चंडीगढ़: चंडीगढ़ मेयर चुनाव को लेकर अब स्थितियां बीजेपी के खिलाफ जाती दिखाई दे रही है. भले ही राष्ट्रीय स्तर पर अभी इंडिया गठबंधन में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी लोकसभा सीटों को लेकर कोई फैसला नहीं कर पाई है. लेकिन चंडीगढ़ नगर निगम में मेयर चुनाव के लिए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने हाथ मिला लिया है. जिसके चलते निगम में मेयर चुनाव का बदला हुआ आंकड़ा बीजेपी पर भारी पड़ता दिखाई दे रहा है. अब चंडीगढ़ में मेयर सीट पर आम आदमी पार्टी और डिप्टी मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर सीट पर कांग्रेस पार्टी का उम्मीदवार चुनाव लड़ेगा. इसी को लेकर ईटीवी भारत में चंडीगढ़ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व रेल मंत्री पवन बंसल के साथ खास बातचीत की.
सवाल- निगम चुनाव के लिए जो इक्वेशन बदली है उसके क्या मायने निकाले जाएं?
जवाब- जब इंडिया ब्लॉक देश में बना. इसको लेकर दिल्ली में बैठक हुई, दिल्ली से बाहर भी हुई. सभी सहयोगी दलों के नेताओं की इसको लेकर चर्चा होती रही. एक बात को लेकर तो सभी में सहमति बन गई है कि अगर हमें लोकतंत्र बचाना है. लोकतांत्रिक भावनाओं को लाना है, जो कि समाप्त हो गई है. वोट डालने का लोगों का अधिकार तो है सिर्फ वोट डालने से ही लोकतंत्र नहीं चलता है. वह तो सिर्फ एक शुरुआत है. लेकिन उसकी जो भावनाएं होती है आपसी हिस्सेदारी की एक दूसरे से बातचीत करने की, लोकतंत्र की जो सबसे मजबूत बात है वह है चर्चा. वह बिल्कुल खत्म हो गई है. वह चर्चा लोकसभा के अंदर राज्यसभा के अंदर और बाहर भी खत्म हो चुकी है. उसी को बहाल करने के लिए यह कदम उठाया गया था और इंडिया गठबंधन बनाया गया. उसके तहत जो पहले इंप्लीमेंटेशन करने का काम आया वह चंडीगढ़ नगर निगम के मेयर चुनाव है. हालांकि वहां तो बड़े इलेक्शन की बात होनी है, लेकिन शुरुआत यहां से हो गई है. यह हमारा सौभाग्य है कि हम उसका श्री गणेश यहां से कर रहे हैं.
सवाल - कांग्रेस पार्टी ने अपने उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतार दिए थे, क्या पहले से पर्दे के पीछे बातचीत आम आदमी पार्टी के साथ जारी थी?
जवाब- हमारी बातचीत हो रही थी. ऐसा नहीं है कि हमने एकदम से अचानक अपने उम्मीदवार मैदान में उतार दिए थे. लेकिन यह चर्चा नहीं हो पाई थी कि कौन सी सीट पर कौन चुनाव लड़ेगा. बातचीत इसको लेकर जारी थी. लेकिन उस दिन नामांकन का अंतिम दिन था, अगर नॉमिनेशन फाइल ना करते तो फिर हम मैदान छोड़कर चले जाते और सब कुछ बीजेपी के पाले में चला जाता. उस समय की स्थिति के मुताबिक हमारा यह फैसला था कि हम सभी सीटों पर नामांकन दाखिल कर लेते हैं. फिर आपस में बैठकर इस मुद्दे पर बातचीत होती रहेगी. दोनों पार्टी के नेताओं ने अपने प्रमुख नेताओं के साथ इस मुद्दे को लेकर बातचीत की. इसके बाद हमारे दिल्ली में बैठे नेताओं ने कहा कि आप लोग आपस में बैठकर फैसला कर लीजिए.
सवाल- दिल्ली में एक बैठक हुई थी जिसमें आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा और कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ-साथ राहुल गांधी मौजूद थे. हालांकि वहां शायद लोकसभा स्तर की चर्चा हुई होगी, क्या उसे दौरान चंडीगढ़ के मुद्दे पर भी बातचीत हुई?
जवाब- मुझे इसके बारे में जानकारी नहीं है कि उनकी क्या बातचीत हुई होगी. लोकसभा चुनाव के लिए हमारी जो एलायंस कमेटी बनी है वह लगातार मंथन कर रही है. वह कमेटी राज्यवार सीटों को लेकर अपने सहयोगी दलों के साथ चर्चा कर रही है. उस कमेटी में इस बात को लेकर चर्चा हुई थी. मेरी भी उस कमेटी के सदस्यों के साथ बातचीत होती रहती है. हम उन्हें यहां की परिस्थितियों के बारे में अवगत कराते रहते थे. इन चर्चाओं में यह तय हो गया था कि हम मेयर चुनाव को लेकर गठबंधन करेंगे. लेकिन किस सीट पर कौन चुनाव लड़ेगा इसको लेकर उन्होंने कह दिया था कि आप लोग बैठकर फैसला कर लीजिए. इसके बाद बैठकर हमने यह फैसला किया है.
सवाल- क्या माना जाए की मेयर चुनाव के लिए हुए इस गठबंधन में आपका भी वरिष्ठ नेता होने के नाते विशेष योगदान है?
जवाब - मेरी आम आदमी पार्टी के नेताओं से इस संबंध में कोई भी सीधी बैठक नहीं हुई है. क्योंकि औपचारिक तौर पर पार्टी के अध्यक्ष इस बातचीत को करते हैं. पार्टी के अध्यक्ष मुझसे चर्चा कर लेते हैं मैं अन्य समस्याओं के साथ भी चर्चा कर लेता हूं. इस मुद्दे पर हमारे चंडीगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष एच एस लक्की और आम आदमी पार्टी के नेताओं के बीच बातचीत हुई थी. उनको पता था कि उन्होंने कैसे आगे बढ़ना है. कह सकते हैं कि मुझे उस बातचीत का बॉल टू बॉल पता था.
सवाल- यहां पर आपका गठबंधन हो चुका है क्या लगता है कि लोकसभा चुनाव को लेकर भी यह गठबंधन जल्द हो जाएगा?
जवाब- मैं समझता हूं कि दोनों में से एक ही लड़ेगा, मैं मानता हूं कि यह नहीं होगा कि आपस में लड़े. हालांकि और पता नहीं यहां पर कौन चुनाव लड़ेगा. अभी इस पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. क्योंकि चर्चाएं इसको लेकर लगातार जारी है. मैं मानता हूं कि वहां पर जो बातचीत हो रही है वह अच्छे माहौल में हो रही है. सभी नेता अच्छे माहौल में आपस में बातचीत कर रहे हैं. इसको लेकर सभी में अच्छी केमिस्ट्री बन गई है. इसकी वजह से फैसला लेने में भी कोई दिक्कत नहीं होगी.
सवाल - क्या चंडीगढ़ लोकसभा सीट को लेकर भी यह चर्चा आगे बढ़ेगी?
जवाब - इसको लेकर इंडिया गठबंधन के तहत चर्चा हो रही है, चर्चा में बात होगी कि किसको सीट पर चुनाव लड़ना है।
सवाल -दिल्ली के बाद अब यहां पर गठबंधन हुआ है, क्या लगता है कि इंडिया गठबंधन आगे चल पाएगा?
जवाब - अगर आप मेरे स्तर पर बात कर रहे हैं तो अगर पार्टी मुझे यहां मौका देगी तो मैं जरूर चुनाव लड़ूंगा. क्योंकि हम लगातार यहां काम भी कर रहे हैं. इसको लेकर हमारी तैयारी जोरों पर है. चुनाव हो ना हो उससे कोई फर्क नहीं पड़ता है हम लोगों के बीच हमेशा रहते हैं. पार्टी अगर कहेगी तो मैं चंडीगढ़ से चुनाव लड़ूंगा, अगर पार्टी किसी और को कहेगी तो पार्टी के निर्णय को मैं कबूल करूंगा. इसको लेकर जो भी बातचीत है वह इंडिया गठबंधन के तहत हो रही है.
सवाल - सुनने में आ रहा है कि इंडिया गठबंधन के तहत आम आदमी पार्टी पंजाब और चंडीगढ़ की सीट मिलकर 50% की हिस्सेदारी मांग रही है। हालांकि पंजाब की नेता गठबंधन के लिए तैयार नहीं है?
जवाब - इसकी मुझे ज्यादा जानकारी नहीं है. लेकिन पंजाब के नेताओं से मेरी बातचीत होती रहती है. पंजाब के नेता गठबंधन के हक में नहीं है. हालांकि मुझे यह भी पता है कि हमारा जो पार्टी हाईकमान है. वह अपने नेताओं को ओवररुल नहीं करता है. वह सबसे चर्चा करती है और बातचीत करती है. अगर कारपोरेशन के इलेक्शन को लेकर हमसे चर्चा होती रही है, तो उसको लेकर यानी पंजाब लोकसभा सीटों के बंटवारे को लेकर भी पंजाब के सभी नेताओं से चर्चा हो रही है. इस बारे में फैसला सबसे बातचीत के बाद ही होगा.
सवाल - तो फिर इस बार नगर निगम के मेयर चुनाव में आपके गठबंधन को सफलता मिलने की पूरी उम्मीद है?
जवाब - इस बार आंकड़े हमारे पक्ष में है. कई बार बीजेपी एक दो वोट इधर-उधर कर लेती है. लेकिन इस बार वह संभव नहीं है. इस बार हम स्पष्ट बहुमत के साथ जीतेंगे. इस बार कोई सस्पेंस नहीं रहेगा. बल्कि हम क्लियर मेजॉरिटी के साथ जीतेंगे.
सवाल - सभी दलों के पार्षद शहर से बाहर है. आपको लगता है कि हॉर्स ट्रेडिंग का डर है?
जवाब - अब जब फैसला हो गया है इससे तो स्थिति और भी मजबूत हो गई है. अगर किसी के मन में कोई दुविधा भी थी तो वह भी खत्म हो गई है. हम बड़े अच्छे से जीतेंगे. बीजेपी चाहे जितनी मर्जी कोशिश कर ले. पहले उन्होंने ऐसी कोशिश की थी. जब पहली बार मेयर के लिए चुनाव हुआ था तो हमारे दो पार्षदों को उन्होंने भाजपा में शामिल कर लिया था. फिर एक को और कर लिया था. उसके बाद आम आदमी पार्टी का एक पार्षद वे अपनी टीम में ले गए. हालांकि उसका आम आदमी पार्टी ने मुंह तोड़ जवाब दिया और बीजेपी के पार्षद को आम आदमी पार्टी में शामिल कर लिया. मुझे नहीं लगता है कि बीजेपी कोई ऐसा काम करेगी.
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