चंडीगढ़: चंडीगढ़ की सुखना झील से बड़ी मछलियों को हटाया जाएगा. मछली पकड़ने का कार्य 22 मार्च तक किया जाएगा. सुखना झील के कायाकल्प के लिए आने वाले दिनों में विशेषज्ञों के परामर्श से मछली के नए बीज जारी किए जाएंगे और मछलियों की नई किस्मों को पाला जाएगा. पशुपालन और मत्स्य पालन विभाग चंडीगढ़ द्वारा वन विभाग और पंजाब यूनिवर्सिटी के जूलॉजी विभाग के सुझाव से सुखना झील के पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने के लिए पुरानी और बड़ी मछलियों को हटाया जा रहा है.
पंजाब यूनिवर्सिटी के जूलॉजी विभाग द्वारा पिछले लंबे समय से सुखना झील चंडीगढ़ और आसपास के जल जीवों को लेकर रिसर्च की जा रही है. जिसके चलते दोनों संस्थानों द्वारा कई खामियां पाई गई, जिनको लेकर इन्होंने कई सुझाव दिए हैं. इस गतिविधि का उद्देश्य सुखना झील के पारिस्थितिक प्रबंधन में सुधार करना है, जो एक छोटी झील है. जिसके लिए बड़े जल निकायों या बहते पानी को अलग किया जाता है.
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ऐसी झीलों के आसपास की वनस्पतियों और जीवों के पारिस्थितिक प्रबंधन की अपनी विशिष्ट आवश्यकताएं हैं, जो परिवर्तनों के प्रति संवेदनशील हैं. ऐसे में बड़े आकार की मछलियों को हटाने से प्रवासी पक्षियों के लिए छोटी मछलियों की बेहतर फीडिंग उपलब्धता भी हो सकेगी, जो प्रकृति का स्वरूप है. सुखना झील से बड़ी मछलियों को हटाने का काम वन विभाग की मंजूरी मिलने के बाद किया जाता है.
क्योंकि बीते कुछ सालों से बारिशों के मौसम के दौरान कई जीवों की असामान्य मृत्यु दर्ज की गई थी. इस बारे में जानकारी देते हुए पशुपालन के संयुक्त निदेशक डॉ कंवरजीत सिंह ने कहा कि जनता को असुविधा से बचाने के लिए रात में 8 बजे से सुबह 6 बजे के बीच जालियां लगाई जाएगी और बड़ी मछलियों को पकड़ा जाएगा.
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यहां आने वाले लोगों को इस प्रक्रिया से दूर रखने के निर्देश दिए गए हैं. मछली पकड़ने वाले जाल की मदद से यह काम किया जा रहा है. वहीं इस बात का विशेष ध्यान रखा जाएगा कि जाल के अंदर पकड़ी गई 6 सेंटीमीटर से कम की मछलियों को सुरक्षित रखते हुए केवल बड़ी मछलियों को निकाला जाए. इसके लिए विभाग के कर्मचारियों ने मछुआरों के साथ यह काम शुरू किया है.