चंडीगढ़: गलवान घाटी में हुई हिंसक घटना के बाद देश में ना सिर्फ चीन बल्कि उसके उत्पादों को लेकर भी गुस्सा साफतौर पर दिखाई दे रहा है. भारतीय व्यापारियों की तरफ से भी चीन के उत्पादों का बहिष्कार करने की घोषणा कर दी गई, ऐसे में ईटीवी ने जानन की कोशिश की कि इस स्थिति में औद्योगिक रूप से प्रभुत्व हरियाणा पर क्या असर होगा.
प्रदेश में इस वक्त 1,00,000 से ज्यादा MSMEs हैं. जो ज्यादातर ऑटोमोबाइल, खाद्य सामग्री, कपडा, इंजीनियरिंग और मेटल पुर्जों का निर्माण करती हैं. ये प्रदेश के कुल निवेश में 20 हजार करोड़ रुपये का योगदान देती है, लेकिन क्या प्रदेश के ये उद्योग इस स्थिति में हैं कि आज चीन का बहिष्कार करके आत्म निर्भर बन सकते हैं? इन तमाम सवालों पर ईटीवी भारत हरियाणा की टीम ने अर्थशास्त्री बिमल अंजुम से खास बातचीत की है.
प्रोफेसर बिमल अंजुम का कहना है कि हरियाणा ऑटोमोबाइल सेक्टर में करीब 60% का उत्पादन करता है. ट्रैक्टर, मोटरसाइकिल मैन्युफैक्चरिंग में भी 70 फीसदी हरियाणा करता है. गुरुग्राम की बात की जाए तो आईटी सेक्टर का बहुत बड़ा हब है. स्टार्टअप को लेकर भी अगर बात करें तो गुरुग्राम नंबर वन है.
'MSMEs को आगे बढ़ाना होगा'
इस वक्त हरियाणा के पास अभी सुनहरा अवसर है. हरियाणा ज्यादातर सामान कृषि क्षेत्र का चाइना से मंगवाता है. अगर हम वह चीज हिंदुस्तान में बनाए तो हम चीन के सामान को रोक सकते हैं. साथ ही हरियाणा को अपने टैक्सटाइल इंडस्ट्री को भी आगे बढ़ाना होगा. हमारा अभी टैक्सटाइल इंडस्ट्री में ज्यादातर सामान चाइना से आयात करते हैं. ऐसे में अगर हम उसे अच्छे से आगे बढ़ाएं तो हम बेहतर कर सकते हैं.
हरियाणा इलेक्ट्रॉनिक बाजार में करीब 70% चीन से आयात करता है, हरियाणा का 70 फीसदी हिस्सा एनसीआर में आता है और एनसीआर ही इलेक्ट्रॉनिक हब है. ऐसे में इस क्षेत्र से जुड़ी एमएसएमई को अगर हरियाणा आगे बढ़ाएं तो बहुत ही अच्छा होगा. इसके ही जैसे फर्नीचर को लेकर बात की जाए तो जगाधरी में जिस तरीके से प्लाइवुड इंडस्ट्री है, उसको अगर हम सही तरीके से प्रमोट करें, तो हमें चाइना से संबंधित सामान मंगवाने की जरूरत नहीं है.
'हरियाणा के पास अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर है'
जब हमारी टीम ने सवाल किया कि क्या हमारा देश चीन पर निर्भरता को कम कर सकता है? तो इस सवाल पर अर्थशास्त्री बिमल अंजुम ने कहा कि आज या कल भारत सरकार हो चाहे कोई भी राज्य सभी को आत्मनिर्भर बनना होगा. चीन जैसे देश पर निर्भर रहना किसी भी स्थिति में अच्छा नहीं है. होली-दिवाली के त्योहार पर रंग, पटाखे और खिलौने चीन से ही आते हैं. उनके साइड इफेक्ट भी लोगों पर पढ़ते हैं, जिसे हम इग्नोर करते हैं.
कोरोना के समय भी हमने PPE किट और मास्क चीन से मंगवाए. वह बहुत ही खराब थे. जबकि आज भारत इन दोनों क्षेत्रों में निर्यात करने की स्थिति में है. अगर भारत चाहे तो अब हर क्षेत्र में बेहतर काम कर सकता है. वर्तमान स्थिति में हरियाणा के पास इंफ्रास्ट्रक्चर है. वह तो इस क्षेत्र में बहुत अच्छे से काम कर सकता है, क्योंकि यहां की कनेक्टिविटी हर जगह से बहुत अच्छी है.
बिमल अंजुम का कहना है कि स्वदेशी कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए सरकारों को चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ाना होगा. चाइना को पूरी तरह से एक दिन में अपनी जिंदगी से निकाल पाएंगे यह संभव नहीं है, इसलिए चरणबद्ध तरीके से ही काम करना होगा.
'MSMEs को सुविधाएं भी देनी होंगी'
बिमल अंजुम ने कहा कि हमें अपनी एमएसएमई को सिर्फ वित्तीय सहायता देकर ही आगे नहीं निकाल सकते हैं, बल्कि उसके लिए अन्य तरह की सुविधाएं भी मुहैया करवानी होगी. छोटे उद्योगों को भी आगे बढ़ाने के लिए हमें काम करना होगा और हमें इस वक्त मैन्युफैक्चरिंग की एक प्रॉपर लाइन बनानी होगी, ताकि हम चीन के प्रोडक्ट का कम इस्तेमाल कर सकें.
'क्लस्टर डवलेप करने की जरूरत है'
उनके मुताबिक हमने स्पेशल इकोनॉमिक जोन देश भर में बनाए, लेकिन इस वक्त जरूरत है क्लस्टर डवलेप करने की. हमें अलग-अलग जगहों के लोगों का स्किल देखना होगा. वहां किस तरीके की परिस्थितियां हैं उस हिसाब से हमें वहां के उद्योग को आगे बढ़ाना होगा.
आज हरियाणा देश का 3% कुल निर्यात करता है और बासमती चावल का भी 60% निर्यात करता है तो ऐसे में फूड इंडस्ट्री को हरियाणा में आगे बढ़ाया जा सकता है उससे हम दुनिया को भी निर्यात करके चीन पर निर्भरता को लोगों की कम कर सकते हैं.
राहत पैकेज से मिलेगा सहारा!
हालांकि कुछ दिनों पहले ही केंद्रीय वित्त मंत्री ने एमएसएमई को तीन लाख करोड़ रुपये के कोलेट्रल फ्री ऑटोमेटिक लोन का ऐलान किया है. सरकार का मकसद है कि लॉकडाउन में घाटे की वजह से कमजोर हो चुके सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को एकबार फिर अपने पैरों पर खड़ा किया जाए, ताकि ये छोटे उद्योग आगे बढ़ सकें. ऐसे में इस पैकेज के ऐलान होने से हरियाणा आत्म निर्भर होने की तरफ बढ़ सकता है.