चंडीगढ़: हरित क्रांति, श्वेत क्रांति व नीली क्रांति का अग्रदूत रहा हरियाणा अब जल संकट से निपटने और भावी पीढ़ियों को विरासत में जल प्रदान करने के लिए जल क्रांति की ओर कदम बढ़ा रहा है. इस दिशा में अपने भागीरथी प्रयास को आगे बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आज राज्य की द्विवार्षिक एकीकृत जल संसाधन कार्य योजना (2023-25) का शुभारंभ किया. इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि एसवाईएल हरियाणा और पंजाब के लिए अहम मुद्दा है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के हक में फैसला दे रखा है. हमें उम्मीद है कि यह मुद्दा जल्द ही सुलझ जाएगा. एसवाईएल का निर्माण हमारे हाथ में नहीं है, इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का इंतजार है.
मुख्यमंत्री ने यहां आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. इस अवसर पर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल उपस्थित थे. मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक दिन है, जब इतने बड़े स्तर पर जल संसाधन के लिए कार्य योजना का अनावरण किया गया है. इस कार्य योजना में पानी की कमी और जलभराव की दोहरी चुनौती से निपटने के लिए सभी संबंधित विभागों द्वारा बनाई गई, ब्लॉक स्तरीय कार्य योजनाएं शामिल हैं.
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एकीकृत जल संसाधन कार्य योजना का लक्ष्य पानी की बचत करके दो वर्षों की अवधि में पानी की मांग और आपूर्ति के अंतर को 49.7 प्रतिशत तक पूरा करना है. पहले वर्ष में कुल 22 प्रतिशत पानी और दूसरे वर्ष में 27.7 प्रतिशत पानी बचाना है. यह कदम पर्यावरण के लिए भी महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि राज्य में कुल पानी की उपलब्धता 20 लाख 93 हजार 598 करोड़ लीटर है, जबकि पानी की कुल मांग 34 लाख 96 हजार 276 करोड़ लीटर है.
हरियाणा में पानी की मांग और उपलब्धता में 14 लाख करोड़ लीटर का अंतर है.इस कार्य योजना से अगले दो वर्षों में पानी की बचत करने का लक्ष्य रखा है. उन्होंने कहा कि जल संरक्षण की दिशा में 26 और 27 अप्रैल को दो दिवसीय जल सम्मेलन आयोजित किया गया था. जिसमें प्रशासनिक सचिवों और विषय विशेषज्ञों ने भाग लिया था. सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य गिरते भूजल स्तर के मद्देनजर एक एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन रणनीति और दृष्टिकोण पर चर्चा करना था.
विभागों ने जिला समितियों, विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं के इनपुट के आधार पर मांग और आपूर्ति की योजना प्रस्तुत की. परिणामस्वरूप आज की कार्य योजना तैयार की गई. मुख्यमंत्री ने कहा कि पानी की अधिकतम मात्रा का उपयोग कृषि और बागवानी क्षेत्र में किया जाता है, जो क्रमशः 86 प्रतिशत और 5 प्रतिशत है. जल संरक्षण तरीकों को अपनाकर पानी की खपत को कम करने के लिए लगातार प्रयासों की आवश्यकता है.
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कृषि विभाग ने कार्य योजना में विभिन्न उपायों को शामिल किया है. इसके अनुसार, फसल विविधीकरण के तहत 3.14 लाख एकड़ क्षेत्र को कवर किया जाएगा, जिससे 1.05 लाख करोड़ लीटर (7.6 प्रतिशत) पानी की बचत होगी. इसी प्रकार, सिंचाई विभाग (मिकाडा सहित), जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, पंचायत विभाग, तालाब प्राधिकरण, लोक निर्माण विभाग, शहरी स्थानीय निकाय, वन और शिक्षा इत्यादि विभागों ने भी जल संसाधन के उपाय बताए हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार गिरते भूजल के बारे में जागरूकता पैदा करने और इस जल संरक्षण अभियान को जन आंदोलन बनाकर लोगों की सक्रिय भागीदारी के लिए सर्वोत्तम प्रयास करेगी. उन्होंने कहा कि बेटियों ने हमें आवाज़ दी कि हमें गर्भ में मत मारो तो हमने बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ अभियान चलाया और समाज के सहयोग से इसे सफल बनाया.
आज धरती मां हमें पुकार रही है तो हमारा फर्ज बनता है कि हम अपने प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करें लेकिन किसी भी कीमत पर उनका शोषण न करें. मुख्यमंत्री ने कहा कि जब हम जल प्रबंधन और संरक्षण की ओर बढ़ते हैं तो रिड्यूस, रिसाइकिल और रियूज पर हमें फोकस करना होगा. पानी का पुनः उपयोग करके फ्रेश वॉटर पर निर्भरता को कम किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि फसल विविधीकरण के लिए मेरा पानी मेरी विरासत योजना जैसी नई पहल की है.
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उन्होंने राज्य के किसानों का भी धन्यवाद किया, जिन्होंने 1.5 लाख एकड़ भूमि पर धान के स्थान पर अन्य फसलों की खेती की. इसके अलावा, अब किसान धान की सीधी बिजाई पद्धति की ओर भी बढ़ रहे हैं, जिससे पानी की बचत होगी. सीएम मनोहर लाल ने कहा कि फिलहाल दिल्ली को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक हरियाणा सरकार 250 क्यूसेक पानी दे रही है.
आने वाले समय में दिल्ली के साथ साथ हरियाणा के अपने जिलों की भी पानी की आवश्यकता निश्चित रूप से बढ़ने वाली है, इसलिए जल संरक्षण वर्तमान समय की जरूरत बन गया है. उन्होंने कहा कि पानी के नियमन को सुनिश्चित करने के लिए तीन बांध रेणुका, लखवाड़ और किशाऊ बांध बनाए जा रहे हैं. इन बांधों के बनने से निश्चित तौर पर राज्य की पानी की जरूरतें पूरी होंगी. आदिबद्री सहित 9 बांधों पर काम किया जा रहा है.