चंडीगढ़: चंडीगढ़ बॉटनिकल गार्डन तो पहले से ही कई मायने में प्रसिद्ध है लेकिन वर्ल्ड बायोडायवर्सिटी डे के पूर्व संध्या पर चंडीगढ़ में बॉटनिकल गार्डन सारंगपुर में बोनसाई वर्ल्ड की स्थापना की गई. इसके चलते बॉनिकल गार्डन की खूबसूरती और बढ़ गई है. जोकि मिशन LIFE (पर्यावरण के लिए जीवन शैली) के तहत, चंडीगढ़ प्रशासन विभिन्न कार्यक्रमों द्वारा लोगों के व्यवहार परिवर्तन को नवीन रूप से प्रभावित करता है.
जानकारी के मुताबिक वन और वन्यजीव विभाग द्वारा 35 वर्ष की आयु तक के लगभग 74 विभिन्न बोनसाई पौधों की प्रजातियों के संयोजन द्वारा बोनसाई विश्व की स्थापना की. बोनसाई बढ़ते पौधों के सुंदर कला रूपों में से एक है. यह आमतौर पर जापान के साथ जुड़ा हुआ है, लेकिन इसकी उत्पत्ति चीन में हुई है. यह कई तकनीकों का उपयोग करके बनाए गए बड़े पेड़ का लघु रूप है. इस तकनीक में हेवी क्राउन प्रूनिंग, रूट प्रूनिंग और वायरिंग शामिल हैं.
बोनसाई वर्ल्ड को चंडीगढ़ के सारंगपुर गांव में स्थित बॉटनिकल गार्डन में बनाया गया है. वहीं, यूटी सलाहकार धरम पाल द्वारा इस विशेष स्थान की स्थापना की गई. वहीं, इस उक्त स्थान को चंडीगढ़ के वन और वन्यजीव विभाग, द्वारा बड़ी मेहनत से तैयार किया गया था.
बोनसाई शब्द दो जापानी शब्दों के मेल से बना है 'बॉन' का अर्थ है उथला पैन और 'साईं' का अर्थ पौधा होता है, जिसका अनुवाद पॉट या ट्रे प्लांटिंग के रूप में किया जाता है. वन और वन्यजीव विभाग के मुख्य वन संरक्षक और मुख्य वन्यजीव वार्डन देबेंद्र दलई ने बताया कि सारंगपुर में हुआ उद्यान एक ऐसा स्थान है जहां पौधों को उगाया जाता है और अनुसंधान, शिक्षा और जागरूकता के लिए प्रदर्शित किया जाता है. बोनसाई वर्ल्ड बगीचे में एक और आकर्षण जोड़ देगा, जो पहले से ही हर दिन लगभग 3,000 लोगों द्वारा देखा जाता है. ऐसे में लोगों को बड़े पेड़ों का छोटा रूप देखने का मिलेगा जिससे वे एक पेड़ का स्वरूप समझ सकेंगे.
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