चंडीगढ़: हरियाणा की ऐलनाबाद विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव (ellenabad by poll) में इसी सीट से तीन कृषि कानूनों को लेकर इस्तीफा देने वाले इंडियन नेशनल लोकदल के प्रत्याशी अभय चौटाला (abhay chautala) ने फिर से जीत दर्ज की है. उन्होंने बीजेपी-जेजेपी गठबंधन के उम्मीदवार गोविंद कांडा (govind kanda) को 6,708 मतों से हराया है, लेकिन बड़ी बात यह है कि तीसरे नंबर पर रहे कांग्रेस के उम्मीदवार पवन बेनीवाल अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए.
ऐलनाबाद के उपचुनाव में अभय चौटाला को जहां 65,897 वोट मिले वहीं गोविंद कांडा को 59,189 वोट मिले. जबकि कांग्रेस के पवन बेनीवाल को 20,857 वोट मिले. बीती 30 अक्टूबर को ऐलनाबाद सीट पर उपचुनाव के लिए मतदान हुआ था. वहीं ऐलनाबाद उपचुनाव में हार के बाद कांग्रेस पार्टी की गुटबाजी एक बार फिर सच साबित होती हुई दिखी. कांग्रेस प्रत्याशी पवन बेनीवाल अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए.
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पवन बेनीवाल को प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा की तरफ से टिकट दी गई थी. जिसको लेकर नेता विपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा खुश नहीं थे. इसलिए हुड्डा और उनके सांसद पुत्र दीपेंद्र हुड्डा मात्र औपचारिकता पूरी करने के लिए ही सिर्फ ऐलनाबाद में प्रचार के लिए गए थे. 3 महीने पहले ही भारतीय जनता पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने वाले पवन बेनीवाल को स्थानीय नेताओं ने भी स्वीकार नहीं किया. पिछले दो आम चुनाव से सत्ता से बाहर हरियाणा कांग्रेस को अब अपनी रणनीति बदलनी होगी. अगर पार्टी में इसी तरीके से रस्साकशी चलती रही पार्टी के सत्ता में लौटने की संभावनाएं धूमिल हो सकती हैं.
वहीं ऐलनाबाद विधानसभा चुनाव के नतीजे पर मिली हार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी शैलजा ने कहा कि गठबन्धन सरकार और इनेलो ने संसाधनों का जमकर दुरुपयोग किया. मतदाताओं को तमाम तरह के प्रलोभन दिए गए. उन्होंने हर तरह से वोटरों को लुभाने की कोशिश की. तमाम झूठे वादे किए. सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया गया, लेकिन इस सब के बाबजूद उन्होंने अभय चौटाला को जीत की बधाई दी है, और उम्मीद की है कि वे जनता के विश्वास पर खरा उतरेंगे.
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बता दें कि अभय चौटाला ने किसान आंदोलन के समर्थन में ऐलनाबाद सीट से इस्तीफा दे दिया था. जिसके बाद इस सीट पर उपचुनाव कराए गए. अभय चौटाला सिरसा जिले की ऐलनाबाद विधानसभा सीट से इनेलो के एकमात्र विधायक थे. अभय ने किसान आंदोलन के पक्ष में ऐलान किया था कि 26 जनवरी तक अगर केंद्र सरकार ने कानून वापस नहीं लिए तो वह विधायक पद से इस्तीफा दे देंगे. लेकिन जब उनकी यह मांग पूरी नहीं हुई तो उन्होंने हरियाणा विधानसभा के स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता को अपना इस्तीफा सौंप दिया था.
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