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जनवरी में होंगे चंडीगढ़ मेयर पद के चुनाव, राजनीतिक पार्टियों में सियासी उठापटक तेज

चंडीगढ़ में जनवरी में होने वाले मेयर पद (Chandigarh mayor election in January 2023)के लिए चुनावों की तैयारियां राजनीतिक पार्टियों ने शुरू कर दी है. इस दौरान सियासी बयानबाजियां भी खूब देखी जा रही है. इस बार होने वाले चंडीगढ़ मेयर चुनाव में तीनों पार्टियों के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है.

chandigarh mayor election in january 2023
जनवरी में होंगे चंडीगढ़ मेयर पद के चुनाव
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Published : Dec 25, 2022, 4:41 PM IST

जनवरी में होंगे चंडीगढ़ मेयर पद के चुनाव, राजनीतिक पार्टियों में सियासी उठापटक तेज

चंडीगढ़: चंडीगढ़ में जल्द ही मेयर के चुनाव होने वाले हैं. जिसकों लेकर सभी पार्टी की ओर से कम कस ली गई है. ऐसे में चंडीगढ़ की आखिरी हाउस मीटिंग में खूब बवाल हुआ. वहीं दोनों विरोधी पार्टियों की ओर से जम कर विरोध प्रदर्शन किया गया और हाउस के एजेंडा चर्चा में शामिल नहीं हुए. वहीं पिछली बार आम आदमी पार्टी और बीजेपी में कांटे की टक्कर रही थी.

मेयर, डिप्टी मेयर का जल्द होगा मंथन: वहीं इस इस बार होने वाले चुनावों में किसी पार्टी का मेयर, डिप्टी मेयर कौन होगा उसको लेकर भी पार्टियों की ओर से जल्द मंथन करते हुए निर्णय लिया जाएगा. वहीं AAP पार्टी और कांग्रेस ने मेयर के चुनाव को लेकर अपनी स्थिति भी साफ की है. पहले शहर में कांग्रेस और भाजपा के बीच ही मुकाबला होता रहा है लेकिन अब AAP की भी शहर में मजबूत है.

जानिए किसके पास कितने पार्षद हैं: बता दें कि चंडीगढ़ की तीनों बड़ी पार्टियों ने मेयर के चुनावों के लिए रणनीति बनानी शुरू कर दी है. चंडीगढ़ नगर निगम में मेयर का कार्यकाल एक साल का होता है. वहीं 35 पार्षदों वाली मौजूदा नगर निगम में आम आदमी पार्टी के पास 14 पार्षद वहीं बीजेपी के 13 पार्षद एक एमपी ‌का वोट होने से आंकड़ा बीजेपी का भी 14 का है.वहीं कांग्रेस के पास 6 पार्षद और अकाली दल का एक पार्षद है.

जनवरी 2023 में होंगे चुनाव: इसको देखते हुए इस बार पिछले बार की तरह ही मेयर डिप्टी मेयर और सीनियर मेयर का चुनाव दिलचस्प रह सकता है. जनवरी 2023 में होने वाला चंडीगढ़ मेयर चुनाव हर राजनीतिक दल के लिए काफी अहम है. असल में जिस भी दल का मेयर बनेगा वह साल 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए अपनी पार्टी की जीत के लिए जमीन तैयार करेगा.

BJP-AAP के पास बराबर पार्षद: इस समय दावेदार खुलकर सामने नहीं आ रहे क्योंकि किसी भी दल के पास जीत का आंकड़ा नहीं है. नगर निगम में आम आदमी पार्टी और भाजपा के पास बराबर 14-14 पार्षद हैं. पार्षद ही मतदान करके मेयर को चुनेंगे. कांग्रेस के सिर्फ छह पार्षद हैं. कांग्रेस चुनाव जीतने की स्थिति में नहीं है. लोकसभा चुनाव के लिए भी कांग्रेस और AAP से कोई नया उम्मीदवार ही चुनाव लड़ेगा.

राजनीतिक पार्टियों में जोश: वहीं तीनों दल एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए अपना वोट बैंक बढ़ाने का प्रयास करेंगे. अगले साल डड्डूमाजरा के डंपिंग ग्राउंड के कचरे का पहाड़ आधे से ज्यादा कम हो जाएगा. जिसकी प्रोसेसिंग का काम चल रहा है. इसका भी क्रेडिट लेने का प्रयास अगले साल मेयर करेगा.

राजनीतिक घमासान जारी: इस समय भाजपा में मेयर का उम्मीदवार बनने के लिए दावेदार इसलिए भी ज्यादा लॉबिंग नहीं कर रहे क्योंकि भाजपा अपने दम पर मेयर नहीं बना सकती. भाजपा को अपना मेयर बनवाने के लिए चार वोट चाहिए. सूत्रों की मानें तो इस समय भाजपा की AAP और कांग्रेस के एक-एक पार्षदों से भी बात चल रही है. भाजपा नेताओं को उम्मीद है कि मेयर चुनाव में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के पार्षद वोट भी क्रॉस करेंगे.

अकाली किसका करेगी समर्थन : इस साल जनवरी में हुए मेयर चुनाव में कांग्रेस ने बहिष्कार किया था. जिस कारण भाजपा और AAP में कड़ी टक्कर के बावजूद भाजपा अपना मेयर बनाने में कामयाब हुई थी. शिरोमणि अकाली दल का एक पार्षद है और उसकी स्थिति साफ नहीं है, कि किस दल को समर्थन दे सकता है. पिछली बार अकाली पार्षद हरदीप सिंह ने मतदान नहीं किया था. वहीं भाजपा अध्यक्ष अरुण सूद का दावा है कि इस साल की तरह अगले साल भी उनकी पार्टी का ही मेयर बनेगा.

बीजेपी ने किया जीत का दावा: बीजेपी ने दावा किया कि मेयर चुनाव ही नहीं लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ही जीतेगी. वहीं उनकी ओर से आने वाले मेयर के चुनावों में रणनीति तैयार की जा रही है. वहीं अगर बात की जाए उम्मीदवार की तो उनकी पार्षदों की राय के साथ ही उसकी घोषणा की जाएगी. हमारे सभी पार्षद एकजूट हैं. वहीं हमारी रणनीति साफ है कि हमारे सभी पार्षद चाहते है कि इस बार का मेयर उनकी पार्टी का ही हो.

AAP अध्यक्ष प्रेम गर्ग का बयान: ऐसे में अगर बीजेपी के अलावा कोई अन्य पार्टी हमें अपना साथ देना चाहती है तो हम उसका स्वागत करते है. क्योंकि पिछली बार जो घपले बाजी हुई है उससे देखा गया है कि बीजेपी किसी तरह अन्य पार्टियों के पार्षदों को लालच देती है. वहीं आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष प्रेम गर्ग ने कहा कि उन्हें इस बार की मेयर एक सिर्फ एक चेहरा है इसके पीछे कोई और है जो इस समय काम कर रहा है.

बीजेपी पर AAP का निशाना: वहीं हमारी पार्टी के मेयर आने के बाद शहर के लोगों को अपने आप पता लग जाएगा कि शहर में काम कैसे करवाए जाते है. वहीं बीजेपी द्वारा कई मुद्दों को लेकर शहर के लोगों को परेशानी किया जा रहा है. जहां वो बिजली बिल हो, पानी बिल हो या अन्य कोई सुविधा हो. मेयर के तौर पर शहर एक व्यक्ति को पावर देता है कि वह उनकी परेशानियों को कम करें लेकिन बीते इस एक साल में ही बीजेपी ने अन चाहा टैक्स लगाकर लोगों को परेशान करने का ही काम किया है.

ये भी पढ़ें: Bharat Jodo Yatra: हमको ऊर्जा राहुल जी से मिलती है: कुमारी शैलजा

बीजेपी ने जनता को दिया धोखा: चंडीगढ़ से कांग्रेस के पार्टी अध्यक्ष ने साफ कर दिया है पार्टी इस बार मेयर के चुनाव अपने दम पर ही लड़ेगी. भले ही हमारे छह पार्षद है लेकिन हम न तो आम आदमी पार्टी को अपना स्पोर्ट देंगे और न ही बीजेपी को. क्योंकि हमें पता हे आप के पास न तो कोई एजेंसी है और न ही कोई अनुभव.उनके सभी पार्षद नए हैं. वहीं रही बात बीजेपी की तो इस एक साल में हमें पता है कि उन्होंने कहां-कहां घपले किए है. आज उन्होंने शहर वा‌सियों को धोखा देते हुई सभी सुविधाओं पर टैक्स बढ़ा दिया है. वहीं प्राइवेट कंपनियों को शहर के कई जगहों पर ठेके दिये जा रहे हैं. ऐसे में हमें उनके लिये गए किसी भी फैसले में लोकहित नजर नहीं आता.

ये भी पढ़ें: रेवाड़ी में हेरोइन के साथ दो युवक गिरफ्तार, 16 हजार रुपये की ड्रग मनी बरामद

जनवरी में होंगे चंडीगढ़ मेयर पद के चुनाव, राजनीतिक पार्टियों में सियासी उठापटक तेज

चंडीगढ़: चंडीगढ़ में जल्द ही मेयर के चुनाव होने वाले हैं. जिसकों लेकर सभी पार्टी की ओर से कम कस ली गई है. ऐसे में चंडीगढ़ की आखिरी हाउस मीटिंग में खूब बवाल हुआ. वहीं दोनों विरोधी पार्टियों की ओर से जम कर विरोध प्रदर्शन किया गया और हाउस के एजेंडा चर्चा में शामिल नहीं हुए. वहीं पिछली बार आम आदमी पार्टी और बीजेपी में कांटे की टक्कर रही थी.

मेयर, डिप्टी मेयर का जल्द होगा मंथन: वहीं इस इस बार होने वाले चुनावों में किसी पार्टी का मेयर, डिप्टी मेयर कौन होगा उसको लेकर भी पार्टियों की ओर से जल्द मंथन करते हुए निर्णय लिया जाएगा. वहीं AAP पार्टी और कांग्रेस ने मेयर के चुनाव को लेकर अपनी स्थिति भी साफ की है. पहले शहर में कांग्रेस और भाजपा के बीच ही मुकाबला होता रहा है लेकिन अब AAP की भी शहर में मजबूत है.

जानिए किसके पास कितने पार्षद हैं: बता दें कि चंडीगढ़ की तीनों बड़ी पार्टियों ने मेयर के चुनावों के लिए रणनीति बनानी शुरू कर दी है. चंडीगढ़ नगर निगम में मेयर का कार्यकाल एक साल का होता है. वहीं 35 पार्षदों वाली मौजूदा नगर निगम में आम आदमी पार्टी के पास 14 पार्षद वहीं बीजेपी के 13 पार्षद एक एमपी ‌का वोट होने से आंकड़ा बीजेपी का भी 14 का है.वहीं कांग्रेस के पास 6 पार्षद और अकाली दल का एक पार्षद है.

जनवरी 2023 में होंगे चुनाव: इसको देखते हुए इस बार पिछले बार की तरह ही मेयर डिप्टी मेयर और सीनियर मेयर का चुनाव दिलचस्प रह सकता है. जनवरी 2023 में होने वाला चंडीगढ़ मेयर चुनाव हर राजनीतिक दल के लिए काफी अहम है. असल में जिस भी दल का मेयर बनेगा वह साल 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए अपनी पार्टी की जीत के लिए जमीन तैयार करेगा.

BJP-AAP के पास बराबर पार्षद: इस समय दावेदार खुलकर सामने नहीं आ रहे क्योंकि किसी भी दल के पास जीत का आंकड़ा नहीं है. नगर निगम में आम आदमी पार्टी और भाजपा के पास बराबर 14-14 पार्षद हैं. पार्षद ही मतदान करके मेयर को चुनेंगे. कांग्रेस के सिर्फ छह पार्षद हैं. कांग्रेस चुनाव जीतने की स्थिति में नहीं है. लोकसभा चुनाव के लिए भी कांग्रेस और AAP से कोई नया उम्मीदवार ही चुनाव लड़ेगा.

राजनीतिक पार्टियों में जोश: वहीं तीनों दल एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए अपना वोट बैंक बढ़ाने का प्रयास करेंगे. अगले साल डड्डूमाजरा के डंपिंग ग्राउंड के कचरे का पहाड़ आधे से ज्यादा कम हो जाएगा. जिसकी प्रोसेसिंग का काम चल रहा है. इसका भी क्रेडिट लेने का प्रयास अगले साल मेयर करेगा.

राजनीतिक घमासान जारी: इस समय भाजपा में मेयर का उम्मीदवार बनने के लिए दावेदार इसलिए भी ज्यादा लॉबिंग नहीं कर रहे क्योंकि भाजपा अपने दम पर मेयर नहीं बना सकती. भाजपा को अपना मेयर बनवाने के लिए चार वोट चाहिए. सूत्रों की मानें तो इस समय भाजपा की AAP और कांग्रेस के एक-एक पार्षदों से भी बात चल रही है. भाजपा नेताओं को उम्मीद है कि मेयर चुनाव में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के पार्षद वोट भी क्रॉस करेंगे.

अकाली किसका करेगी समर्थन : इस साल जनवरी में हुए मेयर चुनाव में कांग्रेस ने बहिष्कार किया था. जिस कारण भाजपा और AAP में कड़ी टक्कर के बावजूद भाजपा अपना मेयर बनाने में कामयाब हुई थी. शिरोमणि अकाली दल का एक पार्षद है और उसकी स्थिति साफ नहीं है, कि किस दल को समर्थन दे सकता है. पिछली बार अकाली पार्षद हरदीप सिंह ने मतदान नहीं किया था. वहीं भाजपा अध्यक्ष अरुण सूद का दावा है कि इस साल की तरह अगले साल भी उनकी पार्टी का ही मेयर बनेगा.

बीजेपी ने किया जीत का दावा: बीजेपी ने दावा किया कि मेयर चुनाव ही नहीं लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ही जीतेगी. वहीं उनकी ओर से आने वाले मेयर के चुनावों में रणनीति तैयार की जा रही है. वहीं अगर बात की जाए उम्मीदवार की तो उनकी पार्षदों की राय के साथ ही उसकी घोषणा की जाएगी. हमारे सभी पार्षद एकजूट हैं. वहीं हमारी रणनीति साफ है कि हमारे सभी पार्षद चाहते है कि इस बार का मेयर उनकी पार्टी का ही हो.

AAP अध्यक्ष प्रेम गर्ग का बयान: ऐसे में अगर बीजेपी के अलावा कोई अन्य पार्टी हमें अपना साथ देना चाहती है तो हम उसका स्वागत करते है. क्योंकि पिछली बार जो घपले बाजी हुई है उससे देखा गया है कि बीजेपी किसी तरह अन्य पार्टियों के पार्षदों को लालच देती है. वहीं आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष प्रेम गर्ग ने कहा कि उन्हें इस बार की मेयर एक सिर्फ एक चेहरा है इसके पीछे कोई और है जो इस समय काम कर रहा है.

बीजेपी पर AAP का निशाना: वहीं हमारी पार्टी के मेयर आने के बाद शहर के लोगों को अपने आप पता लग जाएगा कि शहर में काम कैसे करवाए जाते है. वहीं बीजेपी द्वारा कई मुद्दों को लेकर शहर के लोगों को परेशानी किया जा रहा है. जहां वो बिजली बिल हो, पानी बिल हो या अन्य कोई सुविधा हो. मेयर के तौर पर शहर एक व्यक्ति को पावर देता है कि वह उनकी परेशानियों को कम करें लेकिन बीते इस एक साल में ही बीजेपी ने अन चाहा टैक्स लगाकर लोगों को परेशान करने का ही काम किया है.

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बीजेपी ने जनता को दिया धोखा: चंडीगढ़ से कांग्रेस के पार्टी अध्यक्ष ने साफ कर दिया है पार्टी इस बार मेयर के चुनाव अपने दम पर ही लड़ेगी. भले ही हमारे छह पार्षद है लेकिन हम न तो आम आदमी पार्टी को अपना स्पोर्ट देंगे और न ही बीजेपी को. क्योंकि हमें पता हे आप के पास न तो कोई एजेंसी है और न ही कोई अनुभव.उनके सभी पार्षद नए हैं. वहीं रही बात बीजेपी की तो इस एक साल में हमें पता है कि उन्होंने कहां-कहां घपले किए है. आज उन्होंने शहर वा‌सियों को धोखा देते हुई सभी सुविधाओं पर टैक्स बढ़ा दिया है. वहीं प्राइवेट कंपनियों को शहर के कई जगहों पर ठेके दिये जा रहे हैं. ऐसे में हमें उनके लिये गए किसी भी फैसले में लोकहित नजर नहीं आता.

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