चंडीगढ़: पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने डिजिटल पत्रकार वार्ता के जरिए कई मसलों पर अपनी बात रखी. उन्होंने कोरोना से लड़ाई, लॉकडाउन में ढील, धान बुआई पर पाबंदी, शराब घोटाले की जांच और मध्यम व निम्न तबके को आर्थिक राहत देने समेत कई मुद्दों पर पत्रकारों से संवाद किया.
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि वो महामारी के इस नाजुक दौर में विवाद नहीं संवाद के जरिए अपनी बात सरकार तक पहुंचाना चाहते हैं. उन्होंने सरकार के धान बुआई पर पाबंदी लगाने के फैसले का पुरजोर विरोध किया और कहा कि इस फैसले को फौरन वापस लेना चाहिए.
'दादुपुर रिचार्ज कैनाल शुरू करे सरकार'
हुड्डा ने कहा कि भूजल की चिंता करना जरूरी है, लेकिन इसके लिए सरकार को अपनी तरफ से भी कई कदम उठाने चाहिए. उसे हरियाणा की सबसे बड़ी दादूपुर नलवी वाटर रिचार्ज कैनाल परियोजना को फिर से शुरू करना चाहिए और एसवाईएल के पानी को लाने के लिए कोशिश करनी चाहिए.
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकार को ध्यान से ज्यादा मुनाफे वाली वैकल्पिक फसलों के बारे में किसान को बताना चाहिए. वैकल्पिक फसल उगाने से किसान को होने वाले घाटे की भरपाई भावांतर योजना के तहत करनी चाहिए. महज 7000 रुपये प्रति एकड़ के ऐलान से किसान धान छोड़ने के लिए राजी नहीं है, क्योंकि इससे पहले भी सरकार ने जल ही जीवन है योजना के तहत जो 2000 रुपये प्रोत्साहन राशि और बीमा का वादा किया था वो भी पूरा नहीं किया गया.
'फसल उठान में हरियाणा पंजाब से है पीछे'
उन्होंने कहा कि आज सरकार का सारा जोर गेहूं और सरसों की खरीद मंडियों से उठान और फसल की पेमेंट पर होना चाहिए, क्योंकि हरियाणा इस मामले में पंजाब से पीछे है. जहां पंजाब में अब तक 95 फ़ीसदी गेहूं खरीद और किसानों की पेमेंट हो चुकी है. वहीं हरियाणा में 130 लाख मीट्रिक टन के अनुमानित उत्पादन में से सिर्फ 57 लाख मीट्रिक टन गेहूं ही खरीदी है. उठान सिर्फ 29 लाख मीट्रिक टन का हुआ है और ज्यादातर किसानों की पेमेंट पेंडिंग है.
हरियाणा पर बढ़ते कर्ज के बारे में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एक बार फिर चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार में प्रदेश पर 2,00,000 करोड़ का कर्ज हो चुका है, लेकिन सरकार अब भी कह रही है कि हमें और कर्ज लेने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि अगर सरकार कर्ज ले रही है तो उससे गरीब, किसान, मजदूर, दिहाड़ीदार, दुकानदार, छोटे व्यापारी और मध्यवर्ग को आर्थिक राहत देनी चाहिए. निम्न मध्यवर्ग और छोटे दुकानदारों के 3 महीने तक बिजली बिल में 300 यूनिट माफ होनी चाहिए.