये वायरस 24 से 48 घंटों में फेफड़ों को संक्रमित कर देता है. अगर संक्रमण कम होता है तो वो जल्दी ठीक हो जाता है, लेकिन अगर संक्रमण ज्यादा हो तो ये मरीज को गंभीर रूप से बीमार कर देता है.

रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद अगर बरती लापरवाही तो हमेशा के लिए खराब हो सकते हैं फेफड़े

उन्होंने बताया कि अगर पॉजिटिव होने के बाद अगले 1 हफ्ते तक बुखार उतर जाता है और सांस लेने में दिक्कत नहीं आती तब संक्रमण ज्यादा नहीं होता, लेकिन अगर 1 हफ्ते के बाद भी बुखार नहीं उतरता है तो संक्रमण गंभीर हो सकता है.

corona virus effect lungs
फेफड़ों में संक्रमण पहुंचने के लक्षण

डॉक्टर के मुताबिक अगर ये लक्षण दिखने शुरू हो जाएं तो समझ लेना चाहिए कि संक्रमण फेफड़ों में फैलना शुरू हो गया है. ऐसे वक्त में इसका जल्द से जल्द इलाज शुरू कर देना चाहिए. संक्रमण फैलने के बाद शरीर की एंटीबॉडी तुरंत एक्टिव हो जाती है और संक्रमण को रोकने की कोशिश करती है. अगर संक्रमण कम हो तो एंटीबॉडी शरीर को संक्रमित होने से बचा लेती है, लेकिन अगर संक्रमण ज्यादा हो तब एंटीबॉडी उसे रोक नहीं पाती और मरीज गंभीर तौर पर बीमार हो जाता है.

संक्रमित फेफड़ों में क्यों भर जाता है पानी?

डॉक्टर जिंदल ने बताया कि कोरोना संक्रमण की चपेट में आने पर फेफड़े सूज जाते हैं और निमोनिया हो जाता है. जिस वजह से उनमें पानी भर जाता है. ऐसे में तुरंत मरीज को ऑक्सीजन और बाकी इलाज देने की जरूरत पड़ती है.

ये भी पढ़िए: हवा में कोरोना को मारेगा ये एयर प्यूरीफायर, चंडीगढ़ पीजीआई को मिले 100 यूनिट

फेफड़ों पर बरकरार रहता है खतरा

डॉक्टर जिंदल ने कहा कि ऐसा नहीं है कि संक्रमण ठीक हो जाने के बाद मरीज पूरी तरह से ठीक हो जाता है. अगर संक्रमण कम हो तो उसके फेफड़े उसे रिकवर कर लेते हैं, लेकिन अगर संक्रमण ज्यादा हो तो फेफड़े रिकवर नहीं कर पाते. कई बार फेफड़े सिकुड़ जाते हैं और मरीज पूरी उम्र सामान्य नहीं हो पाता. वो ठीक से सांस नहीं ले पाता और थोड़ा बहुत काम करने पर ही उसे थकावट हो जाती है.

नेगेटिव रिपोर्ट आने पर भी नहीं बरते लापरवाही

मरीज की सांस बार-बार फूलने लगती है, इसलिए ऐसे में जरूरी है कि रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद जितना जल्दी हो सके सामान्य जिंदगी में वापस आए और एक्सरसाइज, योगा, वॉक आदि करना शुरू कर दे ताकि फेफड़े सामान्य स्थिति में आ सके.

ये भी पढ़िए: आंख और दिमाग पर होता है ब्लैक फंगस का असर, नेत्र चिकित्सक से जानें किन लोगों पर करता है ज्यादा अटैक

घर में कोरोना मरीजों का इलाज कैसे?

अगर घर में कोई कोरोना पॉजिटिव मरीज है तो घर वालों को उसके इलाज में गंभीरता बरतनी चाहिए ही. साथ ही साथ इस बात का भी ध्यान रखें कि घर में वेंटिलेशन अच्छा हो. जिस कमरे में मरीज हो वहां पर ताजी हवा आती हो ये मरीज के लिए बेहद जरूरी है.

स्मोकर्स के लिए घातक है कोरोना

इसके अलावा उन्होंने कहा कि जो लोग धूम्रपान करते हैं. उनके फेफड़े तो पहले से ही कमजोर होते हैं. ऐसे में कोरोना उन पर ज्यादा असर डाल सकता है. आम लोगों के मुकाबले ऐसे लोगों में कोरोना संक्रमण ज्यादा गंभीर रूप ले सकता है, इसलिए जो लोग धूम्रपान करते हैं उन्हें ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है.

ये भी पढ़िए: आयुर्वेद से जुड़े घरेलू नुस्खे इम्युनिटी बढ़ाने में सक्षम, डॉक्टर से जानिए किन बातों का रखना होगा ध्यान

डॉक्टर जिंदल ने कहा कि कई मरीजों में देखा गया है कि उनके दिल पर भी इसका असर पड़ा है. वैसे तो कोरोना फेफड़ों पर प्रभाव डालता है, लेकिन कई मामलों में दिल पर भी इसका असर देखा गया है. खासकर उन लोगों में जिनमें फेफड़ों की क्रॉनिक डिजीज हो.

क्यों दिल पर हो रहा कोरोना का असर?

संक्रमण की वजह से फेफड़े सिकुड़ जाते हैं, जिससे दिल को खून पंप करने में परेशानी आती है. इसके अलावा कई बार फेफड़ों की नसों में थक्के जम जाते हैं. इस वजह से भी दिल ठीक से खून पंप नहीं कर पाता. ऐसे मामलों में कई बार मरीज को हार्टअटैक भी आ जाता है.

ये भी पढ़िए: कोरोना महामारी में आसमान छूने लगे ऑक्सीजन सिलेंडर और कंसंट्रेटर के दाम, जानें कैसे हैं अंबाला के हालात

चंडीगढ़: कोरोना का नया स्ट्रेन लोगों के लिए ज्यादा घातक साबित हो रहा है, क्योंकि ये स्ट्रेन लोगों के फेफड़ों पर सबसे ज्यादा असर कर रहा है. बहुत से मामलों में लोगों को पता ही नहीं चल रहा कि उनके फेफड़ों में कोरोना संक्रमण पहुंच गया है और जबतक उन्हें ये पता चलता है तबतक वायरस फेफड़ों में फैल चुका होता है. ऐसे में लोगों को कई तरह के एहतियात बरतने की जरूरत है. लोग कैसे पता लगा सकते हैं कि कोरोना उनके फेफड़ों तक जा पहुंचा है? इस बारे में जानने के लिए ईटीवी भारत ने चंडीगढ़ पीजीआई के पल्मोनरी विभाग के पूर्व एचओडी डॉ. एसके जिंदल से बातचीत की-

डॉ. जिंदल ने कहा कि ऐसा नहीं है कि ये वायरस ज्यादा संख्या में लोगों की जान ले रहा है. ये वायरस ज्यादा तेजी से फैलता है और पहले के मुकाबले ज्यादा लोगों को संक्रमित कर रहा है. इस वजह से मौत के आंकड़े भी बढ़ गए हैं. ये वायरस 24 से 48 घंटों में फेफड़ों को संक्रमित कर देता है. अगर संक्रमण कम होता है तो वो जल्दी ठीक हो जाता है, लेकिन अगर संक्रमण ज्यादा हो तो ये मरीज को गंभीर रूप से बीमार कर देता है.

रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद अगर बरती लापरवाही तो हमेशा के लिए खराब हो सकते हैं फेफड़े

उन्होंने बताया कि अगर पॉजिटिव होने के बाद अगले 1 हफ्ते तक बुखार उतर जाता है और सांस लेने में दिक्कत नहीं आती तब संक्रमण ज्यादा नहीं होता, लेकिन अगर 1 हफ्ते के बाद भी बुखार नहीं उतरता है तो संक्रमण गंभीर हो सकता है.

corona virus effect lungs
फेफड़ों में संक्रमण पहुंचने के लक्षण

डॉक्टर के मुताबिक अगर ये लक्षण दिखने शुरू हो जाएं तो समझ लेना चाहिए कि संक्रमण फेफड़ों में फैलना शुरू हो गया है. ऐसे वक्त में इसका जल्द से जल्द इलाज शुरू कर देना चाहिए. संक्रमण फैलने के बाद शरीर की एंटीबॉडी तुरंत एक्टिव हो जाती है और संक्रमण को रोकने की कोशिश करती है. अगर संक्रमण कम हो तो एंटीबॉडी शरीर को संक्रमित होने से बचा लेती है, लेकिन अगर संक्रमण ज्यादा हो तब एंटीबॉडी उसे रोक नहीं पाती और मरीज गंभीर तौर पर बीमार हो जाता है.

संक्रमित फेफड़ों में क्यों भर जाता है पानी?

डॉक्टर जिंदल ने बताया कि कोरोना संक्रमण की चपेट में आने पर फेफड़े सूज जाते हैं और निमोनिया हो जाता है. जिस वजह से उनमें पानी भर जाता है. ऐसे में तुरंत मरीज को ऑक्सीजन और बाकी इलाज देने की जरूरत पड़ती है.

ये भी पढ़िए: हवा में कोरोना को मारेगा ये एयर प्यूरीफायर, चंडीगढ़ पीजीआई को मिले 100 यूनिट

फेफड़ों पर बरकरार रहता है खतरा

डॉक्टर जिंदल ने कहा कि ऐसा नहीं है कि संक्रमण ठीक हो जाने के बाद मरीज पूरी तरह से ठीक हो जाता है. अगर संक्रमण कम हो तो उसके फेफड़े उसे रिकवर कर लेते हैं, लेकिन अगर संक्रमण ज्यादा हो तो फेफड़े रिकवर नहीं कर पाते. कई बार फेफड़े सिकुड़ जाते हैं और मरीज पूरी उम्र सामान्य नहीं हो पाता. वो ठीक से सांस नहीं ले पाता और थोड़ा बहुत काम करने पर ही उसे थकावट हो जाती है.

नेगेटिव रिपोर्ट आने पर भी नहीं बरते लापरवाही

मरीज की सांस बार-बार फूलने लगती है, इसलिए ऐसे में जरूरी है कि रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद जितना जल्दी हो सके सामान्य जिंदगी में वापस आए और एक्सरसाइज, योगा, वॉक आदि करना शुरू कर दे ताकि फेफड़े सामान्य स्थिति में आ सके.

ये भी पढ़िए: आंख और दिमाग पर होता है ब्लैक फंगस का असर, नेत्र चिकित्सक से जानें किन लोगों पर करता है ज्यादा अटैक

घर में कोरोना मरीजों का इलाज कैसे?

अगर घर में कोई कोरोना पॉजिटिव मरीज है तो घर वालों को उसके इलाज में गंभीरता बरतनी चाहिए ही. साथ ही साथ इस बात का भी ध्यान रखें कि घर में वेंटिलेशन अच्छा हो. जिस कमरे में मरीज हो वहां पर ताजी हवा आती हो ये मरीज के लिए बेहद जरूरी है.

स्मोकर्स के लिए घातक है कोरोना

इसके अलावा उन्होंने कहा कि जो लोग धूम्रपान करते हैं. उनके फेफड़े तो पहले से ही कमजोर होते हैं. ऐसे में कोरोना उन पर ज्यादा असर डाल सकता है. आम लोगों के मुकाबले ऐसे लोगों में कोरोना संक्रमण ज्यादा गंभीर रूप ले सकता है, इसलिए जो लोग धूम्रपान करते हैं उन्हें ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है.

ये भी पढ़िए: आयुर्वेद से जुड़े घरेलू नुस्खे इम्युनिटी बढ़ाने में सक्षम, डॉक्टर से जानिए किन बातों का रखना होगा ध्यान

डॉक्टर जिंदल ने कहा कि कई मरीजों में देखा गया है कि उनके दिल पर भी इसका असर पड़ा है. वैसे तो कोरोना फेफड़ों पर प्रभाव डालता है, लेकिन कई मामलों में दिल पर भी इसका असर देखा गया है. खासकर उन लोगों में जिनमें फेफड़ों की क्रॉनिक डिजीज हो.

क्यों दिल पर हो रहा कोरोना का असर?

संक्रमण की वजह से फेफड़े सिकुड़ जाते हैं, जिससे दिल को खून पंप करने में परेशानी आती है. इसके अलावा कई बार फेफड़ों की नसों में थक्के जम जाते हैं. इस वजह से भी दिल ठीक से खून पंप नहीं कर पाता. ऐसे मामलों में कई बार मरीज को हार्टअटैक भी आ जाता है.

ये भी पढ़िए: कोरोना महामारी में आसमान छूने लगे ऑक्सीजन सिलेंडर और कंसंट्रेटर के दाम, जानें कैसे हैं अंबाला के हालात

Last Updated : May 20, 2021, 10:28 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.