चंडीगढ़: मौसम विज्ञान विभाग भारत की ओर से किसी घटना के घटित होने की संभावना और खतरे के आधार पर अलग-अलग कलर कोड का इस्तेमाल किया जाता है. मुख्य रूप से इसका उद्देश्य उचित अधिकारियों को मौसम के प्रभाव के बारे में चेतावनी देना होता है, जिससे आपदा के खतरे को कम करने के लिए समय पर आवश्यक कार्रवाई की जा सके. इन कलर कोड को समझना बेहद आसान होता है
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ईटीवी भारत की टीम ने इस पर ज्यादा जानकारी के लिए चंडीगढ़ के मौसम विज्ञान विभाग के अधिकारी एके सिंह से बातचीत की है. उन्होंने बताया कि मानसून में मौसम संबंधी किसी भी जानकारी या अलर्ट की चेतावनी IMD द्वारा चार रंगों के आधार पर दी जाती है. इसके अलावा खराब मौसम की तीव्रता कितनी हिंसक साबित हो सकती है. ये भी रंगों के माध्यम से ही दर्शाया जाता है. बता दें कि इनमें हरा रंग सबसे ठीक माना जाता है. क्योंकि मौसम विभाग के मुताबिक, हरे रंग का मतलब होता है कि मौसम सामान्य है. आपदा प्रबंधन अधिकारियों को किसी भी प्रकार की कोई सलाह नहीं दी गई है.
एके सिंह ने बताया कि पीला रंग संकेत देता है कि मौसम की स्थिति खराब हो सकती है. जबकि खराब मौसम की चेतावनी के रूप में नारंगी रंग जारी कर दिया जाता है. जिसमे फ्लड की संभावना बढ़ जाती है और पेड़ गिरने की आशंका भी जताई जाती है. मौसम के लिए सबसे खतरनाक माना गया है लाल रंग. रेड अलर्ट पर फ्लड आना स्वाभाविक है. रेड अलर्ट में घरों में रहने की चेतावनी जारी कर दी जाती है. रेड अलर्ट जारी किए जाने पर सूचित कर दिया जात है कि सड़क और रेल बंद होने, बिजली आपूर्ति में रुकावट आदि के साथ आवागमन में व्यवधान की संभावना है.
मौसम विभाग के मुताबिक, अलर्ट्स के लिए रंगों का चुनाव कई एजेंसियों के साथ मिलकर किया गया है. भीषण गर्मी या सर्द लहर, मानसून और चक्रवाती तूफान के बारे में जानकारी देने के लिए इन रंगों का इस्तेमाल किया जाता है. ताकि लोग खतरे के प्रति सावधान रहे.
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चंडीगढ़ मौसम विभाग के अधिकारी एके सिंह ने बताया कि मानसून के मौसम में हरे रंग की चेतावनी देने का मतलब है कि मौसम सामान्य है. कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा. मानसून में दिए जाने वाले पीले रंग की चेतावनी का मतलब है, आसपास के इलाकों में कुछ हलचल होनी शुरू हो गई है. इसमें भी मौसम सामान्य रहता है. मॉनसून में तीसरे रंग यानी नारंगी रंग की चेतावनी का मतलब है. कि कुछ गंभीर होने वाला है और यह और सक्रिय हो सकता है.
आखिर में लाल रंग की चेतावनी का मतलब है की बहुत ही भयानक तौर पर मौसम में बदलाव हो चुका है. जिसके नतीजे घातक हो सकते हैं. लोगों को समय रहते अपनी ओर ध्यान देना चाहिए ना कि सामान को समेटने में. क्योंकि लाल रंग की चेतावनी का मतलब है स्थिति गंभीर तौर पर प्रभावित है.
एके सिंह ने बताया इसी तरह गर्मी और सर्दी के मौसम में भी इन चार रंगों को चेतावनी के तौर पर चुन लिया जाता है. गर्मी के मौसम में हरे रंग की चेतावनी का मतलब है कि मौसम सामान्य है. गर्मी नहीं बढ़ेगी. जबकि पीले रंग की चेतावनी का मतलब है कि तेज धूप के साथ गर्म हवाएं चल सकती हैं. इसके बाद तीसरी यानी नारंगी चेतावनी का मतलब है. दिनभर उष्म तरंगे यानी हीटवेव चलेंगी और इसके साथ पारा बढ़ता हुआ दिखाई दे सकता है. आखिर में चौथा रंग यानी लाल रंग की चेतावनी का मतलब है. तापमान जरूरत से ज्यादा है हीट वेव लगातार चल रही हैं.
एके सिंह ने बताया कि सर्दियों में पहला रंग यानी हरा रंग बताता है कि सामान्य तौर पर सर्दी पड़ेगी. पीले पीले रंग की चेतावनी का मतलब है. तापमान उम्मीद से ज्यादा बढ़ सकता है. नारंगी रंग की चेतावनी का मतलब है शीतलहर चल सकती है. तापमान न्यूनतम से न्यूनतम पहुंच सकता है. लाल रंग की चेतावनी का मतलब है कि लगातार शीतलहर बह रही है. तापमान न्यूनतम होता जा रहा है.
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