चंडीगढ़: कोरोना के बढ़ते संक्रमण की वजह से लोग पहले के मुकाबले कम रक्तदान कर रहे हैं. जिससे अस्पतालों में मरीजों को खून नहीं मिल पा रहा है. हालात ये है कि बहुत से मरीज खून ना होने की वजह से जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं.
रक्तदान करने वाले लोगों में इस बात की भ्रांति है कि अगर वो रक्तदान करेंगे तो उनके शरीर में कमजोरी आएगी. जिससे वो कोरोना की चपेट में आ सकते हैं. इस बारे में चंडीगढ़ पीजीआई के ब्लड ट्रांसफ्यूजन विभाग के एचओडी डॉक्टर रतिराम शर्मा ने ईटीवी भारत हरियाणा से बातचीत की.
डॉक्टर रतिराम शर्मा ने कहा कि इस वक्त अस्पतालों में भर्ती बहुत से मरीजों को खून की जरूरत है, लेकिन जब से कोरोना संकट आया है, तब से लोग पहले के मुकाबले कम रक्तदान कर रहे हैं. जिससे मरीजों को खून नहीं मिल पा रहा है. इसलिए उन्होंने लोगों से रक्तदान करने की अपील की.
इन तीन बातों का रखें ध्यान
उन्होंने कहा कि तीन बातों का ध्यान रखना जरूरी है. पहला ये कि युवा लोग या फिर कॉलेज और यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले स्टूडेंट जो बिल्कुल स्वस्थ हैं और फिलहाल घर पर हैं, वो रक्तदान कर सकते हैं. दूसरा जिन लोगों को कोई गंभीर बीमारी नहीं है, जैसे डायबिटीज, हाइपरटेंशन, किडनी या लिवर की बीमारी. वो भी रक्तदान कर सकते हैं. रक्तदान करने से शरीर में कमजोरी नहीं आती. हर 3 महीने में रक्तदान किया जा सकता है.
डॉक्टर रतिराम शर्मा ने कहा कि जो मरीज कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं और उन्हें ठीक हुए 4 हफ्ते हो गए हैं. वो भी रक्तदान कर सकते हैं. रक्तदान करना लोगों के जीवन को बचाने का काम है. इसलिए लोगों को ये महादान जरूर करना चाहिए. उन्होंने कहा चंडीगढ़ में कई ब्लड बैंक हैं और हर ब्लड बैंक में रक्तदान में कमी देखी गई है.
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अगर चंडीगढ़ पीजीआई की बात की जाए तो यहां पर भी पहले के मुकाबले 20% कम रक्तदान हो रहा है, लेकिन पीजीआई में आपातकालीन सेवाएं लगातार जारी हैं और मरीज भी आ रहे हैं. उन मरीजों को खून की जरूरत होती है, लेकिन रक्तदान कम होने की वजह से मरीजों को खून पहुंचाने में परेशानी हो रही है.
डॉक्टर ने बताया कि रक्तदान से शरीर में किसी तरह की कोई कमजोरी नहीं होती. ना ही रक्तदान से रोग प्रतिरोधक क्षमता पर कोई असर पड़ता है. ये एक भ्रांति है. लोगों को इससे बचना चाहिए.