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चंडीगढ़: लंग कैंसर के इलाज के लिए पीजीआई को मिला इंटरनेशनल अवॉर्ड - चंडीगढ़ पीजीआई को मिला IASLC अवार्ड

चंडीगढ़ पीजीआई को लंग कैंसर के इलाज के लिए IASLC ( इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर स्टडी ऑफ़ लंग कैंसर) अवॉर्ड मिला है. यह अवॉर्ड लंग कैंसर की बीमारी में दुनिया में सबसे बेहतरीन इलाज मुहैया करवाने को लेकर दिया जाता है. यह अवॉर्ड चंडीगढ़ पीजीआई को 7 सितंबर को स्पेन के बार्सीलोना में आयोजित एक इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस के दौरान दिया गया.

चंडीगढ़ पीजीआई को मिला IASLC अवार्ड
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Published : Sep 8, 2019, 9:51 PM IST

चंजीगढ़: चंडीगढ़ पीजीआई को लंग कैंसर का बेहतर इलाज करने के लिए IASLC अवॉर्ड दिया गया है. पीजीआई को यह अवार्ड स्पेन के बार्सीलोना शहर में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में दिया गया. यह अवॉर्ड लंग कैंसर की बीमारी की दुनिया में सबसे बेहतरीन इलाज मुहैया करवाने के लिए दिया जाता है.

पीजीआई की ओर से यह अवार्ड प्रो. डी बहरा, डॉ. नवनीत सिंह और डॉ. अमरजीत ने प्राप्त किया. प्रोफेसर डी बहरा को लंग कैंसर के इलाज का जनक माना जाता है. उन्होंने ही सबसे पहले पीजीआई में 1982 में लंग कैंसर के इलाज की शुरुआत की थी.

इसे भी पढ़ें: वर्ल्ड नो तंबाकू डेः मुंह के कैंसर को किया जा सकता है ठीक, जानिये कैसे

इस मौके पर पीजीआई की प्रवक्ता मंजू वडवलकर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसी भारतीय अस्पताल को लंग कैंसर की बीमारी की सबसे बेहतर इलाज के लिए अवॉर्ड मिलना सम्मान की बात है. मंजू ने कहा कि चंडीगढ़ पीजीआई मरीजों को हमेशा से सबसे बेहतर इलाज देने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि इस तरह के अवॉर्ड ना सिर्फ भारतीय चिकित्सा जगत को दुनिया में एक पहचान दिलाते हैं, बल्कि लोगों में भी भारतीय स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति विश्वास को बढ़ाते हैं.

कैसे होता है लंग कैंसर ?
फेफड़े के कैंसर का मुख्य कारण धूम्रपान, तंबाकू, गुटखा और पान खाना होता है. इसके लक्षण बहुत ही मुश्किल से समझ में आते हैं. यह धुंआ, फैक्ट्री से निकलने वाले केमिकल और ज्यादा प्रदूषण से भी होता है. यह ज्यादातर 55-80 आयुवर्ग के लोगों को अपना शिकार बनाता है. इसके अलावा 15-16 साल से लगातार धूमपान करने वालों को भी फेफड़े के कैंसर का खतरा हो सकता है.

चंजीगढ़: चंडीगढ़ पीजीआई को लंग कैंसर का बेहतर इलाज करने के लिए IASLC अवॉर्ड दिया गया है. पीजीआई को यह अवार्ड स्पेन के बार्सीलोना शहर में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में दिया गया. यह अवॉर्ड लंग कैंसर की बीमारी की दुनिया में सबसे बेहतरीन इलाज मुहैया करवाने के लिए दिया जाता है.

पीजीआई की ओर से यह अवार्ड प्रो. डी बहरा, डॉ. नवनीत सिंह और डॉ. अमरजीत ने प्राप्त किया. प्रोफेसर डी बहरा को लंग कैंसर के इलाज का जनक माना जाता है. उन्होंने ही सबसे पहले पीजीआई में 1982 में लंग कैंसर के इलाज की शुरुआत की थी.

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इस मौके पर पीजीआई की प्रवक्ता मंजू वडवलकर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसी भारतीय अस्पताल को लंग कैंसर की बीमारी की सबसे बेहतर इलाज के लिए अवॉर्ड मिलना सम्मान की बात है. मंजू ने कहा कि चंडीगढ़ पीजीआई मरीजों को हमेशा से सबसे बेहतर इलाज देने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि इस तरह के अवॉर्ड ना सिर्फ भारतीय चिकित्सा जगत को दुनिया में एक पहचान दिलाते हैं, बल्कि लोगों में भी भारतीय स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति विश्वास को बढ़ाते हैं.

कैसे होता है लंग कैंसर ?
फेफड़े के कैंसर का मुख्य कारण धूम्रपान, तंबाकू, गुटखा और पान खाना होता है. इसके लक्षण बहुत ही मुश्किल से समझ में आते हैं. यह धुंआ, फैक्ट्री से निकलने वाले केमिकल और ज्यादा प्रदूषण से भी होता है. यह ज्यादातर 55-80 आयुवर्ग के लोगों को अपना शिकार बनाता है. इसके अलावा 15-16 साल से लगातार धूमपान करने वालों को भी फेफड़े के कैंसर का खतरा हो सकता है.

Intro:चंडीगढ़ पीजीआई को लंग कैंसर के इलाज को लेकर मिला आई ए एस एल सी अवार्ड( इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर स्टडी ऑफ़ लंग कैंसर)। Body:यह अवार्ड चंडीगढ़ पीजीआई को 7 सितंबर स्पेन में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस के दौरान दिया गया। पीजीआई को यह अवार्ड लंग कैंसर की बीमारी में दुनिया में सबसे बेहतरीन इलाज मुहैया करवाने के लिए दिया गया है।
पीजीआई की ओर से यह अवार्ड प्रो डी बहरा, डॉ नवनीत सिंह और डॉ अमरजीत ने प्राप्त किया। प्रोफेसर डी बहरा को लंग कैंसर के इलाज का जनक माना जाता है उन्होंने सबसे पहले पीजीआई में 1982 में लंग कैंसर के इलाज की शुरुआत की थी।
प्रोफेसर डी बहरा नहीं देश में इंडियन सोसायटी फॉर स्टडी ऑफ़ लंग कैंसर की शुरूआत की थी।
इस मौके पर पीजीआई की प्रवक्ता मंजू वडवलकर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसी भारतीय अस्पताल को लंग कैंसर के इलाज में सबसे बेहतर इलाज के लिए अवार्ड मिलना सम्मान की बात है। चंडीगढ़ पीजीआई मरीजों को हमेशा ही सबसे बेहतर इलाज देने के लिए प्रतिबद्ध है।इस तरह की आवाज ना सिर्फ भारतीय चिकित्सा जगत को दुनिया में एक पहचान दिलाते हैं बल्कि लोगों में भी भारतीय स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति विश्वास को बढ़ाते हैं हमे इस पूरी टीम पर गर्व है।
Conclusion:
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