चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान रखी गई कैग की रिपोर्ट में कई अनियमिताएं सामने आई हैं. साल 2017-18 मार्च तक की रिपोर्ट सदन में पेश की गई, जो कि तीन चरणों में तैयार की गई है.
ये रिपोर्ट मंगलवार को सदन के पटल पर रखी गई थी. इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि सरकारी विभागों में जमकर लापरवाही हुई है. पहले अध्याय में राज्य का वित्तीय प्रोफाइल, लेखा परीक्षा का आयोजन और संचालन और लेखा परीक्षा प्रतिवेदनों पर अनुवर्तन शामिल है.
दूसरे अध्याय में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली पर निष्पादन लेखा परीक्षा के परिणामों से सम्बंधित है जबकि अध्याय तीन में अधिक अनियमित निष्फल व्यय, परिहार्य भुगतान, राज्य सरकार को हानि, नियमों एवं कार्यक्रमों के कार्यान्यवन में कमी से सम्बंधित है. कैग ने हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार की कार्यशैली पर गम्भीर सवाल उठाए है.
'खनन में भारी नुकसान प्रदेश को झेलना पड़ा'
कैग की रिपोर्ट में हुआ खुलासा पीजी डिप्लोमा और एमबीए कोर्स में 40 से 56 फीसदी दाखिलों में कमी रही. विश्विद्यालय में 55 फासदी टीचिंग स्टाफ और 41 फीसदी गैर शिक्षण स्टाफ की कमी को पूरा नहीं किया जा सका.
होस्टल में मूलभूत सुविधाओं पर भी सवाल उठाए गए हैं. वहीं रिपोर्ट में सामने आया कि खनन में भारी नुकसान प्रदेश को झेलना पड़ा है. नियमों के खिलाफ किए गए खनन से राजस्व में 1476 करोड़ का नुकसान हुआ है. इतने बड़े स्तर पर खनन हुआ है कि कई जगह नदियों का रुख तक बदल दिया गया.
सीएजी की रिपोर्ट में एक बार फिर चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. अलग विभागों में हुई अनियमिताएं एवं भ्रष्टाचार के चलते सरकारी खजाने को करोड़ों की चपत लगी है. खनन से लेकर अलग-अलग विभागों में भ्रष्टाचार के मामले सीएजी की रिपोर्ट में उजागर हुए है.
खनन विभाग में इस कदर लूट नजर आई कि खनन माफियाओं ने यमुना का प्रवाह ही बदल दिया. चयनित रेत ओर बोल्डर बजरी खदानों के भू स्थानीय सर्वेक्षण में सामने आया है कि को- ओडिनेट साइट निरीक्षण पर दर्शाए को-ऑर्डिनेट से अलग थे.
बिजली कंपनियों की लापरवाही से 1050 करोड़ का चूना
बिजली वितरण कंपनियों की लापरवाही के चलते उपभोक्ताओं से अतिरिक्त अग्रिम उपभोग राशि नहीं जमा कराई जा सकी, जिस कारण 1050 करोड़ रुपये का चूना लगा है. बिजली निगमों के उपभोक्ताओं से कंपनियां 935 करोड़ 91 लाख रुपये अग्रिम राशि के तौर पर वसूलने में विफल रही.
इस वजह से निगमों को अतिरिक्त ब्याज के तौर पर 122 करोड़ 5 लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ा. कैग की रिपोर्ट के अनुसार 2013 से 2016 के दौरान निगमों को सीएंडटी लॉस (तकनीकी एवं वाणिज्यिक हानियां) के चलते 2703 करोड़ 69 लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ा. बाद में निगमों ने इन हानियों में कुछ सुधार किया है.
'रॉयलटी एवं अतिरिक्त रॉयल्टी में लाखों का घाटा हुआ'
रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 4139 ईंट भट्टा मालिकों में से 181 मामलों में रॉयल्टी एवं अतिरिक्त रॉयल्टी के तौर पर में भी लाखों का घाटा सामने आया है. सरकार ने खदान और खनिज विकास पुनरुद्धार पुनर्वास निधि में अपने हिस्से के 17.70 करोड रुपये जमा नहीं कराए जबकि 4.61 करोड रुपये का ब्याज क्रेडिट नहीं किया.
सरकार के भूजल प्रबन्धन पर भी कैग ने सवाल उठाए. कैग ने कहा कि कम स्टाफ के चलते लक्ष्य को पूरा नहीं किया जा सका. 471 में से 241 रेन वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर बनाए गए. कैग ने फतेहाबाद और अंबाला में दो मिलरों का गलत आंकलन किया. जिसके कारण 24 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ.
'दो कॉलोनाइजरों को लाइसेंस देने में अनुचित लाभ लिया गया'
कृषि उधोग निगम लिमिटेड के अधिकारियों की मिलीभगत से दो राइस मिलर्स को 14 हजार 904 मीट्रिक टन धान में गड़बड़ी की गई. कैग की गंभीर टिप्पणी कहा नगर एवं ग्राम आयोजना विभाग ने दो कॉलोनाइजरों को लाइसेंस देने में अनुचित लाभ लिया गया.
वित्तीय पर्याप्तता का आंकलन किए बिना लाइसेंस देने से करीब 180 करोड़ रुपये सरकार को प्राप्त नहीं हो सके. कृषि पंप सेट मीटर इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ताओं से न्यूनतम मासिक प्रभारी एवं नियत प्रभार की कम वसूली हुई, जबकि मीटर किराए के कम सरचार्ज के कारण निगमों को 15 करोड़ से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा.
ये भी पढ़िए: झज्जर: ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल के नाम पर गुंडागर्दी! कमर्शियल वाहनों के पहियों की निकाल रहे हवा
'परिवहन विभाग में 48.81 करोड़ रुपये का नुकसान'
परिवहन विभाग द्वारा खरीदी गईं 418 में से 317 बसों का कम उपयोग करने से 48.81 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. वहीं बिजली वितरण कंपनियों की लापरवाही के चलते निगमों को दोहरा नुकसान हुआ है.
उपभोक्ताओं से अतिरिक्त अग्रिम उपभोग राशि नहीं जमा करवाने से 1050 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ. यहां तक कि बिजली निगम, उपभोक्ताओं से 935 करोड़ 91 लाख करोड़ रुपये अग्रिम राशि के तौर पर वसूलने में भी विफल रहे. बिजली निगमों को अतिरिक्त ब्याज के तौर पर 122 करोड़ की चपत लगी.
1584 वाहन मालिकों ने माल कर जमा नहीं कराया
रिपोर्ट में सामने आई है कि वर्ष 2016 2017 के दौरान माल ढोने वाले 1584 वाहन मालिकों ने माल कर जमा नहीं कराया. जिसके चलते 1.62 करोड रुपये की वसूली नहीं की गई. माल ढोने वाले तेरा जीरो पांच वाहन मालिकों ने 2015-16, 2016-17 के दौरान टोकन टैक्स जमा नहीं कराया. इससे 18.42 लाख रुपये की वसूली नहीं हुई. वहीं पर 36.84 लाख रुपये की पेनल्टी भी बकाया थी.