चंडीगढ़: गुरुवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में एक केस के तथ्यों की सही जानकारी नहीं देने पर हाईकोर्ट ने एक वकील पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए केस खारिज करने की बात कही, तो वकील ने तंज कसते हुए कहा कि वो एक लाख रुपये देने के लिए तैयार है.
जिसपर जस्टिस अरुण मोंगा ने इस पर वकील का निमंत्रण स्वीकार करते हुए एक लाख रुपये का जुर्माना चंडीगढ़ प्रशासन के कोविड फंड में जमा कराने के निर्देश दिए. हाई कोर्ट ने फैसले में कहा कि वकील का व्यवहार बेहद खराब रहा बावजूद इसके हाई कोर्ट नरमी से पेश आ रहा है.
दरअसल कैथल निवासी शिव कुमार चौहान ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि शिक्षण संस्थान के लिए ट्रस्ट के नाम पर उनके साथ धोखा किया गया है. इस संबंध में कैथल के एसपी और संबंधित एसएचओ को शिकायत भी दी गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई.
कैथल के डीसी ने इस मामले में शिकायत पर एसडीएम को जांच सौंपी थी, लेकिन एसडीएम ने कैथल की सिविल कोर्ट में इस संबंध में याचिका विचाराधीन होने पर जांच को बंद करने की सिफारिश. याचिका में मांग की गई कि पुलिस को आपराधिक कार्यवाही के निर्देश दिए जाएं.
जिसपर हरियाणा सरकार के वकील ने कोर्ट में कहा कि याची ने संबंध में कैथल की कोर्ट में जो दो सिविल याचिकाएं दाखिल कर रखी है. इसकी जानकारी हाई कोर्ट को नहीं दी गई. लिहाजा मामले में कोई हस्तक्षेप ना करते हुए याचिका को खारिज किया जाए.
जिसपर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया और वकील पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया. उसके बाद ये वाकया हुआ.
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