चंडीगढ़: पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने शनिवार को एक सुनवाई के दौरान कहा कि कोई भी अभियुक्त इस आधार पर जमानत नहीं ले सकता कि लॉकडाउन के चलते कोर्ट में कार्रवाई नहीं हो रही है और इसलिए उसे जमानत दे दी जाए.
दरअसल, हाई कोर्ट के जस्टिस एचएस मदान ने ये आदेश तब जारी किया जब एक अभियुक्त द्वारा पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में दूसरी बार जमानत की याचिका दाखिल की गई. पहली जमानत याचिका खारिज होने के बाद भी दूसरी याचिका में कोई बदलाव नहीं किया गया था. बता दें याचिकाकर्ता संतराम के खिलाफ 18 जनवरी 2011 में फतेहाबाद के रतिया पुलिस स्टेशन में हत्या, डकैती और आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था.
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याचिकाकर्ता द्वारा पहली जमानत याचिका 5 फरवरी को लगाई गई थी. जिसे हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था. हाई कोर्ट ने अपने आदेश में बताया था कि संतराम पर जो आरोप लगे हैं वो संगीन और गंभीर हैं. 7 मार्च 2019 से उसे भगोड़ा घोषित किया गया था और 23 जुलाई 2019 को पुलिस द्वारा उसे गिरफ्तार किया गया था. जिला अदालत में भी याचिकाकर्ता को जमानत नहीं दी गई थी, क्योंकि जो आरोप याचिकाकर्ता पर लगाए गए हैं वो संगीन हैं.
हाई कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश में ये भी बताया गया कि याचिकाकर्ता अभियुक्त का लंबा अपराधिक रिकॉर्ड है. याचिकाकर्ता पर 10 अपराधिक मामले पहले से ही दर्ज हैं. जिसमें से भले ही उसे कई मामलों में बरी कर दिया हो, लेकिन कई मामलों में वो दोषी पाया गया है.
साथ ही हाई कोर्ट ने ये भी कहा कि करोना वायरस के चलते अदालतों की कार्रवाई देशभर में प्रभावित हुई है. लॉकडाउन सारी जगह रहा है. अभियुक्त इस चीज का बिल्कुल भी लाभ नहीं उठा सकता कि कोर्ट की कार्रवाई नहीं हो रही है, इसलिए उसे जमानत दी जाए.