चंडीगढ़: शिक्षा विभाग शहर के सरकारी स्कूलों में डमी क्लास बंद करने की तैयारी में है. किसी भी स्कूल में डमी क्लास चली तो स्कूल प्रिंसिपल जिम्मेदार होगा. शिक्षा विभाग पहली बार 85-15 फीसदी कोटे के अनुसार दाखिला देने की रणनीति तैयार कर चुका है. इसे लागू करने से पहले स्कूल में चलाने वाले डमी क्लास से शिक्षा विभाग सख्ती से निपटने की तैयारी में है.
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चंडीगढ़ में डमी एडमिशन को लेकर शिक्षा विभाग सख्त: जानकारी के अनुसार, साइंस और कॉमर्स स्ट्रीम के 90 फीसदी छात्र स्कूल में पढ़ाई करने की बजाए कोचिंग सेंटर में नीट, जेईई जैसी परीक्षाओं के एंट्रेंस टेस्ट की तैयारी कर रहे हैं. इसके साथ ही चंडीगढ़ के कई सरकारी और प्राइवेट स्कूलों के शिक्षक और प्रिंसिपल प्राइवेट कोचिंग सेंटर में जाकर पढ़ा रहे हैं. ऐसे में शिक्षा विभाग के नए नियमों के अनुसार डमी क्लास होने पर स्कूल प्रिंसिपल को इसके परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं.
चंडीगढ़ शिक्षा विभाग की पहल: बता दें कि, शिक्षा विभाग ने इस साल के सेशन में चंडीगढ़ के छात्रों को पहले तरजीह देते हुए 85-15 फीसदी कोटे के अनुसार प्रवेश देने की योजना बनाई है. ग्यारहवीं कक्षा में 85 फीसदी प्रवेश शहर के सरकारी स्कूलों से उत्तीर्ण छात्रों को दिया गया है, जबकि 15 फीसदी सीटें निजी और अन्य राज्यों के छात्रों को दी गई हैं. जिसके चलते विभाग जल्द ही डमी कक्षाओं पर लगाम लगाने के निर्देश जारी करेगा. इसके बाद डमी कक्षाएं लगाने पर स्कूल प्रिंसिपल पर कार्रवाई की जाएगी.
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'कोचिंग सेंटरों को बढ़ावा दे रहे प्रिंसिपल और शिक्षक': चंडीगढ़ शिक्षा विभाग के डायरेक्टर एच एस बराड़ के अनुसार, प्रिंसिपल और शिक्षक भी कोचिंग सेंटरों को बढ़ावा देते हैं. शहर के विभिन्न स्कूलों के टीचर और प्रिंसिपल विभिन्न कोचिंग सेंटरों में जाकर छात्रों को प्राइवेट क्लास दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि, देखने में आया है कि कुछ सरकारी और प्राइवेट स्कूलों के साथ कोचिंग सेंटर की मिलीभगत होती थी. इसके चलते उस स्कूल के छात्र कोचिंग सेंटर में जाकर क्लास लेते थे. उन्होंने कहा कि, डमी कक्षाओं के कारण कई रेगुलर छात्र दाखिला लेने से वंचित रह जाते हैं. रेगुलर क्लास लेने वाले छात्रों को प्रमोट करने के लिए विभाग पहले प्रवेश प्रक्रिया शुरू करने और फिर डमी कक्षाओं को रोकने की योजना बना रहा है. इस संबंध में जल्द ही आदेश जारी किए जाएंगे.
डमी एडमिशन लेकर कोचिंग में जाते हैं छात्र: स्कूल में 11वीं और 12वीं में दाखिला लेने वाले छात्र अपना समय क्लास में भाग लेने के बजाय इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी में बिताते हैं. वहीं स्कूल, फीस और अन्य मौद्रिक लाभ के बदले 75 फीसदी अनिवार्य स्कूल उपस्थिति (अटेंडेंस) और व्यावहारिक परीक्षाओं का ध्यान रखकर उनकी मदद करते हैं.
इन स्कूलों को कारण बताओ नोटिस: हालांकि, स्कूल ने इस वर्ष 11वीं कक्षा में किसी भी छात्र को प्रवेश नहीं दिया है. 10 मार्च को सीसीपीसीआर ने कक्षा 11 और 12 में डमी प्रवेश की पेशकश करने के लिए एसडी स्कूल सेक्टर-24 और ब्रिटिश स्कूल सेक्टर-44 को कारण बताओ नोटिस जारी किया था. स्कूलों को यह बताने के लिए कहा गया था कि उनकी मान्यता क्यों नहीं रद्द कर देना चाहिए या वापस ले लिया जाए. इस मामले में शिक्षा विभाग द्वारा बनाए गए पैनल के अनुसार किये गए निरीक्षण में कक्षा 11 और 12 में नामांकित छात्रों की संख्या के मुताबिक अटेंडेंस जीरो पाई गई थी.
क्या है डमी क्लास?: बता दें कि, छात्रों को डमी प्रवेश प्रदान करने वाले वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय उन्हें स्कूल छोड़ने की अनुमति देते हैं. ताकि, वे इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोचिंग में जा सकें. स्कूल फीस और अन्य मौद्रिक लाभ के बदले दो वर्षों के दौरान 75 फीसदी अनिवार्य स्कूल उपस्थिति मानदंड और छात्रों की व्यावहारिक परीक्षाओं दोनों का ध्यान रखते हैं.
डमी क्लास को बंद करने का फैसला: इस संबंध में चंडीगढ़ शिक्षा विभाग के डायरेक्टर एच एस बराड़ ने बताया कि, लंबे समय से हमारे पास शिकयत आ रही थी. बच्चों को एडमिशन की जा रही है, जबकि छात्र क्लास लेने नहीं पहुंच रहे हैं. उन छात्रों की जगह खाली डेस्क पाए जाते हैं. डमी क्लास के कारण जो छात्र रेगुलर क्लास लेना चाहते हैं, उन्हें सीटें नहीं मिल पाती. इसके साथ ही पता चला था कि यह छात्र स्कूल आने की बजाय प्राइवेट कोचिंग सेंटरों में जाते हैं. कुछ ऐसे स्कूल भी देखे गए हैं जो डमी स्कूल हैं. जहां, पर एडमिशन हो जाती है, लेकिन वहां छात्र ही नहीं देखे जाते. जबकि सरकार द्वारा स्कूलों को बेहतरीन इमारतें और उपकरण मुहैया कराई जा रही हैं, ताकि बच्चों को बेहतरीन शिक्षा मिल सके. उन्होंने कहा कि, ऐसा सिर्फ सरकारी स्कूलों में ही नहीं बल्कि प्राइवेट स्कूलों में भी देखा जा रहा है. ऐसे में विभाग ने सख्ती से डमी क्लास को बंद करने का फैसला लिया है. ताकि, डमी सीटें किसी जायज स्टूडेंट को मिल सके.
चंडीगढ़ शिभा विभाग सख्ती से डमी क्लास को बंद करने की तैयारी में है. स्कूलों के साथ-साथ प्राइवेट स्कूल और कोचिंग सेंटर को भी आदेश दिए जाएंगे कि वे अपने कोचिंग सेंटर का टाइम स्कूलों के समय के मुताबिक ना रखें. शाम के समय कोचिंग सेंटर का समय रखें. वहीं, जिन शिक्षकों और प्रिंसिपल द्वारा कोचिंग सेंटर में पढ़ाये जाने का मामला है, उनकी जांच चल रही है. सरकारी स्कूल के शिक्षक और प्रिंसिपल किसी प्राइवेट कोचिंग सेंटर में क्लास लेते हुए पाये जाएंगे तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. - एच एस बराड़, शिक्षा विभाग के डायरेक्टर