चंडीगढ़: चंडीगढ़ मेयर चुनाव को लेकर सभी राजनैतिक पार्टियों की सांस अटकी हुई है. पहले ही किसी भी पार्टी को स्वैच्छिक मेयर चुनने के लिए जनता ने बहुमत नहीं दिया है. ऐसे में किसी भी तरह पार्षदों की खरीद फरोख्त किसी भी पार्टी के लिए 'गरीबी में आटा गीला' जैसी स्थिति में पहुंचा सकता है. इसी कड़ी में बीजेपी ने अपने पार्षदों को शिमला (Chandigarh BJP councilors in Shimla) भेज दिया है. वहीं कांग्रेस के सभी पार्षद पहले से ही जयपुर में मौजूद हैं.
बता दें कि चंडीगढ़ में मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के नॉमिनेशन के बाद से ही बीजेपी से सभी पार्षद शिमला रवाना हो गए थे. सभी पार्षद फिलहाल एक सर्किट हाउस में अपने परिवार के साथ रुके हुए हैं. बताया जा रहा है कि ये सभी पार्षद मेयर चुनावों से तुरंत पहले चंडीगढ़ लौटेंगे. चंडीगढ़ नगर निगम के मेयर पद के चुनाव (Chandigarh mayor election) के लिए 8 जनवरी को मतदान होना है.
दरअसल इसके पीछे की वजह यह है कि इस बार किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है. इससे कोई भी पार्टी निश्चित तौर पर अपना मेयर बनाने की स्थिति में नहीं है. आम आदमी पार्टी को 14 सीटें मिली हैं. कांग्रेस को आठ सीटें मिली है जबकि भाजपा को 12 सीटें मिली है. भाजपा के पास एक वोट सांसद का भी है जिससे भाजपा की 13 वोट हो जाते हैं. इसके अलावा कांग्रेस नेता देवेंद्र बबला की पत्नी ने भी भाजपा ज्वाइन कर ली है. वह पार्षद का चुनाव जीत चुकी है. इससे भाजपा के पास भी 14 वोट हो गए.
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कैसे होगा चंडीगढ़ नगर निगम के मेयर का चुनाव
नगर निगम चुनाव के बाद मेयर चुनाव होता है. चंडीगढ़ में मेयर 1 साल के लिए चुना जाता है. मेयर की सीट पहले साल के लिए महिला उम्मीदवार के लिए रिजर्व होती है. कहा जा रहा है कि मेयर चुनाव में कांग्रेस पार्टी हिस्सा नहीं लेगी. अगर ऐसा हुआ तो टक्कर भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच रहेगी. दोनों में से जिसके उम्मीदवार के पास ज्यादा वोट पड़ेगा उसके कैंडिडेट को मेयर चुन लिया जाएगा.
अगर कांग्रेस पार्टी भी मेयर चुनाव में हिस्सा लेती है तो मतदान दो बार होगा. पहली बार मतदान में तीनों पार्टियों के उम्मीदवार चुनाव में हिस्सा लेंगे. इसके बाद वोटों की गिनती होगी. मतगणना के बाद तीसरे नंबर पर रहने वाली पार्टी को चुनाव से बाहर कर दिया जाएगा और बाकी बची दो पार्टियों में दोबारा से मतदान होगा. इसके बाद जिस पार्टी के उम्मीदवार को ज्यादा वोट मिलेंगे उसे मेयर घोषित कर दिया जाएगा.
मेयर चुने जाने का पूरा गणित समझिए
चंडीगढ़ में मेयर, डिप्टी मेयर और सीनियर डिप्टी मेयर का चुनाव 8 जनवरी को (Chandigarh Municipal Corporation Mayor Election) होगा. मेयर के लिए किसी भी पार्टी को कुल 35 पार्षदों में से कम से कम 19 के समर्थन की जरूरत होती है. अगर किसी पार्टी को 19 पार्षदों का वोट मिल जाता है तो वह अगले 5 सालों तक अपनी ही पार्टी का मेयर बनाने में सक्षम होती है. लेकिन इस बार चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला है. इस स्थिति में हर साल उस पार्टी का मेयर बनेगा जिसे पहली बार चुनाव में ज्यादा वोट मिलेंगे.
मेयर की लड़ाई को कांग्रेस ने और ज्यादा दिलचस्प बना दिया है. कांग्रेस ने मेयर चुनाव के मतदान में हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया है. कांग्रेस के पास 7 पार्षद हैं. इस हिसाब से 35 में से कांग्रेस के सात पार्षदों को निकालकर कुल नंबर 28 रह जाता है. इस स्थिति में मेयर चुने जाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 19 से घटकर 15 हो जाता है. कांग्रेस को निकालकर बचे 28 पार्षदों में से 14 आम आदमी पार्टी के पास हैं. जबकि भाजपा के पास भी 14 (13 पार्षद और एक सांसद) वोट हैं. इस स्थिति में सारी लड़ाई केवल एक वोट की है. जिसके पास 15 वोट होंगे उसी पार्टी का मेयर बनेगा.
'आप' और बीजेपी के मेयर उम्मीदवार
मेयर चुनाव की रेस में बीजेपी ने मेयर पद के लिए सरबजीत कौर, सीनियर डिप्टी मेयर पद के लिए दलीप शर्मा और डिप्टी मेयर के लिए अनुप गुप्ता को उम्मीदवार बनाया है. वहीं आम आदमी पार्टी ने मेयर पद के लिए अंजू कतियाल, सीनियर डिप्टी मेयर के लिए प्रेमलता और डिप्टी मेयर के लिए रामचंद्र यादव को मैदान में उतारा है. चंडीगढ़ मेयर पद का पहला और चौथा साल महिला उम्मीदवार के लिए, तीसरा साल एससी और दूसरा व पांचवां साल सामान्य वर्ग के उम्मीदवार के लिए आरक्षित होता है.
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