चंडीगढ़: हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन ने भर्तियों में परिवार के किसी के नौकरी में नहीं होने के पांच अंक के लिए मजिस्ट्रेट के एफिडेविट की अनिवार्यता समाप्त कर दी है. कमीशन की ओर से अनिवार्यता समाप्ति की सूचना जारी कर दी गई है.
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अब युवाओं को पहले की तरह सेल्फ अटेस्टेड डिक्लेरेशियन ही देना होगा. जिसमें ये लिखना होगा कि उसके परिवार में कोई भी सरकारी नौकरी में नहीं है. जून में कमीशन की ओर से 6400 पुलिसकर्मी, 588 पटवारी, 1100 कैनाल पटवारी, 697 ग्राम सचिव और 1024 जूनियर इंजीनियर की भर्ती निकाली थी.
इसके लिए लाखों युवा आवेदन कर रहे हैं, लेकिन मजिस्ट्रेट के शपथ पत्र की अनिवार्यता से उनके सामने ना केवल परेशानी बढ़ी बल्कि उनका खर्चा भी बढ़ा. तहसीलों में काफी भीड़ लग गई. क्योंकि आवेदन का समय 15 दिन से ज्यादा का नहीं रखा गया.
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इस परेशानी को देखते हुए बुधवार को हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने इसमें राहत दी. अब आयोग ने सरकारी भर्तियों में पांच अंक पाने के लिए एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट से बने शपथ पत्र की शर्त खत्म कर दी है. आवेदकों को पहले की तरह केवल सेल्फ अटेस्टिड पत्र देना होगा कि उनके परिवार में से कोई भी सरकारी नौकरी में नहीं है.
अभियार्थियों को हुई परेशानी
सरकारी नौकरियों में पांच अंकों की छूट पाने के लिए आवेदकों को खूब पसीना बहाना पड़ा. दो दिनों से लघु सचिवालयों और तहसील कार्यालयों में युवाओं की भीड़ उमड़ रही थी. धक्कामुक्की के बीच कई जगहों पर युवा बिना टोकन लिए सरल केंद्रों के अंदर घुस गए. इस वजह से व्यवस्था बनाने में पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ी.
सौ रुपये तक में बिका स्टांप पेपर
शपथपत्र बनवाने के लिए जहां युवाओं को घंटों लाइन में लगना पड़ा, वहीं उन्हें स्टांप पेपर से लेकर फोटो कॉपी कराने तक में अधिक पैसे देने पड़े. कई जगहों पर कागजात की एक फोटो कॉपी के दस-दस रुपये वसूले गए. दस रुपये का स्टांप पेपर 50-100 रुपये तक में बेचा गया.
शपथपत्र बनवाने के नाम पर भी युवाओं से पैसे वसूले गए. तहसील परिसरों में न तो लड़कियों के लिए अलग से लाइन थी न ही किसी प्रकार की अन्य सुविधाएं.
फर्जीवाड़ा भी हुआ
रोहतक में शपथपत्र बनवाने में फर्जीवाड़ा सामने आया. कुछ युवा दूसरे की जगह शपथ पत्र बनवाते पकड़े गए. जबकि एक युवक को तहसीलदार की फर्जी मुहर लगाते दबोचा गया, जिसे बाद में चेतावनी देकर छोड़ दिया गया.