चंडीगढ़ : वैसे तो अपनी बेहतरीन रिसर्च के लिए पीजीआई चंडीगढ़ देश भर में मशहूर है. लेकिन इस बार पीजीआई चंडीगढ़ ने रेयर ट्यूमर को ढूंढने वाली दवा तैयार कर एक बार फिर अपना लोहा मनवाया है. पीजीआई के एंडोक्राइनोलॉजी डिपार्टमेंट ने गैलियम-68 एम देस्मो नाम की मेडिसिन बनाई है जो मास्टर ग्लैंड की मदद से ट्यूमर को ढूंढ लेती है.
उम्मीद से बेहतर नतीजे : अब तक पीजीआई एंडोक्राइनोलॉजी डिपार्टमेंट ने 65 मरीजों पर मेडिसिन एप्लाई की थी, जिसका रिजल्ट मरीजों पर उम्मीद से काफी ज्यादा बेहतर देखने को मिला है. इसके बाद ही पूरी रिसर्च को सबके सामने रखा गया है.
6 साल की मेहनत से तैयार हुई दवाई : पीजीआई के एंडोक्राइनोलॉजी डिपार्टमेंट की डॉक्टर रमा वालिया ने मीडिया को बताया कि इस दवा के जरिए रेयर ट्यूमर को भी ढूंढा जा सकता है. पीजीआई के डॉक्टरों ने इसके लिए एक मेडिसिन तैयार की है जो एक इंजेक्शन के फॉर्म में है. इस मेडिसिन के रिसर्च में डॉक्टरों की टीम को 6 साल का वक्त लगा है और अब इसकी मदद से ट्यूमर का जल्दी पता चल जाएगा. डॉक्टर रमा वालिया ने बताया कि अब तक ट्यूमर की सही जानकारी नहीं मिल पाती थी जिसके चलते डॉक्टरों को पहले मरीजों को एमआरआई टेस्ट, फिर पेट का स्कैन और इसके बाद बाकी टेस्ट लिखना पड़ता था. लेकिन अब इस इंजेक्शन की मदद से कुछ ही वक्त में ट्यूमर का पता चल जाएगा और उसका इलाज किया जा सकेगा.
सस्ता होगा इलाज : एंडोक्राइनोलॉजी डिपार्टमेंट के डॉक्टर संजय भादर ने बताया कि इस खोज से मरीजों को अब काफी ज्यादा मदद मिलेगी. उन्होंने बताया कि अभी तक ट्यूमर के इलाज में 80,000 रुपए का खर्चा आता था, वहीं अब इस बीमारी का खर्च 7000 रुपए तक आएगा जिससे गरीब तबके को इलाज में काफी ज्यादा सहूलियत होगी.
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