ETV Bharat / state

अनलॉक में भी टैक्सी और ऑटो का धंधा पड़ा मंदा, बैठने से भी डर रहे हैं ग्राहक

अनलॉक 2.0 के बाद क्या कैब और ऑटो ड्राइवर्स की हालत में कोई सुधर आया? ये जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची. इस दौरान कई कैब और ऑटो चालकों से जाना कि आखिर वो कोरोना काल में कैसे अपना घर चला रहे हैं?

chandigarh taxi and auto driver getting no work  in unlock two
टैक्सी ट्राइवरों का धंधा मंदा
author img

By

Published : Aug 25, 2020, 2:35 PM IST

चंडीगढ़: कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाया गया लॉकडाउन भले ही धीरे-धीरे खुल रहा है, लेकिन इसकी मार से उभरने में अब भी लोगों लंबा वक्त लगेगा. शायद ही ऐसा कोई क्षेत्र होगा जिसपर लॉकडाउन के दौरान लॉक ना लगा हो. अगर बात प्रदेश के कैब और ऑटो ड्राइवर्स की करें तो ये अब भी सड़क किनारे ग्राहकों का इंतजार कर रहे हैं.

अनलॉक 2.0 के बाद क्या कैब और ऑटो ड्राइवर्स की हालत में कोई सुधर आया? ये जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम चंडीगढ़ की सड़कों पर उतरी. इस दौरान ईटीवी भारत की टीम ने कई कैब और ऑटो चालकों से बात की और जाना कि वो कोरोना काल में कैसे अपना घर चला रहे हैं?

अनलॉक में भी टैक्सी और ऑटो का धंधा पड़ा मंदा, बैठने से भी डर रहे हैं ग्राहक

कैब में बैठने से डर रहे ग्राहक

सेक्टर 18 के चुन्नी टैक्सी स्टैंड पर काम कर रहे चालकों ने बताया कि लॉकडाउन के बाद से उनका काम बिलकुल बंद हो चुका है. उन्हें उम्मीद थी कि अनलॉक होने बाद काम मिलेगा, लेकिन अब भी लोग कैब में बैठने से डर रहे हैं.

टैक्सी स्टैंड पर खड़ी गाड़ियां

कैब ड्राइवर्स ने कहा कि टैक्सी का काम पूरी तरह से खत्म हो चुका है. आम दिनों में टैक्सी स्टैंड से 810 टैक्सियां अलग-अलग जगहों के लिए निकलती थी, लेकिन अब ग्राहकों के ना होने की वजह से सभी टैक्सियां यहां ऐसे ही खड़ी हैं. उनका काम पूरी तरह से खत्म हो चुका है. वो लोग भूखे मरने की कगार पर पहुंच चुके हैं. इसके अलावा जो किराया के टैक्सी स्टैंड पर अपनी गाड़ी खड़ी करते हैं. उन्हें भी हर 3 महीने में 25 हजार रुपये नगर निगम को देने पड़ रहे हैं. इसके अलावा उन्हें गाड़ियों की ईएमआई देने भी दिक्कतें आ रही हैं.

दूसरी ओर ऑटो चालकों का भी हाल बुरा ही है. ऑटो चालकों ने बताया कि कोरोना के बाद उनका काम 1 से 2 प्रतिशत पर सिमट गया है. ऑटो चलाने के लिए सीएनजी गैस भरवाने पड़ती है, लेकिन उनके पास सीएनजी गैस भरवाने के लिए भी पैसे नहीं आ रहे हैं.

ये भी पढ़ें:-गुरुग्राम के मेदांता में एडमिट हुए सीएम मनोहर लाल, सोमवार को मिले थे कोरोना पॉजिटिव

ऑटो चालकों ने बताया कि आम दिनों में वो 500 से 700 रुपये प्रतिदिन कमा लेते थे, लेकिन अब धंधा पूरी तरह से चौपट हो गया है. बड़ी मुश्किल से कोई सवारी मिलती है और पूरा दिन ऑटो चलाने के बाद भी सिर्फ 100 या 150 रुपये ही आमदनी हो रही है.

चंडीगढ़: कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाया गया लॉकडाउन भले ही धीरे-धीरे खुल रहा है, लेकिन इसकी मार से उभरने में अब भी लोगों लंबा वक्त लगेगा. शायद ही ऐसा कोई क्षेत्र होगा जिसपर लॉकडाउन के दौरान लॉक ना लगा हो. अगर बात प्रदेश के कैब और ऑटो ड्राइवर्स की करें तो ये अब भी सड़क किनारे ग्राहकों का इंतजार कर रहे हैं.

अनलॉक 2.0 के बाद क्या कैब और ऑटो ड्राइवर्स की हालत में कोई सुधर आया? ये जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम चंडीगढ़ की सड़कों पर उतरी. इस दौरान ईटीवी भारत की टीम ने कई कैब और ऑटो चालकों से बात की और जाना कि वो कोरोना काल में कैसे अपना घर चला रहे हैं?

अनलॉक में भी टैक्सी और ऑटो का धंधा पड़ा मंदा, बैठने से भी डर रहे हैं ग्राहक

कैब में बैठने से डर रहे ग्राहक

सेक्टर 18 के चुन्नी टैक्सी स्टैंड पर काम कर रहे चालकों ने बताया कि लॉकडाउन के बाद से उनका काम बिलकुल बंद हो चुका है. उन्हें उम्मीद थी कि अनलॉक होने बाद काम मिलेगा, लेकिन अब भी लोग कैब में बैठने से डर रहे हैं.

टैक्सी स्टैंड पर खड़ी गाड़ियां

कैब ड्राइवर्स ने कहा कि टैक्सी का काम पूरी तरह से खत्म हो चुका है. आम दिनों में टैक्सी स्टैंड से 810 टैक्सियां अलग-अलग जगहों के लिए निकलती थी, लेकिन अब ग्राहकों के ना होने की वजह से सभी टैक्सियां यहां ऐसे ही खड़ी हैं. उनका काम पूरी तरह से खत्म हो चुका है. वो लोग भूखे मरने की कगार पर पहुंच चुके हैं. इसके अलावा जो किराया के टैक्सी स्टैंड पर अपनी गाड़ी खड़ी करते हैं. उन्हें भी हर 3 महीने में 25 हजार रुपये नगर निगम को देने पड़ रहे हैं. इसके अलावा उन्हें गाड़ियों की ईएमआई देने भी दिक्कतें आ रही हैं.

दूसरी ओर ऑटो चालकों का भी हाल बुरा ही है. ऑटो चालकों ने बताया कि कोरोना के बाद उनका काम 1 से 2 प्रतिशत पर सिमट गया है. ऑटो चलाने के लिए सीएनजी गैस भरवाने पड़ती है, लेकिन उनके पास सीएनजी गैस भरवाने के लिए भी पैसे नहीं आ रहे हैं.

ये भी पढ़ें:-गुरुग्राम के मेदांता में एडमिट हुए सीएम मनोहर लाल, सोमवार को मिले थे कोरोना पॉजिटिव

ऑटो चालकों ने बताया कि आम दिनों में वो 500 से 700 रुपये प्रतिदिन कमा लेते थे, लेकिन अब धंधा पूरी तरह से चौपट हो गया है. बड़ी मुश्किल से कोई सवारी मिलती है और पूरा दिन ऑटो चलाने के बाद भी सिर्फ 100 या 150 रुपये ही आमदनी हो रही है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.