चंडीगढ़: हरियाणा की जनता को सरकारी सुविधाएं डिजिटल माध्यम से उपलब्ध कराने के लिए बुधवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल (manohar lal khattar) ने ऑटो अपील सॉफ्टवेयर (auto appeal software haryana) को लॉन्च किया. ये सॉफ्टवेयर लोगों को सरकारी सुविधाओं का लाभ दिलाने में मदद करेगा. सॉफ्टवेयर को लॉन्च करने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि कि सरकार की ओर से लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए कई तरह की योजनाएं शुरू की जाती हैं, लेकिन जानकारी ना होने की वजह से लोग उन योजनाओं का लाभ नहीं ले पाते. क्योंकि लोगों को इसमें कई तरह की उलझनों का सामना करना पड़ता है.
इसके साथ-साथ अधिकारी भी कई तरह की समस्याओं का सामना करते हैं. जिस वजह से सभी लोगों को योजना का लाभ नहीं मिल पाता. राइट टू सर्विस एक्ट में लोगों को सुविधाएं देने के लिए तय समय का प्रावधान किया गया है. एक्ट के तहत तय समय में लोगों को निर्धारित सुविधा मिल जानी चाहिए. इसी बात को ध्यान में रखते हुए हमने ये ऑटो अपील सिस्टम तैयार किया है. आटो अपील सॉफ्टवेयर (auto appeal software) के अगर तय समय में व्यक्ति को योजना का लाभ ना मिला या उसका काम पूरा नहीं हुआ तो उसकी अपील अपने आप ही अगले अधिकारी को चली जायेगी.
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अगला अधिकारी 30 दिनों के भीतर यह निर्णय करेगा कि संबंधित व्यक्ति को ये सेवा कब तक मुहैया करवानी है. अधिकारी ये देखेगा कि सुविधा के लिए आवेदन करने वाला व्यक्ति पात्र है या नहीं. साथ ही अगर इसमें किसी अन्य निचले स्तर के अधिकारी की कमी पाई जाती है तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जा सकती है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि ये एक क्रांतिकारी कदम है, लोगों को सिर्फ योजना के हिसाब से जरूरी दस्तावेज जमा करवाने हैं और उसके बाद संबंधित अधिकारी तय समय सीमा में उसे यह सुविधा देगा. अगर कोई अधिकारी लापरवाही करता है तो उसे खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी. इसमें जो अधिकारी तय समय में लोगों को सुविधाएं पहुंचाने में कामयाब होंगे. उन्हें सरकार की ओर से सम्मानित भी किया जाएगा.
कैसे काम करता है ऑटो अपील सॉफ्टवेयर (auto appeal software)- सरकार राइट टू सर्विस एक्ट के तहत सभी नागरिकों को तय समय में सरकारी योजनाओं का लाभ देना चाहती है. इसके लिए इस सॉफ्टवेयर की शुरुआत की गई है. अगर लाभार्थी का काम तय समय सीमा के अंदर नहीं होता तो ऑटो अपील सॉफ्टवेयर (auto appeal software) के जरिए उसका आवेदन अपने आप अपीलेट अथॉरिटी (अगले अधिकारी के पास) चला जाएगा. अगर उस अधिकारी के पास भी काम नहीं होता तो आवेदन उससे बड़े अधिकारी के पास चला जाएगा. और अगर इन दोनों अधिकारियों के पास काम नहीं होता तो फिर आवेदन सूचना आयोग के पास आ जाएगा. जिससे सरकार को काम ना होने की जानकारी मिल सकेगी. और संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई भी की जा सकती है.
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