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चंडीगढ़ मनोचिकित्सा विभाग का स्थापना दिवस: मेंटल हेल्थ के मुद्दे पर की जाएगी अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस - चंडीगढ़ पीजीआई में मेंटल हेल्थ कॉन्फ्रेंस

हर साल 16 सितंबर को चंडीगढ़ पीजीआई में मनोचिकित्सा विभाग अपना स्थापना दिवस मनाता है. इस बार इस मौके पर विभाग की तरफ से विश्व स्तर पर कॉन्फ्रेंस की जा रही है. जिसमें मेंटल हेल्थ के मुद्दे पर चर्चा की जाएगी.

chandigarh psychiatry department foundation day
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Sep 15, 2023, 7:07 PM IST

चंडीगढ़ मनोचिकित्सा विभाग का स्थापना दिवस: मेंटल हेल्थ के मुद्दे पर की जाएगी अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस

चंडीगढ़: साल 1963 में चंडीगढ़ पीजीआई में मनोवैज्ञानिक विभाग की शुरुआत हुई थी. जिसे अब 60 साल हो जाएंगे. इस उपलक्ष में चंडीगढ़ पीजीआई मेंटल हेल्थ को लेकर विश्व स्तर पर कॉन्फ्रेंस करने जा रहा है. इस कॉन्फ्रेंस में मनोविज्ञान से जुड़े हुए डॉक्टर, वर्कर्स और रिसर्चर हिस्सा लेंगे. विदेश से कुल 60 से अधिक देश इस कॉन्फ्रेंस के लिए पहुंच चुके हैं. 16 सितंबर 1963 को मनोचिकित्सक डॉक्टर नरेंद्र नाथ बिग मेडिसिन विभाग में शामिल हुए थे. जिसके कारण बाद में मनोचिकित्सा विभाग का निर्माण किया गया.

ये भी पढ़ें- मृतक अंगदान श्रेणी में चंडीगढ़ PGI को मिला राष्ट्रीय सम्मान, ऑर्गन डोनेशन में केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे आगे

1968 में इस दिन को पीजीआई चंडीगढ़ मनोचिकित्सा विभाग का स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन संस्थान के प्रतिष्ठित प्रोफेसर और स्कॉलर्स की मेजबानी की जाएगी. इस सम्मेलन में सार्वजनिक मानसिक स्वास्थ्य की थीम रखी गई है. असिस्टेंट प्रोफेसर शालिनी नायर ने बताया कि वे न्यूरो माड्यूलेशन विभाग में अपनी रिसर्च कर रही हैं. ये एक एडवांस लेवल मेंटल प्रोसीजर है. सायकेट्री विभाग में सीवर मेंटल इलनेस नाम की एक बीमारी होती है, इन बीमारियों में डिप्रेशन, बाइपोलर, ऑब्सेस कैप्शन डिसऑर्डर जैसी बीमारियां देखी जा सकती हैं.

शालिनी ने कहा कि उक्त बीमारियों से संबंधित इलाज आज के समय में संभव है, लेकिन ये 1995 से की जा रही कोशिशें का नतीजा है. वहीं मनोवैज्ञानिक से जुड़ी ये बीमारी आज भी 30% लोगों में दवा लेने के बावजूद ठीक नहीं हो पाती. ऐसे में हर तरह के ट्रीटमेंट किए जाने के बावजूद उन पर एडवांस ट्रीटमेंट किया जाता है. जिसमें बायोमेडिकल इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी की मदद ली जाती है. मनोवैज्ञानिक इलाज में इलेक्ट्रोकंवल्सिव थेरेपी है, जो पिछले 80 सालों से की जा रही है. थेरेपी की खास बात है ये है कि अगर दवाइयां काम नहीं कर रही हैं. तो विधि के द्वारा 60% से अधिक लोग ठीक हो जाते हैं.

ये भी पढ़ें- Chandigarh PGI News: चंडीगढ़ पीजीआई के रेजिडेंट डॉक्टर ने की आत्महत्या की कोशिश, सीनियर पर लगाया प्रताड़ित करने का आरोप

वही इलेक्ट्रोकंवल्सिव थेरेपी का एक नुकसान यह है कि इलाज के दौरान मरीज की याददाश्त कुछ समय के लिए चली जाती है. लेकिन यह याददाश्त की समस्या 3 से 4 हफ्तों के बाद ठीक हो जाती है. डॉक्टर अखिलेश शर्मा ने बताया कि इस कॉन्फ्रेंस में मानसिक तनाव जैसी बीमारी से जूझ रहे लोगों को अस्पतालों में किस तरह का इलाज दिया जा रहा है. इस पर चर्चा की जाएगी. उन्होंने कहा कि मेंटल हेल्थ एक ऐसा इशू है. जिसके बारे में लोगों को भले ही जानकारी हो, लेकिन उन्हें नहीं पता कि इसके लक्षण कैसे पहचाने जाएं. ताकि डॉक्टर को दिखाई जाए. इसलिए मनोविज्ञान को पब्लिक हेल्थ का मुद्दा बनाया जाना जरूरी है, ताकि इससे समय रहते समझाया जा सके.

पीजीआई चंडीगढ़ मनोवैज्ञानिक विभाग के प्रमुख प्रोफेसर डॉक्टर डी बसु ने बताया कि ये कॉन्फ्रेंस मनोवैज्ञानिक विभाग के 60 साल पूरे होने के उपलक्ष में रखी गई है. इस डायमंड जुबली को विशेष बनाने के लिए देशभर और विदेश भर से डेलिकेट्स बुलाए गए हैं. ये डेलिकेट मनोवैज्ञानिक क्षेत्र में अपना लोहा मनवा चुके हैं. इस कॉन्फ्रेंस का मुख्य उद्देश्य लोगों की मेंटल हेल्थ को लेकर देखी जा रही चिताओं पर गहन चर्चा का है. इन चर्चाओं में सामूहिक मानसिक तनाव और बढ़ रहे आत्महत्या के मामलों को बारीकी से विचार विमर्श किया जाएगा.

ये भी पढ़ें- चंडीगढ़ PGI में OPD के समय में बदलाव, जानिए ओपीडी में रजिस्ट्रेशन का नया शेड्यूल

इन चर्चाओं में विशेष व्यक्ति की बात नहीं की जाएगी, बल्कि अलग-अलग क्षेत्र से जुड़े लोगों की किस तरह मदद की जाए इस पर भी चर्चा होगी. उन्होंने बताया कि इस इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में ऐसे ऐसे लोग आ रहे हैं. जिन्होंने मनोवैज्ञानिक क्षेत्र में अपना पूरा जीवन व्यतीत किया है. इस दौरान वर्ल्ड साइकाइट्रिक एसोसिएशन के प्रेजिडेंट डॉक्टर अफजल जावेद भी विशेष तौर पर इस सेमिनार में शामिल हो रहे हैं. पीजीआई में यूके, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और अन्य 60 देश के डेलीगेट पहुंच रहे हैं. इन सभी का चर्चा का विषय मानसिक तनाव और उससे जुड़ी समस्याओं को किस तरह हल किया जा सकता है. ये देखना होगा.

चंडीगढ़ मनोचिकित्सा विभाग का स्थापना दिवस: मेंटल हेल्थ के मुद्दे पर की जाएगी अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस

चंडीगढ़: साल 1963 में चंडीगढ़ पीजीआई में मनोवैज्ञानिक विभाग की शुरुआत हुई थी. जिसे अब 60 साल हो जाएंगे. इस उपलक्ष में चंडीगढ़ पीजीआई मेंटल हेल्थ को लेकर विश्व स्तर पर कॉन्फ्रेंस करने जा रहा है. इस कॉन्फ्रेंस में मनोविज्ञान से जुड़े हुए डॉक्टर, वर्कर्स और रिसर्चर हिस्सा लेंगे. विदेश से कुल 60 से अधिक देश इस कॉन्फ्रेंस के लिए पहुंच चुके हैं. 16 सितंबर 1963 को मनोचिकित्सक डॉक्टर नरेंद्र नाथ बिग मेडिसिन विभाग में शामिल हुए थे. जिसके कारण बाद में मनोचिकित्सा विभाग का निर्माण किया गया.

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1968 में इस दिन को पीजीआई चंडीगढ़ मनोचिकित्सा विभाग का स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन संस्थान के प्रतिष्ठित प्रोफेसर और स्कॉलर्स की मेजबानी की जाएगी. इस सम्मेलन में सार्वजनिक मानसिक स्वास्थ्य की थीम रखी गई है. असिस्टेंट प्रोफेसर शालिनी नायर ने बताया कि वे न्यूरो माड्यूलेशन विभाग में अपनी रिसर्च कर रही हैं. ये एक एडवांस लेवल मेंटल प्रोसीजर है. सायकेट्री विभाग में सीवर मेंटल इलनेस नाम की एक बीमारी होती है, इन बीमारियों में डिप्रेशन, बाइपोलर, ऑब्सेस कैप्शन डिसऑर्डर जैसी बीमारियां देखी जा सकती हैं.

शालिनी ने कहा कि उक्त बीमारियों से संबंधित इलाज आज के समय में संभव है, लेकिन ये 1995 से की जा रही कोशिशें का नतीजा है. वहीं मनोवैज्ञानिक से जुड़ी ये बीमारी आज भी 30% लोगों में दवा लेने के बावजूद ठीक नहीं हो पाती. ऐसे में हर तरह के ट्रीटमेंट किए जाने के बावजूद उन पर एडवांस ट्रीटमेंट किया जाता है. जिसमें बायोमेडिकल इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी की मदद ली जाती है. मनोवैज्ञानिक इलाज में इलेक्ट्रोकंवल्सिव थेरेपी है, जो पिछले 80 सालों से की जा रही है. थेरेपी की खास बात है ये है कि अगर दवाइयां काम नहीं कर रही हैं. तो विधि के द्वारा 60% से अधिक लोग ठीक हो जाते हैं.

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वही इलेक्ट्रोकंवल्सिव थेरेपी का एक नुकसान यह है कि इलाज के दौरान मरीज की याददाश्त कुछ समय के लिए चली जाती है. लेकिन यह याददाश्त की समस्या 3 से 4 हफ्तों के बाद ठीक हो जाती है. डॉक्टर अखिलेश शर्मा ने बताया कि इस कॉन्फ्रेंस में मानसिक तनाव जैसी बीमारी से जूझ रहे लोगों को अस्पतालों में किस तरह का इलाज दिया जा रहा है. इस पर चर्चा की जाएगी. उन्होंने कहा कि मेंटल हेल्थ एक ऐसा इशू है. जिसके बारे में लोगों को भले ही जानकारी हो, लेकिन उन्हें नहीं पता कि इसके लक्षण कैसे पहचाने जाएं. ताकि डॉक्टर को दिखाई जाए. इसलिए मनोविज्ञान को पब्लिक हेल्थ का मुद्दा बनाया जाना जरूरी है, ताकि इससे समय रहते समझाया जा सके.

पीजीआई चंडीगढ़ मनोवैज्ञानिक विभाग के प्रमुख प्रोफेसर डॉक्टर डी बसु ने बताया कि ये कॉन्फ्रेंस मनोवैज्ञानिक विभाग के 60 साल पूरे होने के उपलक्ष में रखी गई है. इस डायमंड जुबली को विशेष बनाने के लिए देशभर और विदेश भर से डेलिकेट्स बुलाए गए हैं. ये डेलिकेट मनोवैज्ञानिक क्षेत्र में अपना लोहा मनवा चुके हैं. इस कॉन्फ्रेंस का मुख्य उद्देश्य लोगों की मेंटल हेल्थ को लेकर देखी जा रही चिताओं पर गहन चर्चा का है. इन चर्चाओं में सामूहिक मानसिक तनाव और बढ़ रहे आत्महत्या के मामलों को बारीकी से विचार विमर्श किया जाएगा.

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इन चर्चाओं में विशेष व्यक्ति की बात नहीं की जाएगी, बल्कि अलग-अलग क्षेत्र से जुड़े लोगों की किस तरह मदद की जाए इस पर भी चर्चा होगी. उन्होंने बताया कि इस इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में ऐसे ऐसे लोग आ रहे हैं. जिन्होंने मनोवैज्ञानिक क्षेत्र में अपना पूरा जीवन व्यतीत किया है. इस दौरान वर्ल्ड साइकाइट्रिक एसोसिएशन के प्रेजिडेंट डॉक्टर अफजल जावेद भी विशेष तौर पर इस सेमिनार में शामिल हो रहे हैं. पीजीआई में यूके, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और अन्य 60 देश के डेलीगेट पहुंच रहे हैं. इन सभी का चर्चा का विषय मानसिक तनाव और उससे जुड़ी समस्याओं को किस तरह हल किया जा सकता है. ये देखना होगा.

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