चंडीगढ़: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को मुख्य न्यायाधीशों और मुख्यमंत्रियों के संयुक्त सम्मेलन का उद्घाटन (pm modi inaugurate joint conference of cm and chiefjustices) किया. इस कार्यक्रम में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के अलावा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा मौजूद रहे.
कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, छत्तीसगढ़ सीएम भूपेश बघेल, अरुणाचल प्रदेश सीएम पेमा खांडू, मेघालय सीएम कोनराड संगमा और पंजाब सीएम भगवंत मान ने विज्ञान भवन में राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन में हिस्सा लिया. वहीं, कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आजादी के इन 75 सालों ने न्यायपालिका और कार्यपालिका दोनों के ही रोल और जिम्मेदारियों को निरंतर स्पष्ट किया है.
एक दिवसीय सम्मेलन के दौरान कार्यपालिका और न्यायपालिका इस दिशा में प्रयासों के तालमेल के लिए साझा आधार खोजने के तरीकों पर चर्चा करते हैं. केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री किरण रिजिजू और भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन.वी. रमना ने भी सम्मेलन को संबोधित किया. हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मोहम्मद रफ़ीक, प्रधान सचिव गृह भरत खेड़ा और प्रधान सचिव विधि राजीव भारद्वाज भी इस अवसर पर उपस्थित थे.
बता दें कि इस सम्मेलन के आयोजन 6 साल बाद किया गया. इससे पहले, 2016 में यह सम्मेलन हुआ था. पीएमओ ने कहा कि 2016 से अब तक सरकार ने अवसंरचना में सुधार और 'ई-कोर्ट्स मिशन मोड प्रोजेक्ट' के तहत अदालती प्रक्रियाओं में डिजिटल प्रौद्योगिकी का एकीकरण करने के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं. गौर रहे कि सम्मेलन न्यायपालिका के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करने का एक मंच है. अदालतों में बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए न्यायमूर्ति रमण के प्रस्ताव को सम्मेलन के एजेंडे का हिस्सा बनाया गया है. सम्मेलन के उद्घाटन के बाद विभिन्न कार्य सत्र आयोजित किए जाएंगे, जिनमें मुख्यमंत्री और मुख्य न्यायाधीश एजेंडे में शामिल विषयों पर चर्चा करेंगे.
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