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लोगों को भा रहा मिट्टी से बना रसोई का सामान, बना कुम्हारों की आय का नया साधन

आप सभी ने मिट्टी से बने गमले, मटके और गुल्लक देखे होंगे. जो कुम्हार सालों से बनाते आ रहे हैं, लेकिन चंडीगढ़ में कुम्हार मिट्टी से बने बर्तन और सजावट का सामान बना रहे हैं.

chandigarh clay potters making kitchen items with clay
लोगों को भा रहा मिट्टी से बना रसोई का सामान, बना कुम्हारों की आय का नया साधन
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Published : Jun 29, 2020, 3:18 PM IST

चंडीगढ़: मिट्टी की पारंपरिक कलाकृतियां हमेशा से भारत की संस्कृति का हिस्सा रही हैं, लेकिन आधुनिकता की दौड़ में मिट्टी का ये सामान कहीं पीछे छूट गया है. मटके की जगह वॉटर कूलर और दीयों की जगह चीनी लाइट्स काफी वक्त पहले ही ले चुके हैं. ऐसे में पारंपरिक कला को आधुनिकता का लुक देकर नई पीढ़ी तक पहुंचाने का बीड़ा चंडीगढ़ के कुछ कुम्हारों ने उठाया है. चंडीगढ़ के कुम्हारों ने वक्त के साथ चलने के लिए अब मिट्टी से नई-नई चीजें बनानी शुरू कर दी हैं. अच्छी बात ये है कि लोग भी मिट्टी के बने इन नए सामानों को काफी पसंद कर रहे हैं.

पारंपरिक मिट्टी की कला को मिला आधुनिक लुक

आप सभी ने मिट्टी से बने गमले, मटके और गुल्लक देखे होंगे. जो कुम्हार सालों से बनाते आ रहे हैं, लेकिन चंडीगढ़ में इन दिनों कुम्हार मिट्टी से बने बर्तन और सजावट का सामान बना रहे हैं. चंडीगढ़ के अब बाजार में मिट्टी के कुकर, तवा, पैन, बोतलें, गमले, घंटियां और कई तरह का अन्य सामान बेचा जा रहा है. कुम्हारों ने बताया कि ये सामान सिर्फ चंडीगढ़ ही नहीं बल्कि गुजरात भी भेजा जा रहा है.

क्लिक कर देखें रिपोर्ट

मिट्टी के बने वॉटर कूलर की डिमांड बढ़ी

मिट्टी से आधुनिक सामान बनाने वाले कुम्हारों ने बताया कि वो अब कई तरह का सामान बेच रहे हैं. इन सामानों की मांग लगातार बढ़ती जा रही है. दिवाली के मौके पर सामानों की मांग इतनी बढ़ जाती है कि वो मांग को पूरा नहीं कर पाते हैं. उन्होंने कहा कि अब मिट्टी के सामान में बदलाव आ रहा है. अब हम जरूरत के हर सामान को मिट्टी से बनाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि लोगों तक नया नया सामान पहुंचाया जा सके. लोग मिट्टी के प्रेशर कुकर, तवा, पैन, पानी की बोतलें सब कुछ काफी पसंद कर रहे हैं.

ये भी पढ़िए: 'मेरा पानी मेरी विरासत' योजना: 84 हजार हेक्टेयर में किसानों ने धान छोड़ अपनाई दूसरी फसलें

वहीं मिट्टी का सामान खरीदने आए ग्राहकों ने बताया कि अब रसोई में इस्तेमाल होने वाला कई तरह का सामान मिट्टी का बना मिलने लगा है. ग्राहक डॉ. नीलम ने बताया कि बचपन में वो देखती थीं कि उनकी दादी-नानी मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाती थी, जो खाने में काफी पौष्टिक और स्वादिष्ट होता था और उसका शरीर पर भी कोई बुरा असर नहीं पड़ता था. आजकल हम धातु के बर्तनों में खाना पका रहे हैं. वो हमारे शरीर के लिए हानिकारक हैं. ऐसे में अगर मिट्टी के बर्तन मिल रहे हैं तो सभी को इनका इस्तेमाल करना चाहिए.

चंडीगढ़: मिट्टी की पारंपरिक कलाकृतियां हमेशा से भारत की संस्कृति का हिस्सा रही हैं, लेकिन आधुनिकता की दौड़ में मिट्टी का ये सामान कहीं पीछे छूट गया है. मटके की जगह वॉटर कूलर और दीयों की जगह चीनी लाइट्स काफी वक्त पहले ही ले चुके हैं. ऐसे में पारंपरिक कला को आधुनिकता का लुक देकर नई पीढ़ी तक पहुंचाने का बीड़ा चंडीगढ़ के कुछ कुम्हारों ने उठाया है. चंडीगढ़ के कुम्हारों ने वक्त के साथ चलने के लिए अब मिट्टी से नई-नई चीजें बनानी शुरू कर दी हैं. अच्छी बात ये है कि लोग भी मिट्टी के बने इन नए सामानों को काफी पसंद कर रहे हैं.

पारंपरिक मिट्टी की कला को मिला आधुनिक लुक

आप सभी ने मिट्टी से बने गमले, मटके और गुल्लक देखे होंगे. जो कुम्हार सालों से बनाते आ रहे हैं, लेकिन चंडीगढ़ में इन दिनों कुम्हार मिट्टी से बने बर्तन और सजावट का सामान बना रहे हैं. चंडीगढ़ के अब बाजार में मिट्टी के कुकर, तवा, पैन, बोतलें, गमले, घंटियां और कई तरह का अन्य सामान बेचा जा रहा है. कुम्हारों ने बताया कि ये सामान सिर्फ चंडीगढ़ ही नहीं बल्कि गुजरात भी भेजा जा रहा है.

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मिट्टी के बने वॉटर कूलर की डिमांड बढ़ी

मिट्टी से आधुनिक सामान बनाने वाले कुम्हारों ने बताया कि वो अब कई तरह का सामान बेच रहे हैं. इन सामानों की मांग लगातार बढ़ती जा रही है. दिवाली के मौके पर सामानों की मांग इतनी बढ़ जाती है कि वो मांग को पूरा नहीं कर पाते हैं. उन्होंने कहा कि अब मिट्टी के सामान में बदलाव आ रहा है. अब हम जरूरत के हर सामान को मिट्टी से बनाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि लोगों तक नया नया सामान पहुंचाया जा सके. लोग मिट्टी के प्रेशर कुकर, तवा, पैन, पानी की बोतलें सब कुछ काफी पसंद कर रहे हैं.

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वहीं मिट्टी का सामान खरीदने आए ग्राहकों ने बताया कि अब रसोई में इस्तेमाल होने वाला कई तरह का सामान मिट्टी का बना मिलने लगा है. ग्राहक डॉ. नीलम ने बताया कि बचपन में वो देखती थीं कि उनकी दादी-नानी मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाती थी, जो खाने में काफी पौष्टिक और स्वादिष्ट होता था और उसका शरीर पर भी कोई बुरा असर नहीं पड़ता था. आजकल हम धातु के बर्तनों में खाना पका रहे हैं. वो हमारे शरीर के लिए हानिकारक हैं. ऐसे में अगर मिट्टी के बर्तन मिल रहे हैं तो सभी को इनका इस्तेमाल करना चाहिए.

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