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किसानों के समर्थन में पूर्व मंत्री ने बीजेपी कार्यकारिणी में मिला पद ठुकराया, लगाए गंभीर आरोप

किसान आंदोलन की चिंगारी ने अब भाजपा के अंदर भी हलचल मचा दी है. जिसका असर ये हुआ है कि पूर्व वित्तमंत्री और भाजपा नेता प्रोफेसर संपत सिंह ने किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए प्रदेश कार्यकारिणी में सदस्यता लेने से इंकार कर दिया है.

bjp sampat singh supported farmers
bjp leader sampat singh
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Published : Jun 28, 2021, 3:08 PM IST

Updated : Jun 28, 2021, 3:16 PM IST

चंडीगढ़: तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन ने भाजपा की नींद उड़ा कर रख दी है. पहले जहां किसानों और नेताओं में टकराव हो रहा था वहीं अब भाजपा के अंदर भी विरोध शुरू हो चुका है. भाजपा नेता किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए अपने पद छोड़ रहे हैं.

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को लिखा खत

सोमवार को पूर्व वित्तमंत्री और भाजपा नेता प्रोफेसर संपत सिंह ने किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए प्रदेश कार्यकारिणी में सदस्यता लेने से इंकार कर दिया है. उन्होंने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ओपी धनखड़ को खत लिखा और साथ ही ट्वीट भी किया कि प्रिय धनखड़ जी, वर्तमान राजनीतिक हालात के चलते मैं राज्य कार्यकारिणी की सदस्यता कबूल नहीं कर सकता हूं.

bjp leader sampat singh
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को लिखा खत.

हाल ही में हुआ था नई कार्यकारिणी का गठन

उन्होंने आगे लिखा कि पार्टी को प्राथमिक तौर पर किसानों के मुद्दों का हल निकालना चाहिए जिसका मैंने भी लगातार समर्थन किया है. बंद कमरे में पुलिस सुरक्षा में राजनीति असंभव है. गौरतलब है कि हरियाणा में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ ने पिछले दिनों नई कार्यकारिणी का गठन किया था.

bjp leader sampat singh
कौन हैं प्रोफेसर संपत सिंह ?

इनेलो सरकार में रहे थे वित्त मंत्री

बता दें कि, संपत सिंह इनेलो सरकार में प्रदेश के वित्तमंत्री रह चुके हैं. बाद में वे कांग्रेस में शामिल हुए थे. कांग्रेस की टिकट पर हिसार लोकसभा और नलवा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं. संपत सिंह 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए थे.

किसान आंदोलन ने उठाई भाजपा की नींद

गौरतलब है कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ सात महीनों से चल रहे किसान आंदोलन ने भाजपा की नींद उड़ाकर रख दी है. एक तो हरियाणा में जहां भी कोई मंत्री, या नेता किसी कार्यक्रम के लिए जाता है तो किसान भी वहीं पहुंच जाते हैं और विरोध करते हैं. इस वजह से कई दफा कार्यक्रम भी रद्द करना पड़ता है. वहीं अब पार्टी के अंदर भी नेताओं ने किसानों का समर्थन करते हुए गतिरोध छेड़ दिया है. ऐसे में अब किसान आंदोलन भाजपा के गले की फांस बनता जा रहा है.

ये भी पढ़ें- किसानों का खौफ! तीन स्तरीय सुरक्षा घेरे में बैठक कर रहे डिप्टी सीएम दुष्यंत

ये भी पढे़ं- सरकार कार्यक्रम करके देख ले, अगर किसान घेरने नहीं आए तो हम समझ लेंगे कि आंदोलन हमारे हाथ से निकल गया-चढूनी

चंडीगढ़: तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन ने भाजपा की नींद उड़ा कर रख दी है. पहले जहां किसानों और नेताओं में टकराव हो रहा था वहीं अब भाजपा के अंदर भी विरोध शुरू हो चुका है. भाजपा नेता किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए अपने पद छोड़ रहे हैं.

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को लिखा खत

सोमवार को पूर्व वित्तमंत्री और भाजपा नेता प्रोफेसर संपत सिंह ने किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए प्रदेश कार्यकारिणी में सदस्यता लेने से इंकार कर दिया है. उन्होंने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ओपी धनखड़ को खत लिखा और साथ ही ट्वीट भी किया कि प्रिय धनखड़ जी, वर्तमान राजनीतिक हालात के चलते मैं राज्य कार्यकारिणी की सदस्यता कबूल नहीं कर सकता हूं.

bjp leader sampat singh
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को लिखा खत.

हाल ही में हुआ था नई कार्यकारिणी का गठन

उन्होंने आगे लिखा कि पार्टी को प्राथमिक तौर पर किसानों के मुद्दों का हल निकालना चाहिए जिसका मैंने भी लगातार समर्थन किया है. बंद कमरे में पुलिस सुरक्षा में राजनीति असंभव है. गौरतलब है कि हरियाणा में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ ने पिछले दिनों नई कार्यकारिणी का गठन किया था.

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कौन हैं प्रोफेसर संपत सिंह ?

इनेलो सरकार में रहे थे वित्त मंत्री

बता दें कि, संपत सिंह इनेलो सरकार में प्रदेश के वित्तमंत्री रह चुके हैं. बाद में वे कांग्रेस में शामिल हुए थे. कांग्रेस की टिकट पर हिसार लोकसभा और नलवा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं. संपत सिंह 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए थे.

किसान आंदोलन ने उठाई भाजपा की नींद

गौरतलब है कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ सात महीनों से चल रहे किसान आंदोलन ने भाजपा की नींद उड़ाकर रख दी है. एक तो हरियाणा में जहां भी कोई मंत्री, या नेता किसी कार्यक्रम के लिए जाता है तो किसान भी वहीं पहुंच जाते हैं और विरोध करते हैं. इस वजह से कई दफा कार्यक्रम भी रद्द करना पड़ता है. वहीं अब पार्टी के अंदर भी नेताओं ने किसानों का समर्थन करते हुए गतिरोध छेड़ दिया है. ऐसे में अब किसान आंदोलन भाजपा के गले की फांस बनता जा रहा है.

ये भी पढ़ें- किसानों का खौफ! तीन स्तरीय सुरक्षा घेरे में बैठक कर रहे डिप्टी सीएम दुष्यंत

ये भी पढे़ं- सरकार कार्यक्रम करके देख ले, अगर किसान घेरने नहीं आए तो हम समझ लेंगे कि आंदोलन हमारे हाथ से निकल गया-चढूनी

Last Updated : Jun 28, 2021, 3:16 PM IST
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