चंडीगढ़ः हरियाणा में 23 मार्च से पूरी तरह से लॉकडाउन है. इस दौरान जहां तमाम उद्योग धंधों पर जहां मार पड़ी है. वहीं छोटी - मोटी मजदूरी कर अपना परिवार चलाने वाले प्रवासी श्रमिक मजदूरों के लिए यह समय बेहद मुश्किलों भरा रहा. हालांकि कुछ मजदूरों के लिए अब राहत का समय आ गया है, क्योंकि मंडियां खुलने के चलते यह लोग मंडियों में मजदूरी कर रहे हैं और अब फिर से इन्हें काम मिल गया है. जिससे मजदूर राहत की सांस ले रहे हैं.
ईटीवी भारत ने मजदूरों से की बात
पंचकूला के सेक्टर 20 के अनाज मंडी में काम कर रहे ऐसे ही कुछ मजदूरों से ईटीवी भारत ने बात कि तो उन्होंने बताया कि लॉकडाउन का समय गुजारना उनके लिए काफी मुश्किलों भरा रहा. मजदूरों के लिए खाने पीने से लेकर रहने तक का संकट खड़ा हो गया था. लॉकडाउन शुरू होने के बाद इन्हें किराए के घर से निकाल दिया गया. किसी तरह यहां - वहां रहकर लंगर से खाना खाया, कई बार भूखे भी सोना पड़ा.मजदूरों के मुताबिक उन्हें जहां खुद रहने की चिंता सता रही थी, वहीं कई सौ किलोमीटर दूर रह रहे परिवार को लेकर भी चिंतित रहे.
पंचकूला के सेक्टर 20 की अनाज मंडी में भी गेहूं की खरीद जारी है. इस दौरान सैकड़ों मजदूरों को भी काम मिला है. मजदूरों के अनुसार अब मंडी में काम मिल गया है, जिससे रोजाना 400 से ₹500 कमा ले रहे हैं.
अब घर पैसे भेजेंगे मजदूर
वहीं लॉकडाउन के दौरान गांव में रह रहे उनके परिवारों के हालातों के बारे में पूछने पर मजदूरों ने कहा कि परिवारों के हालात भी खराब है, आर्थिक तंगी के चलते गुजारा करना मुश्किल हो रहा है. जहां कुछ मजदूर अभी भी घर जाने की बात कहते नजर आए, वहीं ज्यादातर मजदूर यहां कुछ दिन काम करके अपने घर पैसे भेज कर परिवार की मदद करने की बात कहते नजर आए.
मजदूरों ने अपने प्रदेश की सरकार को कोसा
इस दौरान कुछ मजदूर अपने प्रदेश की सरकारों को भी कोसते नजर आए. इन मजदूरों का दर्द था कि कई दिन तक यहां - वहां भटकते रहे इस दौरान अगर इनके प्रदेशों की सरकार इन्हें वापस बुलाने का इंतजाम करती है तो परिवारों के पास रहते.
गौरतलब है कि हरियाणा सरकार की तरफ से प्रदेश में 170 खरीद केंद्रों में सरसों की फसलों की खरीद की जा रही है, जबकि उन्नीस सौ के करीब खरीद केंद्र और मंडियों में गेहूं की खरीद की जा रही है. खरीद शुरू होने के साथ ही प्रदेश में हजारों श्रमिकों को रोजगार भी मिल गया है और अब लॉकडाउन के दौरान यह लोग मंडियों में काम कर किसी तरह परिवार चला रहे हैं.
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